गरीबी में डॉक्टरी - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

मंगलवार, 15 मार्च 2022

गरीबी में डॉक्टरी

कथा-लेखन के सम्बन्ध में मेरा मानना है कि किसी भी कहानी की पृष्ठभूमि जितनी धरातल से जुड़ी होकर सरल शब्दों में अभिव्यक्त होंगी, वह उतनी ही गहराई तक पाठकों के दिलों में उतरकर अपना एक अलग स्थान बनाने में सफल रहेगी। इसी सोच पर रचाई-बसाई मेरी यह गरीबी में डॉक्टरी १० कहानियों का संग्रह है।  

पहली कहानी 'शहर का मोहजाल' में आप देखेंगे कि कैसे गाँव का एक गरीब नौनिहाल शहर से लौटे अपने मित्र की शहरी चकाचौंध से प्रभावित होकर शहर का रुख तो कर देता है, लेकिन उसे शहर की हवा रास नहीं आती है और वह अपने गाँव वापस आकर सुकून महसूस करता है।  

दूसरी कहानी ''मान-सम्मान पर बट्टा' में आप बेटी के कारण दुःखी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की मनोदशा का चित्रण देखेंगे, जो आपको समाज की कसौटी पर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करेगा। 

तीसरी कहानी 'लालच का बीज' में बुरे मित्रों के कारण कैसे एक भोला गरीब बच्चा उनकी बातों में आकर गांव की एक बुढ़िया के घर उसके पैसे हड़पने भेष बदलकर जाता है और फिर बुढ़िया की सूझ-बूझ से जब वह पकड़ा जाता है, तो वह चकमा देकर शहर भाग जाता है, जहाँ उसे अपनी भूल का पछतावा होता है। 

चौथी कहानी 'शहर में मदारी-जंबूरे की जुगलबंदी'  का शीर्षक पढ़कर ही आपको बहुत कुछ समझ आ गया होगा।  इस व्यंग्यात्मक कहानी में आप हँसेंगे भी और अवसरवादी मुखौटों को भी देख पायेगें।   

पांचवी कहानी  'सरकारी नौकरी का भ्रमजाल' में आप  देखेंगे कि कैसे एक प्रायवेट नौकरी वाला सरकारी नौकरी करने वालों की सुख-सुविधाओं से प्रभावित होकर उसे पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार बैठा रहता है, लेकिन उसे नहीं मालूम होता है सबकी किस्मत एक जैसे कहाँ होती है?      

छठवीं कहानी 'राजकुमार- तू अपने और मैं अपने घर का ' एक ऐसे सपेरे की कहानी है, जो सांप का खेल दिखाने पर लगे कानूनी प्रतिबंध के कारण काम-धंधा नहीं होने पर अपने पोते और उसके एक कुत्ते के पिल्ले को लेकर यह सोचकर शहर जाता है कि वह शहर जाकर खेल-तमाशा दिखाकर कुछ कमा-धमा लेगा, लेकिन उसे शहर में कैसे-कैसे लोग मिले, यह सब आप स्वयं देखकर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर होंगे। 

सातवीं कहानी 'लड़ाकू मैनेजर साहब ' का शीर्षक देखकर ही आप स्वयं समझ गए होंगे कि यहाँ आपको एक ऐसा व्यक्ति मिलने वाला है,  जिसका ऑफिस में एक दिन भी बिना लड़ें -झगडे खाना नहीं पचने वाला,अब ऐसे में ऑफिस में उनके मातहतों का क्या हाल होता होगा, इसे जानने के लिए आपको कहानी तक पहुंचने की जरुरत होगी।  

आठवीं कहानी 'जैसे को तैसा'  में आप तीन सौतेले भाइयों की कहानी पढ़ेंगे, जिसमें एक माँ के जने दो भाई अपने सौतेले भाई और उसकी माँ पर बहुत चालें चलकर जुल्म ढाते हैं, लेकिन अंत में वे अपनी चालों में कैसे फँस जाते हैं, इसके लिए आपको कहानी तक पहुंचना होगा। 

नौवीं कहानी 'राजपाट का खेल' में आप एक राजा से उसका राजकाज हड़पने के लिए महामंत्री और मुख्यमंत्री की चालें देखेंगे, जहाँ आप आज के समय की सियासी चालें अनुभव कर सकेंगे।   

अंत में दसवीं कहानी 'गरीबी में डाॅक्टरी ' मेरी मुख्य कहानी है, जिसे मैं इस संग्रह की रीढ़ की हड्डी समझती हूँ।  इस कहानी को यदि मैं कहानी के स्थान पर 'संघर्ष गाथा' कहूँ तो अधिक न्याय संगत होगा। क्योंकि यह एक ऐसे फटेहाली में जीते गुदड़ी की लाल की संघर्ष गाथा है, जिसने अपने बचपन से देखते आये 'डॉक्टर बनने के सपने' को अपनी घोर विपन्नता, अधकचरी शिक्षा, रूढ़िवादी सोच, सामाजिक विडंबनाओं और तमाम सांसारिक बुराइयों को ताक में रखकर शासन-प्रशासन तंत्र के व्यूह रचना को भेद कर अपने कठोर परिश्रम, निरंतर अभ्यास, सहनशील प्रवृत्ति और सर्वथा विकट परिस्थितियों में अदम्य साहस व दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर साकार कर दिखाया, ऐसा लाखों में से कोई एक ही देखने को मिलेगा। इसलिए इस 27 वर्ष तक अकल्पनीय, अविश्वसनीय 'मानसिक श्रम'  करने वाले गुदड़ी के लाल को यदि मैं 22 वर्ष तक 'शारीरिक श्रम' करने वाले 'दशरथ मांझी' से भी बड़ा मांझी कहूँगी तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 

नोट-  यह कहानी संग्रह मेरे द्वारा शब्द.इन मंच के 'पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता (फरवरी-मार्च 2022)' के प्रतिभागी के रूप में प्रस्तुत किया गया है; जिसका परिणाम 31 मार्च 2022 को घोषित किया जाएगा। विजेता की पुस्तक का उनके द्वारा 'पेपरबैक प्रकाशन शब्द.इन के स्टैंडर्ड  पब्लिशिंग पैकेज ' के तहत किया जायेगा। मेरी यह 10 कहानियाँ कहाँ तक उड़ान भरेंगी, यह मेरे पाठकों पर निर्भर करेगा, जिसका सुखद परिणाम देखने के लिए मैं बहुत उत्साहित हूँ।

मैं तो गरीबी में डॉक्टरी लेकर तैयार बैठी हूँ, लेकिन मुझे मेरे ब्लॉगर साथियों और पाठकों का विजेता बनाने में साथ देने की प्रतीक्षा है। 

-कविता रावत 

https://shabd.in/books/10082107

गरीबी में डॉक्टरी