हम भोपाली - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

बुधवार, 14 मई 2014

हम भोपाली


हम कहलाते हैं भोपाली
मिनीबस की है कुछ बात निराली
हम कुछ भी बकें इधर-उधर
हर बात हमारी है निराली
         हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।

हम ड्रायवर सबको ढ़ोते-फिरते
चाहे चपरासी हो या अफसर
पर जब आते टेंशन में भैया
तब दिखता न घर न दफ्तर
पान-गुटका-बीड़ी साथ हमारे
जुबां पर रहती हरदम गाली
         हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।

खाऊ किस्म के जीव नहीं हम
चाय कट पूरे गुटके से काम चलाते
रीढ़ की हड्डी हम सरकार की भैया
हम तो सबके प्यारे बाबू कहलाते
कुछ आये न आये हमको
पर आती है प्यार भरी गाली
        हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।

सरकार का बोझ उठाते हम
सरक-सरक कर चलते रहते
हम सरकारी अफसर कहलाते
अगर कोई काम बिगाड़ दे भैया
तो करते ठीक देकर दो-चार गाली
         हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।

..कविता रावत