हिन्दी साहित्य के प्रति मेरा रूझान बचपन से रहा है। बचपन में जब पाठशाला जाने से पहले दूसरे बच्चों की तरह हम भी घर में धमा-चौकड़ी मचाते हुए खेल-खेल में बड़े बच्चों के साथ-साथ उनसे छोटी-छोटी हिन्दी कवितायेँ सीखने-गुनगुनाने लगते तो हमारे मासूम चेहरे पर ख़ुशी खिल उठती। यदपि मैंने स्कूल की पढ़ाई के बाद कालेज में कामर्स विषय का चयन किया तथापि मेरा हिन्दी साहित्य से गहन जुड़ाव बना रहा। हिन्दी कविता, कहानी हो या उपन्यास जब भी मुझे समय मिलता है पढ़ती रहती हूँ ।
कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही कभी-कभी लिखने का विचार जाग्रत हो उठता, किन्तु क्या लिखूं, यह तय कर पाती इससे पहले ही पढ़ाई के साथ ही दूसरे जरूरी काम सामने आते ही उस पर विराम चिन्ह लग जाता। अब सोचती हूँ शायद वह समय मेरे लेखन के लिए उपयुक्त न था। सच कहते हैं कि जब जिसका समय तय होता है, वह तभी आता है। वह समय भी आया जब भोपाल गैस त्रासदी के बाद की एक घटना जिसमें गैस रिसने के समय अफरा-तफरी में मैंने एक स्त्री को अपने पति और इकलौते बेटे को खोने से बद्हवास रोते-कलपते अपने सामने पाया। हम भी उस समय अन्य लोगों की तरह इस त्रासदी के शिकार होने से बचने के लिए इधर-उधर जान बचाकर भाग रहे थे। हमारी जान बच गई लेकिन वे त्रासदी के दिन जेहन में आज भी जस के तस पैठ बनाए हुए हैं। मैं जब भी उस त्रासदी को याद कर ऑंखें मूंदती वह अनजान स्त्री सामने नज़र आती। उसके बारे में जब लिखा तो वह मेरी पहली कविता थी। जिसे मैंने असहाय वेदना नाम दिया, जिसे मैं अपनी गहन संवेदना की परिणति कह सकती हूं। वह समय था तब से जब भी कोई घटना, संवेदनशील दृश्य या कोई ऐसी बात जो मेरे अन्तर्मन में गहरी उतर कर मुझे अस्थिर, बेचैन करती है, तब मैं उसे शब्दों के माध्यम से बुनने लगती हूं, जिससे मुझे गहरी आत्मसन्तुष्टि का आभास होता है।
ब्लॉग को मैं अपने घर से बाहर का एक घर-परिवार मानती हूं। जहाँ मैं अपनी भावनाओं, विचारों को बांट पाती हूँ। 2 अगस्त को मेरा ब्लॉग ४ वर्ष का होगा। २ अगुस्त 2009 को जब मैंने अपनी पहली रचना सबको नाच नचाता पैसा पोस्ट की तो तब मुझे इतना भर मालूम था कि यहाँ लिखने से देश-विदेश के लोग देख-पढ़ लेते हैं। लेकिन जब मैंने 10-15 दिन बाद उस पर प्रोत्साहित करते कुछ ब्लोगर्स के कमेंट देखे तो मुझे बहुत खुशी हुई, जिससे मैं उत्साहित होकर ब्लॉग की दुनिया से जुड़ गई। मैं लिखने के लिए कभी भी किसी तीन-पांच में नहीं पड़ती। अपने नित्य-प्रतिदिन की दिनचर्या के बीच जो भी देखती-सुनती हूं, उसे ही अपने शब्दों में समेट लेती हूं। मेरा मानना है कि जिस प्रकार पेड़ अपने आकर्षण शक्ति से बादलों को खींचकर बरसने के लिए विवश कर देते हैं, उसी प्रकार हम भी जब अपने मन की उथल-पुथल या आस-पास के सामाजिक परिवेश की घटनाओं, परिदृश्यों के प्रति गहन संवेदनशीलता महसूस करते हैं तब वह उमड़-घुमड़ कर शब्दों के माध्यम से छलक उठता है।
हिन्दी भाषी होने से मुझे हिंदी में लिखने-पढने में कोई कठिनाई नहीं होती। इसलिए मुझे सरल और सहज रूप में लिखना अच्छा लगता है। वैसे भी हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है तथा इसके जानने एवं बोलने वाले लगभग सभी राज्यों में पाए जाते है। कई राज्यों में तो तो हिन्दी राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित है। इसलिए मेरा प्रयास रहता है कि मैं जो भी लिखूं पढने वालों को सरलता से समझ आये। यदपि जिस तरह हिन्दी का वर्तमान स्वरूप बदलता जा रहा है और उसकी प्रतिष्ठा कम होने के साथ ही इसको कुछ लोगों द्वारा भूमंडलीकरण के दौर में व्यावसायिक रूप देते हुए बिकाऊ बनाकर नाम और पैसा दोनों कमाया जा रहा है, उसे देख मन को बहुत दुःख पहुँचता है, इसे हिन्दी का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा। फिर भी ऐसी स्थिति में इसे पूर्ववत गरिमामय बनाने का जो प्रयास आजकल हिंदी ब्लोग्गर्स के माध्यम से किया जा रहा है, वह सराहनीय और अनुकरणीय ही नहीं, बल्कि हिन्दी को अपना गौरवपूर्ण स्वरूप दिलाने की दिशा में अभूतपूर्व कदम है। इसको हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक क्रांति कहा जाय तो शायद अतिश्योक्ति न होगी। वर्तमान समय में इंटरनेट के प्रति लोगों का रूझान बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पहले जहाँ इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा का एकाधिकार समझा जाता था, वहीं आज मकड़जाल की तरह विश्व भर के विभिन्न भाषा-भाषी लोग अपनी बोली, भाषा के साथ स्थानीयता के दायरे से बाहर निकलकर देश-दुनिया भर में अपने कदम निरन्तर बढ़ाते जा रहे हैं। धीरे-धीरे ही सही इंटरनेट के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में जिस तेजी से प्रगति हो रही है, उसे हिन्दी भाषा के स्वर्णिम युग की शुरूआत कहने में मुझे जरा भी हिचक नहीं। मैं अपने को धन्य समझती हूं कि भले ही मैं साहित्यकार की हैसियत नहीं रखती लेकिन ब्लॉग के माध्यम से जो कुछ मैं हिन्दी को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाकर कर पा रही हूं, यह मेरे लिए किसी सुखद सपने से कम नहीं।
मैं अपने ब्लॉग के 4 वर्ष पूर्ण होने पर अपने उन सभी सहयोगी ब्लागरों, पाठकों और हिन्दी समाचार पत्र सम्पादकों का हृदय से आभारी हूँ, जो अपने स्नेह, मार्गदर्शन से समय-समय पर प्रोत्साहित कर भागदौड़ भरी जिन्दगी के बीच मुझे लिखने-पढ़ने के लिए निरन्तर प्रेरित कर मेरा उत्साहवर्धन कर मेरे साथ बने रहते हैं।
60 टिप्पणियां:
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें .... मन को अभिव्यक्त करना ही सहज और सरल है .... और यह काम अपनी मातृभाषा में ही संभव है ।
बधाई एवं शुभकामनायें!
aabhaar.....
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें ...
बहुत बहुत बधाई.... यूँ ही लिखती रहें , शुभकामनायें
बहुत-बहुत शुभकामनाएं..
ब्लॉग के चार साल हो के लिए बहुत बहुत बधाई !!
मैं अपने को धन्य समझती हूं कि भले ही मैं साहित्यकार की हैसियत नहीं रखती लेकिन ब्लॉग के माध्यम से जो कुछ मैं हिन्दी को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाकर कर पा रही हूं, यह मेरे लिए किसी सुखद सपने से कम नहीं।
चिंता न करे कविता जी! आपको हमेशा पढता हूँ इसलिए कहता हूँ कि इसी तरह लिखते रहोगे तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी साहित्यकारों में आपका नाम भी शुमार होगा!
ब्लॉग के ४ बर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई!
कविता जी,ब्लॉग के चार साल होने के लिए आप को बहुत बहुत बधाई !!आप की लेखनी यूँ ही चलती रहे..फलती फूलती रहे...
कविता जी,ब्लॉग के चार वर्ष होने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !
latest post,नेताजी कहीन है।
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
आपको बहुत-बहुत बधाई और भावी मंगलकामनाएं।
अग्रिम बधाइयाँ
कल 2 अगस्त
एक अविस्मरणीय दिन
कल आपकी उम्र के
चार वर्ष पूर्ण हो जाएँगे
इस प्यारे से..
न्यारे से
ब्लाग जगत में
हार्दिक शुभकामनाएँ
बधाई तथा हार्दिक शुभकामनाएं
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.बधाई तथा हार्दिक शुभकामनाएं
कभी यहाँ भी पधारें
चार साल पूरे होने पे बधाई और शुभकामनायें ... अपनी मातृभाषा में समझना और समझाना आसान होता है ... आप ऐसे ही लिखती रहें पढ़ना अच्छा लगता है आपको ... ब्लॉग पे लिखना अपने मन को सहज ही मित्रों के साथ बांटना एक सुखद अनुभव होता है ...
बहुत-बहुत शुभकामनाएं..
"ब्लॉग को मैं अपने घर से बाहर का एक घर-परिवार मानती हूं। जहाँ मैं अपनी भावनाओं, विचारों को बांट पाती हूँ। 2 अगस्त को मेरा ब्लॉग ४ वर्ष का होगा।"
हार्दिक शुभकामनाएँ !
शुभकामनायें.. व बधाई :)
इन चार वर्षों में आठ सौ इक्कीस रचनाओं के साथ ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति बनी रही, आठ सौ इक्कीस लोग आपके मित्र बने (जिनमें से एक मैं भी हूँ), बयासी हजार एक सौ कमेण्ट आपके ब्लॉग पर आये और कम से कम आठ हजार दो सौ दस बार कमेण्ट पढकर आप मुस्कराई भी होंगी।
हैं न आश्चर्य कविता जी। यह उपलब्धि है आपके साहित्य प्रेम की। !!!! बधाई !!!!!
बहुत बहुत बधाई
सादर
yun hi chalti rahe lekhni ....shubhkamnaayen ..
मैने तो आज ही ब्लाग बनाया है,
आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं..
मैं लिखने के लिए कभी भी किसी तीन-पांच में नहीं पड़ती। अपने नित्य-प्रतिदिन की दिनचर्या के बीच जो भी देखती-सुनती हूं, उसे ही अपने शब्दों में समेट लेती हूं। मेरा मानना है कि जिस प्रकार पेड़ अपने आकर्षण शक्ति से बादलों को खींचकर बरसने के लिए विवश कर देते हैं, उसी प्रकार हम भी जब अपने मन की उथल-पुथल या आस-पास के सामाजिक परिवेश की घटनाओं, परिदृश्यों के प्रति गहन संवेदनशीलता महसूस करते हैं तब वह उमड़-घुमड़ कर शब्दों के माध्यम से छलक उठता है।
Achha lekhan aisahee to hota hai!
bahut bahut badhai
badhai blog yatra ke char varsh poore hone par .
आप निरंतर यूँ ही लिखती रहे,,,यही मेरी शुभकामनाए है आपको,,,
RECENT POST: तेरी याद आ गई ...
ब्लाग के पांचवें वर्ष में प्रवेश करने पर हार्दिक मंगलकामनाएं। हमें उम्मीद है कि निरंतर कुछ नया आपसे सीखने को मिलता रहेगा।
आपकी ब्लाग यात्रा चार वर्ष की हुयी अतः शुभ कामनाये स्वीकार कीजिये।
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें ..
ब्लॉग की सफलतापूर्वक की ४ साल पूरे होने पर हार्दिक बधाई
चलता रहे ..बढ़ता रहे ये घर परिवार ...घर संसार ...
आपने ब्लाग सफ़र के स्वर्णिम चार वर्ष पूर्ण किये,,,, आपको बहुत बहुत शुभकामनायें ...ऐसे ही बढे चलो!!!!!!!!
ब्लॉग वर्षगांठ पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
स्वर्णिम चार वर्ष पुरे होने की बहुत बहुत बधाई कविता जी...बहुत शुभकामनाये...आप प्रगति के पथ पर यूँही अग्रसर रहें...!!
चतुर्थ वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाइयाँ.
सुंदर आलेख. सचमुच ,घर के बाहर भी एक घर है.........
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर
बहुत-बहुत बधाई
और हार्दिक शुभकामनायें ....
आपकी यह अभिरूचि बरकरार रहे -शुभकामनाएं!
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें!
आप का 4 वर्ष का समय हिंदी ब्लौगर्स के लिये लाभप्रद साबित हुआ। मेरी भधाई स्विकार करें।
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें **************
कविता जी बहुत बहुत बधाई
ऐसे हि पग बढ़ाते रहें
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बहुत बधाइयाँ, अब तो यह भी घर का हिस्सा बन चुका है।
बहुत बहुत बधाई .. हमेशा आगे बढ़ते रहिये ..
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें ...
बहुत बधाई और शुभकामनायें ..
Congrats and best wishes.
असहाय वेदना से जो आह निकली उसे आज दुनिया भर के लोग यूँ ही तो नहीं पसंद करते हैं .........इसी तरह हिंदी का उत्थान करने से कभी पीछे नहीं हटना ....
ब्लॉग के सुनहरे ४ वर्ष पूरे होने पर बधाई!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
आप योग्य हैं ..
आप अपनी पहचान छोड़ने में कामयाब हैं !
कविता बहिन दुर्घटना में हाथ टूटने से आप सब से इतने समय से अलग रहने का दंश झेलना पड़ा |अभी भी दाहिने हाथ की उंगलियाँ सीधी नहीं हो पा रही हैं |आप की औपन्यासिक रूचि सराहनीय है |इस वित्त्वादी युग में भी आप जसे लोग साहित्य से जुड़े रहते हैं |यह समय का सौभाग्य है |आप का यह संस्मरण अच्छा लगा | स्साधुवाद !
देखते देखते 4 साल हो गए..आप काफी सक्रिय हैं..सक्रिय हम भी हैं पर आपकी तरह उर्जावान नहीं...वरना यहां भी 4 साल होने को आए पर हाल ही में सैकड़ा लगा पाया....वो भी तब जब अपने छड़े छांट हैं..यानि अकेले...आप एक परिवार को संभाल रही हैं फिर भी आप अपनी अभिव्यक्ति को रुकने नहीं दे रही हैं..ये काबिलेतारीफ बात है.....बहुत बहुत मुबारक हो आपको....
आपने बिलकुल सही कहा ....यह एक परिवार की तरह ही तो है ...जहाँ पर हम लगातार मिलते है और कुछ बातें करते है ... जब कोई कई दिनों तक दिखाई नहीं देता तो उसे याद करते है ....आपकी रचनाएं हमेशा ऐसे ही पढने को मिलती रहे .....और आपने बिलकुल सही कहा की कोई भी शुरुआत एक उचित समय पर ही होती है .
ब्लाग के चार वर्ष पूरे होने पर ढेरों शुभकामनाऎं !
ब्लॉग के सुनहरे ४ वर्ष पूरे होने पर बधाई..... !!!!!!
badhai.....
ईद मुबारक...عید مبارک.....EID Mubarak
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें!!
आप युही लिखती रहे,आपको ब्लाग के चार वर्ष पूरे होने पर ढेरों शुभकामनाऎं !
Congratulation!!!
ब्लॉग के चार वर्ष होने पर बधाई और शुभकामनायें!!
ब्लाग के चार वर्ष पूरे होने पर ढेरों शुभकामनाऎं !
आपकी लेखन शक्ति ने ही आपके ब्लॉग को इस आयाम तक पहुंचाया है..बधाई।।।
आंखन देखि -तू कहता मसि कागद लेखी मैं कहता आंखन देखि। बहुत बढ़िया पोस्ट है आपकी। मुबारक ये दिल के सहज उद्गारों से निकला साहित्य निर्झर। सोता।
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