सितंबर 2009 - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

शनिवार, 26 सितंबर 2009

असहाय वेदना

सितंबर 26, 2009 17
वो पास खड़ी थी मेरे दूर कहीं की रहने वाली, दिखती थी वो मुझको ऐसी ज्यों मूक खड़ी हो डाली। पलभर उसके ऊपर उठे नयन पलभर नीचे थे झपके, पसी...
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इंसानियत भूल जाते जहाँ

सितंबर 26, 2009 6
तीज त्यौहार का शुभ अवसर मंदिर में बारंबार बजती घंटियाँ फल-फूलों से लकझक सजे देवी-देवता पूजा-अर्चना हेतु लगी लंबी-लंबी कतारें रंग-बिरंगे...
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शनिवार, 19 सितंबर 2009

लाख बहाने

सितंबर 19, 2009 8
लाख बहाने पास हमारे सच भूल, झूठ का फैला हर तरफ़ रोग, जितने रंग न बदलता गिरगिट उतने रंग बदलते लोग। नहीं पता कब किसको किसके आगे रोना-झु...
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मंगलवार, 15 सितंबर 2009

इससे पहले कि

सितंबर 15, 2009 10
इससे पहले कि कोई आप से तुम और तुम से तू पर आकर अपनी कोई दिल बहलाने की चीज़ समझ बैठे संभल जाना इससे पहले कि कोई अपनी मीठी बातों में उलझा...
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गुरुवार, 10 सितंबर 2009

समय

सितंबर 10, 2009 5
पंख होते हैं समय के पंख लगाकर उड़ जाता है पर छाया पीछे छोड़ जाता है भरोसा नहीं समय का न कुछ बोलता न दुआ सलाम करता है सबको अपने आगे झुकाकर चमत...
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