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ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

रविवार, 15 अप्रैल 2012

गुरुवार, 15 मार्च 2012

दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है!

मार्च 15, 2012
सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है  जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है...
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बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

कई बार गुजरना पड़ता है परीक्षा से

फ़रवरी 22, 2012
परीक्षा कैसी भी हो और किसी की भी हो, परीक्षा परीक्षा होती है । यह परीक्षा के दिन अन्य दिन के मुकाबले किस तरह भारी पड़ते हैं, यह वही अच्छ...
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बुधवार, 18 जनवरी 2012

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती......

दिसंबर 15, 2011
जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था मुनासिब ह...
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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है....

नवंबर 11, 2011
जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है। अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।। बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंस...
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सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

दीप बन जग में उजियारा फैलाएं....

अक्तूबर 24, 2011
दीपावली की गहन अंधियारी रात्रि में जब हरतरफ पटाखों के शोरगुल और धुएं से उपजे प्रदूषण के बीच अन्धकार को मिटाने को उद्धत छोटे से टिम...
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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!

अक्तूबर 14, 2011
स्वर्ण लदा गधा किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है। शैतान से न डरने वाला आदमी धनवान बन जाता है ।। अक्सर धन ढेर सारी त्रुटियों में...
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रविवार, 11 सितंबर 2011

भूलते भागते पल

सितंबर 11, 2011
सुबह बच्चों का टिफिन तैयार करते समय किचन की खुली खिड़की से रह-रहकर बरसती फुहारें सावन की मीठी-मीठी याद दिलाती रही। सावन आते ही आँगन में नीम...
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मंगलवार, 23 अगस्त 2011

तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है

अगस्त 23, 2011
जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है।  जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है। ।  नदी पार करने वाले उसकी गह...
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मंगलवार, 26 जुलाई 2011

शनिवार, 2 जुलाई 2011

बुधवार, 1 जून 2011

खुशमिजाज बुलबुल का मेरे घर आना

जून 01, 2011
जेठ की तन झुलसा देने वाली दुपहरी में लू की थपेड़ों से बेखबर मेरे द्वार पर मनीप्लांट पर हक़ जमाकर उसके झुरमुट में अपना घरौंदा बना कर बै...
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शुक्रवार, 20 मई 2011