Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

बुधवार, 25 मई 2022

उसे तूफानों से टकराना ठीक नहीं

मई 25, 2022
कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले  हकीकत का सामना करने से डरते हैं  जो हौंसला रखते सागर पार करने की  वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं  ऊं...
और पढ़ें>>

रविवार, 8 मई 2022

शनिवार, 7 मई 2022

मंगलवार, 3 मई 2022

बुलेवर्ड स्ट्रीट की एक शाम

मई 03, 2022
पिछले दो वर्ष से अधिक समय से कोरोना के मारे घर में मुर्गा-मुर्गियों के दबड़े की तरह उसमें दुबक कर रह गए थे। अभी मौसम का मिजाज क्या गर्मियाया ...
और पढ़ें>>

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

मंगलवार, 15 मार्च 2022

शुक्रवार, 4 मार्च 2022

सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

कविता संग्रह का उपहार

फ़रवरी 28, 2022
आज सुबह जैसे ही मैं जागी तो मैंने देखा कि मेरे पतिदेव बड़ी उत्सुकता के साथ मेरे सामने खूबसूरत पैकिंग किया हुआ उपहार अपने हाथों में पकड़े हुए ख...
और पढ़ें>>

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

सोमवार, 24 जनवरी 2022

समीक्षा - कविता रावत का रचना संसार

जनवरी 24, 2022
समीक्षक : ब्लॉगर रवि रतलामी  समीक्ष्य कृतियाँ - 1 - होठों पर तैरती मुस्कान 2 - लोक उक्ति में कविता 3 - कुछ भूली-बिसरी यादें 4 - कुछ खट्टे-मी...
और पढ़ें>>

बुधवार, 5 जनवरी 2022

पुस्तक प्रकाशन और समीक्षा

जनवरी 05, 2022
हर कोई लिखने वाला दिल से चाहेगा कि यदि उसका लिखा एक पुस्तक के स्वरुप में उसके सामने आ जाय तो वह पल उसके लिए कितना बड़ा सुखकर होगा!  लेकिन यह ...
और पढ़ें>>

शनिवार, 1 जनवरी 2022

ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन

जनवरी 01, 2022
मरुस्थली अन्तःस्थल में भरें संवेदना सहयोग, त्याग, उदारता से भरे मन परस्पर विरोध-विग्रह दूर हों सभी के कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन बीज सा गलकर...
और पढ़ें>>

रविवार, 19 दिसंबर 2021

ढपली और झुनझुने का गणित | हिन्‍दी कहानी |

दिसंबर 19, 2021
गर्मियों के दिन थे। सुबह-सुबह सेठ जी अपने बगीचे में घूमते-घामते ताजी-ताजी हवा का आनन्द उठा रहा थे। फल-फूलों से भरा बगीचा माली की मेहनत की रं...
और पढ़ें>>

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2021

कुत्तों के भौंकने से हाथी अपना रास्ता नहीं बदलता है

अक्तूबर 26, 2021
आदमी काम से नहीं चिन्ता से जल्दी मरता है  गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है धन-सम्पदा चिन्ता और भय अपने साथ लाती है  धीरे-धीरे कई च...
और पढ़ें>>

सोमवार, 20 सितंबर 2021

माटी की मूरत

सितंबर 20, 2021
गीली सी मिट्टी से भर के अपनी मुट्ठी  सोचा मैंने बनाऊँ माटी की मूरत ऐसी  डूबूँ जिसको ढ़ालते-बनाते मैं ऐसे कि  दिखे मुझे वह सपनों की दुनिया जैस...
और पढ़ें>>