Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

शनिवार, 2 जुलाई 2011

बुधवार, 1 जून 2011

खुशमिजाज बुलबुल का मेरे घर आना

जून 01, 2011
जेठ की तन झुलसा देने वाली दुपहरी में लू की थपेड़ों से बेखबर मेरे द्वार पर मनीप्लांट पर हक़ जमाकर उसके झुरमुट में अपना घरौंदा बना कर बै...
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शुक्रवार, 20 मई 2011

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

सदियों से फलता-फूलता कारोबार : भ्रष्टाचार

अप्रैल 26, 2011
भ्रष्टाचार! तेरे रूप हजार सदियों से फलता-फूलता कारोबार देख तेरा राजसी ठाट-बाट कौन करेगा तेरा बहिष्‍कार ! बस नमस्कार, नमस्‍कार ! र...
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रविवार, 3 अप्रैल 2011

धुन के पक्के इन्सां ही एक दिन चैंपियन बनते हैं

अप्रैल 03, 2011
जीत और हार के बीच झूलते, डूबते-उतराते विपरीत क्षण में भी अविचल, अविरल भाव से लक्ष्य प्राप्ति हेतु आशावान बने रहना बहुत मुश्किल पर न...
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शनिवार, 19 मार्च 2011

जल बिन भर पिचकारी कैसे खेलें होली ........

मार्च 19, 2011
बच्चों की परीक्षा समाप्ति के दो दिन बाद ही परिणाम भी। और फिर होली के दूसरे दिन से ही नए सत्र का आरंभ, मतलब भागम-भागम नहीं तो और क्या! स...
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बुधवार, 2 मार्च 2011

प्रभु! अपना तो कैलाश ही भला.....

मार्च 02, 2011
सभी ब्‍लागर साथियों और सुधि पाठकों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें। इन दिनों आप  सबके ब्लॉग पर न आ पाने  के लिए क्षमा चाहती ह...
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मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

गुरुवार, 20 जनवरी 2011

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

सोमवार, 13 दिसंबर 2010

वह रहने लगा है दूर परदेश कहीं

दिसंबर 13, 2010
सुन्दर मनमोहक गाँव में बसा एक छोटा सा घर था जिसका खेती-बाड़ी  कर पढ़ना-लिखना ही तब मुख्य लक्ष्य था उसका खेलने-कूदने की फुरसत नहीं उसे ...
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मंगलवार, 30 नवंबर 2010

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

शनिवार, 13 नवंबर 2010

रविवार, 31 अक्तूबर 2010

गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

मरना आसान लेकिन जीना बहुत कठिन है

अक्तूबर 21, 2010
पिछले सप्ताह एक के बाद एक तीन निकट सम्बन्धियों के मृत्यु समाचार से मन बेहद व्यथित है. कभी घर कभी बाहर की दौड़-भाग के बीच दिन-रात कैसे गुज...
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सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

दुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है

सितंबर 30, 2010
एक जगह पहुंचकर अच्छे और बुरे में बहुत कम दूरी रह जाती है इने-गिने लोगों की दुष्टता सब लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है ! दुष्ट   प्रवृत्त...
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