अगस्त 2013 - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

शनिवार, 17 अगस्त 2013

सावन के झूले और उफनते नदी-नाले

अगस्त 17, 2013 23
ग्रीष्मकाल आया तो धरती पर रहने वाले प्राणी ही नहीं अपितु धरती भी झुलसने लगी। खेत-खलियान मुरझाये तो फसल कुम्हालाने लगी। घास सूखी तो फूलों...
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गुरुवार, 1 अगस्त 2013

घर से बाहर एक घर ||Ghar se Bahar ek Ghar|

अगस्त 01, 2013 61
हिन्दी साहित्य के प्रति मेरा रूझान बचपन से रहा है। बचपन में जब पाठशाला जाने से पहले दूसरे बच्चों की तरह हम भी घर में धमा-चौकड़ी मचाते हु...
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