घर से बाहर एक घर ||Ghar se Bahar ek Ghar| - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

गुरुवार, 1 अगस्त 2013

घर से बाहर एक घर ||Ghar se Bahar ek Ghar|

हिन्दी साहित्य के प्रति मेरा रूझान बचपन से रहा है। बचपन में जब पाठशाला जाने से पहले दूसरे बच्चों की तरह हम भी घर में धमा-चौकड़ी मचाते हुए खेल-खेल में बड़े बच्चों के साथ-साथ उनसे छोटी-छोटी हिन्दी कवितायेँ सीखने-गुनगुनाने लगते तो हमारे मासूम चेहरे पर ख़ुशी खिल उठती। यदपि मैंने स्कूल की पढ़ाई के बाद कालेज में कामर्स विषय का चयन किया तथापि मेरा हिन्दी साहित्य से गहन जुड़ाव बना रहा। हिन्दी कविता, कहानी हो या उपन्यास जब भी मुझे समय मिलता है पढ़ती रहती हूँ ।
कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही कभी-कभी लिखने का विचार जाग्रत हो उठता, किन्तु क्या लिखूं, यह तय कर पाती इससे पहले ही पढ़ाई के साथ ही दूसरे जरूरी काम सामने आते ही उस पर विराम चिन्ह लग जाता। अब सोचती हूँ शायद वह समय मेरे लेखन के लिए उपयुक्त न था। सच कहते हैं कि जब जिसका समय तय होता है, वह तभी आता है। वह समय भी आया जब भोपाल गैस त्रासदी के बाद की एक घटना जिसमें गैस रिसने के समय अफरा-तफरी में मैंने एक स्त्री को अपने पति और इकलौते बेटे को खोने से बद्हवास रोते-कलपते अपने सामने पाया। हम भी उस समय अन्य लोगों की तरह इस त्रासदी के शिकार होने से बचने के लिए इधर-उधर जान बचाकर भाग रहे थे। हमारी जान बच गई लेकिन वे त्रासदी के दिन जेहन में आज भी जस के तस पैठ बनाए हुए हैं। मैं जब भी उस त्रासदी को याद कर ऑंखें मूंदती वह अनजान स्त्री सामने नज़र आती। उसके बारे में जब लिखा तो वह मेरी पहली कविता थी। जिसे मैंने असहाय वेदना नाम दिया, जिसे मैं अपनी गहन संवेदना की परिणति कह सकती हूं। वह समय था तब से जब भी कोई घटना, संवेदनशील दृश्य या कोई ऐसी बात जो मेरे अन्तर्मन में गहरी उतर कर मुझे अस्थिर, बेचैन करती है, तब मैं उसे शब्दों के माध्यम से बुनने लगती हूं, जिससे मुझे गहरी आत्मसन्तुष्टि का आभास होता है।
ब्लॉग को मैं अपने घर से बाहर का एक घर-परिवार मानती हूं। जहाँ मैं अपनी भावनाओं, विचारों को बांट पाती हूँ। 2 अगस्त को मेरा ब्लॉग ४ वर्ष का होगा। २ अगुस्त 2009 को जब मैंने अपनी पहली रचना सबको नाच नचाता पैसा पोस्ट की तो तब मुझे इतना भर मालूम था कि यहाँ लिखने से देश-विदेश के लोग देख-पढ़ लेते हैं। लेकिन जब मैंने 10-15 दिन बाद उस पर प्रोत्साहित करते कुछ ब्लोगर्स के कमेंट देखे तो मुझे बहुत खुशी हुई, जिससे मैं उत्साहित होकर ब्लॉग की दुनिया से जुड़ गई। मैं लिखने के लिए कभी भी किसी तीन-पांच में नहीं पड़ती। अपने नित्य-प्रतिदिन की दिनचर्या के बीच जो भी देखती-सुनती हूं, उसे ही अपने शब्दों में समेट लेती हूं। मेरा मानना है कि जिस प्रकार पेड़ अपने आकर्षण शक्ति से बादलों को खींचकर बरसने के लिए विवश कर देते हैं, उसी प्रकार हम भी जब अपने मन की उथल-पुथल या आस-पास के सामाजिक परिवेश की घटनाओं, परिदृश्यों के प्रति गहन संवेदनशीलता महसूस करते हैं तब वह उमड़-घुमड़ कर शब्दों के माध्यम से छलक उठता है। 
हिन्दी भाषी होने से मुझे हिंदी में लिखने-पढने में कोई कठिनाई नहीं होती। इसलिए मुझे सरल और सहज रूप में लिखना अच्छा लगता है। वैसे भी हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है तथा इसके जानने एवं बोलने वाले लगभग सभी राज्यों में पाए जाते है। कई राज्यों में तो तो हिन्दी राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित है। इसलिए मेरा प्रयास रहता है कि मैं जो भी लिखूं पढने वालों को सरलता से समझ आये। यदपि जिस तरह हिन्दी का वर्तमान स्वरूप बदलता जा रहा है और उसकी प्रतिष्ठा कम होने के साथ ही इसको कुछ लोगों द्वारा भूमंडलीकरण के दौर में व्यावसायिक रूप देते हुए बिकाऊ बनाकर नाम और पैसा दोनों कमाया जा रहा है, उसे देख मन को बहुत दुःख पहुँचता है, इसे हिन्दी का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा। फिर भी ऐसी स्थिति में इसे पूर्ववत गरिमामय बनाने का जो प्रयास आजकल हिंदी ब्लोग्गर्स के माध्यम से किया जा रहा है, वह सराहनीय और अनुकरणीय ही नहीं, बल्कि हिन्दी को अपना गौरवपूर्ण स्वरूप दिलाने की दिशा में अभूतपूर्व कदम है। इसको हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक क्रांति कहा जाय तो शायद अतिश्योक्ति न होगी। वर्तमान समय में इंटरनेट के प्रति लोगों का रूझान बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पहले जहाँ इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा का एकाधिकार समझा जाता था, वहीं आज मकड़जाल की तरह विश्व भर के विभिन्न भाषा-भाषी लोग अपनी बोली, भाषा के साथ स्थानीयता के दायरे से बाहर निकलकर देश-दुनिया भर में अपने कदम निरन्तर बढ़ाते जा रहे हैं। धीरे-धीरे ही सही इंटरनेट के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में जिस तेजी से प्रगति हो रही है, उसे हिन्दी भाषा के स्वर्णिम युग की शुरूआत कहने में मुझे जरा भी हिचक नहीं। मैं अपने को धन्य समझती हूं कि भले ही मैं साहित्यकार की हैसियत नहीं रखती लेकिन ब्लॉग के माध्यम से जो कुछ मैं हिन्दी को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाकर कर पा रही हूं, यह मेरे लिए किसी सुखद सपने से कम नहीं। 
मैं अपने ब्लॉग के 4 वर्ष पूर्ण होने पर अपने उन सभी सहयोगी ब्लागरों, पाठकों और हिन्दी समाचार पत्र सम्पादकों का हृदय से आभारी हूँ, जो अपने स्नेह, मार्गदर्शन से समय-समय पर प्रोत्साहित कर भागदौड़ भरी जिन्दगी के बीच मुझे लिखने-पढ़ने के लिए निरन्तर प्रेरित कर मेरा उत्साहवर्धन कर मेरे साथ बने रहते हैं।

......कविता रावत




60 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें .... मन को अभिव्यक्त करना ही सहज और सरल है .... और यह काम अपनी मातृभाषा में ही संभव है ।

अनुपमा पाठक ने कहा…

बधाई एवं शुभकामनायें!

Arun sathi ने कहा…

aabhaar.....

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें ...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत बहुत बधाई.... यूँ ही लिखती रहें , शुभकामनायें

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत-बहुत शुभकामनाएं..

Ranjana verma ने कहा…

ब्लॉग के चार साल हो के लिए बहुत बहुत बधाई !!

Surya ने कहा…

मैं अपने को धन्य समझती हूं कि भले ही मैं साहित्यकार की हैसियत नहीं रखती लेकिन ब्लॉग के माध्यम से जो कुछ मैं हिन्दी को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाकर कर पा रही हूं, यह मेरे लिए किसी सुखद सपने से कम नहीं।

चिंता न करे कविता जी! आपको हमेशा पढता हूँ इसलिए कहता हूँ कि इसी तरह लिखते रहोगे तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी साहित्यकारों में आपका नाम भी शुमार होगा!
ब्लॉग के ४ बर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई!

Maheshwari kaneri ने कहा…

कविता जी,ब्लॉग के चार साल होने के लिए आप को बहुत बहुत बधाई !!आप की लेखनी यूँ ही चलती रहे..फलती फूलती रहे...

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

कविता जी,ब्लॉग के चार वर्ष होने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !
latest post,नेताजी कहीन है।
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

आपको बहुत-बहुत बधाई और भावी मंगलकामनाएं।

yashoda Agrawal ने कहा…

अग्रिम बधाइयाँ
कल 2 अगस्त
एक अविस्मरणीय दिन
कल आपकी उम्र के
चार वर्ष पूर्ण हो जाएँगे
इस प्यारे से..
न्यारे से
ब्लाग जगत में
हार्दिक शुभकामनाएँ

बेनामी ने कहा…

बधाई तथा हार्दिक शुभकामनाएं

Unknown ने कहा…

वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.बधाई तथा हार्दिक शुभकामनाएं
कभी यहाँ भी पधारें

दिगम्बर नासवा ने कहा…

चार साल पूरे होने पे बधाई और शुभकामनायें ... अपनी मातृभाषा में समझना और समझाना आसान होता है ... आप ऐसे ही लिखती रहें पढ़ना अच्छा लगता है आपको ... ब्लॉग पे लिखना अपने मन को सहज ही मित्रों के साथ बांटना एक सुखद अनुभव होता है ...

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत-बहुत शुभकामनाएं..

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

"ब्लॉग को मैं अपने घर से बाहर का एक घर-परिवार मानती हूं। जहाँ मैं अपनी भावनाओं, विचारों को बांट पाती हूँ। 2 अगस्त को मेरा ब्लॉग ४ वर्ष का होगा।"
हार्दिक शुभकामनाएँ !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

शुभकामनायें.. व बधाई :)

शूरवीर रावत ने कहा…

इन चार वर्षों में आठ सौ इक्कीस रचनाओं के साथ ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति बनी रही, आठ सौ इक्कीस लोग आपके मित्र बने (जिनमें से एक मैं भी हूँ), बयासी हजार एक सौ कमेण्ट आपके ब्लॉग पर आये और कम से कम आठ हजार दो सौ दस बार कमेण्ट पढकर आप मुस्कराई भी होंगी।
हैं न आश्चर्य कविता जी। यह उपलब्धि है आपके साहित्य प्रेम की। !!!! बधाई !!!!!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बहुत बधाई


सादर

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

yun hi chalti rahe lekhni ....shubhkamnaayen ..

ARUNIMA ने कहा…

मैने तो आज ही ब्लाग बनाया है,
आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं..

kshama ने कहा…

मैं लिखने के लिए कभी भी किसी तीन-पांच में नहीं पड़ती। अपने नित्य-प्रतिदिन की दिनचर्या के बीच जो भी देखती-सुनती हूं, उसे ही अपने शब्दों में समेट लेती हूं। मेरा मानना है कि जिस प्रकार पेड़ अपने आकर्षण शक्ति से बादलों को खींचकर बरसने के लिए विवश कर देते हैं, उसी प्रकार हम भी जब अपने मन की उथल-पुथल या आस-पास के सामाजिक परिवेश की घटनाओं, परिदृश्यों के प्रति गहन संवेदनशीलता महसूस करते हैं तब वह उमड़-घुमड़ कर शब्दों के माध्यम से छलक उठता है।
Achha lekhan aisahee to hota hai!

Mamta Bajpai ने कहा…

bahut bahut badhai

Shikha Kaushik ने कहा…

badhai blog yatra ke char varsh poore hone par .

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

आप निरंतर यूँ ही लिखती रहे,,,यही मेरी शुभकामनाए है आपको,,,

RECENT POST: तेरी याद आ गई ...

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

ब्लाग के पांचवें वर्ष में प्रवेश करने पर हार्दिक मंगलकामनाएं। हमें उम्मीद है कि निरंतर कुछ नया आपसे सीखने को मिलता रहेगा।

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

आपकी ब्लाग यात्रा चार वर्ष की हुयी अतः शुभ कामनाये स्वीकार कीजिये।

Dr. Shorya ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें ..

RAJ ने कहा…

ब्लॉग की सफलतापूर्वक की ४ साल पूरे होने पर हार्दिक बधाई
चलता रहे ..बढ़ता रहे ये घर परिवार ...घर संसार ...

vijay ने कहा…

आपने ब्लाग सफ़र के स्वर्णिम चार वर्ष पूर्ण किये,,,, आपको बहुत बहुत शुभकामनायें ...ऐसे ही बढे चलो!!!!!!!!

PS ने कहा…

ब्लॉग वर्षगांठ पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

वसुन्धरा पाण्डेय ने कहा…

स्वर्णिम चार वर्ष पुरे होने की बहुत बहुत बधाई कविता जी...बहुत शुभकामनाये...आप प्रगति के पथ पर यूँही अग्रसर रहें...!!

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

चतुर्थ वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाइयाँ.

सुंदर आलेख. सचमुच ,घर के बाहर भी एक घर है.........

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर
बहुत-बहुत बधाई
और हार्दिक शुभकामनायें ....

Arvind Mishra ने कहा…

आपकी यह अभिरूचि बरकरार रहे -शुभकामनाएं!

Arogya Bharti ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें!

kuldeep thakur ने कहा…

आप का 4 वर्ष का समय हिंदी ब्लौगर्स के लिये लाभप्रद साबित हुआ। मेरी भधाई स्विकार करें।

Ramakant Singh ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें **************

Guzarish ने कहा…

कविता जी बहुत बहुत बधाई
ऐसे हि पग बढ़ाते रहें

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बहुत बधाइयाँ, अब तो यह भी घर का हिस्सा बन चुका है।

Neeraj Neer ने कहा…

बहुत बहुत बधाई .. हमेशा आगे बढ़ते रहिये ..

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें ...

आई [मेरी माँ] ने कहा…

बहुत बधाई और शुभकामनायें ..

ZEAL ने कहा…

Congrats and best wishes.

Dolly ने कहा…

असहाय वेदना से जो आह निकली उसे आज दुनिया भर के लोग यूँ ही तो नहीं पसंद करते हैं .........इसी तरह हिंदी का उत्थान करने से कभी पीछे नहीं हटना ....
ब्लॉग के सुनहरे ४ वर्ष पूरे होने पर बधाई!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

Satish Saxena ने कहा…

आप योग्य हैं ..
आप अपनी पहचान छोड़ने में कामयाब हैं !

देवदत्त प्रसून ने कहा…

कविता बहिन दुर्घटना में हाथ टूटने से आप सब से इतने समय से अलग रहने का दंश झेलना पड़ा |अभी भी दाहिने हाथ की उंगलियाँ सीधी नहीं हो पा रही हैं |आप की औपन्यासिक रूचि सराहनीय है |इस वित्त्वादी युग में भी आप जसे लोग साहित्य से जुड़े रहते हैं |यह समय का सौभाग्य है |आप का यह संस्मरण अच्छा लगा | स्साधुवाद !

Rohit Singh ने कहा…

देखते देखते 4 साल हो गए..आप काफी सक्रिय हैं..सक्रिय हम भी हैं पर आपकी तरह उर्जावान नहीं...वरना यहां भी 4 साल होने को आए पर हाल ही में सैकड़ा लगा पाया....वो भी तब जब अपने छड़े छांट हैं..यानि अकेले...आप एक परिवार को संभाल रही हैं फिर भी आप अपनी अभिव्यक्ति को रुकने नहीं दे रही हैं..ये काबिलेतारीफ बात है.....बहुत बहुत मुबारक हो आपको....

mark rai ने कहा…

आपने बिलकुल सही कहा ....यह एक परिवार की तरह ही तो है ...जहाँ पर हम लगातार मिलते है और कुछ बातें करते है ... जब कोई कई दिनों तक दिखाई नहीं देता तो उसे याद करते है ....आपकी रचनाएं हमेशा ऐसे ही पढने को मिलती रहे .....और आपने बिलकुल सही कहा की कोई भी शुरुआत एक उचित समय पर ही होती है .

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

ब्लाग के चार वर्ष पूरे होने पर ढेरों शुभकामनाऎं !

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ब्लॉग के सुनहरे ४ वर्ष पूरे होने पर बधाई..... !!!!!!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

badhai.....
ईद मुबारक...عید مبارک.....EID Mubarak

Unknown ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें!!

Rajput ने कहा…

आप युही लिखती रहे,आपको ब्लाग के चार वर्ष पूरे होने पर ढेरों शुभकामनाऎं !

Unknown ने कहा…

Congratulation!!!

बेनामी ने कहा…

ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें!!

Darshan jangra ने कहा…

ब्लाग के चार वर्ष पूरे होने पर ढेरों शुभकामनाऎं !

Ankur Jain ने कहा…

आपकी लेखन शक्ति ने ही आपके ब्लॉग को इस आयाम तक पहुंचाया है..बधाई।।।

virendra sharma ने कहा…

आंखन देखि -तू कहता मसि कागद लेखी मैं कहता आंखन देखि। बहुत बढ़िया पोस्ट है आपकी। मुबारक ये दिल के सहज उद्गारों से निकला साहित्य निर्झर। सोता।