दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है! - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

गुरुवार, 15 मार्च 2012

दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है!

सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है 
जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है

कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है
हर कोई भाग खड़ा होता जहाँ दीवार सबसे कमजोर दिखती है

जब बड़े घंटे बजने लगे तब छोटी घंटियों की आवाज दब जाती है 
जब घर में सांप घुस आये तब बोलती बंद होते देर नहीं लगती है

अपनी गलती का पता लगा लेना बहुत बड़ी समझदारी होती है
वक्त को पहचानने के लिए समझदारी की जरुरत पड़ती है

जहाज डूब जाने के बाद हर कोई बचाने का उपाय जानता है 
अक्सर दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!  

    ...कविता रावत