एक हमारा प्यारा तोता
जो ओरियो ' है कहलाता
बोली हमारी वह सीखता
फिर उसको है दोहराता
चोंच उसकी है लाल-लाल
ठुमक-ठुमक है उसकी चाल
सारे घर-भर वह घूमता फिरता
जो ओरियो ' है कहलाता
बोली हमारी वह सीखता
फिर उसको है दोहराता
चोंच उसकी है लाल-लाल
ठुमक-ठुमक है उसकी चाल
सारे घर-भर वह घूमता फिरता
बस अपनी अपनी सुनाता रहता
सुबह सवेरे जब वह उठता
ऊँगली छोड़ सीधे कंधे बैठता
टुकुर-टुकुर जब मुँह देखता
बड़ा प्यारा-प्यारा वह लगता
दाने, बीज, आम, अमरूद खाता
लाल-हरी मिर्च उसे खूब भाता
फलियाँ वह अपने पंजे से पकड़ता
चोंच से काटकर बड़े मजे से खाता
जब भी कोई उसको है देखता
सुबह सवेरे जब वह उठता

टुकुर-टुकुर जब मुँह देखता
बड़ा प्यारा-प्यारा वह लगता
दाने, बीज, आम, अमरूद खाता
लाल-हरी मिर्च उसे खूब भाता
फलियाँ वह अपने पंजे से पकड़ता
चोंच से काटकर बड़े मजे से खाता
जब भी कोई उसको है देखता
उससे वह बहुत प्यार जताता
जैसे ही वह अपना हाथ बढ़ाता
झट वह उसके कांधे चढ़ जाता
....कविता रावत
हमारे स्कूल के समय तो हमें प्रोजेक्ट बनाने को मिलते नहीं थे, लेकिन आजकल स्कूल से बच्चों को प्रोजेक्ट बनाने को मिलता है तो मां-बाप को भी उसके लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे ही बच्चों को स्कूल से प्रोजेक्ट के लिए एक ’पक्षी अथवा जानवर’ में कविता लिखने थी, तो बच्चों के साथ थोड़ी कोशिश करने के बाद अपने पालतू तोते ’ओरियो’ को देखकर यह कविता बन पड़ी। बहुत प्यारा है हमारा 'ओरियो' उसके बारे में फिर कभी लिखूँगी।
जैसे ही वह अपना हाथ बढ़ाता
झट वह उसके कांधे चढ़ जाता
....कविता रावत
हमारे स्कूल के समय तो हमें प्रोजेक्ट बनाने को मिलते नहीं थे, लेकिन आजकल स्कूल से बच्चों को प्रोजेक्ट बनाने को मिलता है तो मां-बाप को भी उसके लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे ही बच्चों को स्कूल से प्रोजेक्ट के लिए एक ’पक्षी अथवा जानवर’ में कविता लिखने थी, तो बच्चों के साथ थोड़ी कोशिश करने के बाद अपने पालतू तोते ’ओरियो’ को देखकर यह कविता बन पड़ी। बहुत प्यारा है हमारा 'ओरियो' उसके बारे में फिर कभी लिखूँगी।