असहाय वेदना - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 26 सितंबर 2009

असहाय वेदना

वो पास खड़ी थी मेरे
दूर कहीं की रहने वाली,
दिखती थी वो मुझको ऐसी
ज्यों मूक खड़ी हो डाली।
पलभर उसके ऊपर उठे नयन
पलभर नीचे थे झपके,
पसीज गया यह मन मेरा
जब आँसू उसके थे टपके।
वीरान दिखती वो इस कदर
ज्यों पतझड़ में रहती डाली,
वो मूक खड़ी थी पास मेरे
दूर कहीं की रहने वाली।।
समझ न पाया मैं दु:ख उसका
जाने वो क्या चाहती थी,
सूनापन दिखता नयनों में
वो पल-पल आँसू बहाती थी।
निरख रही थी सूनी गोद वह
और पसार रही थी निज झोली
जब दु:ख का कारण पूछा मैंने
तब वह तनिक सहमकर बोली-
'छिन चुका था सुहाग मेरा
किन्तु अब पुत्र-वियोग है भारी,
न सुहाग न पुत्र रहा अब
खुशियाँ मिट चुकी है मेरी सारी।'
'असहाय वेदना' थी यह उसकी
गोद हुई थी उसकी खाली,
वो दुखियारी पास खड़ी थी
दूर कहीं की रहने वाली।।

Copyrigt@Kavita Rawat, Bhopal २३ फरवरी २००९

17 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut hi bhawpurn

Apanatva ने कहा…

संवेदनशीलता से ओत प्रोत है आपकी कविता |
बधाई

राकेश कौशिक ने कहा…

मानवीय वेदनाओं संवेदनाओं को दर्शाती सच्ची रचना. बधाई.

संजय भास्‍कर ने कहा…

BEHTREEN RACHNAA...

बेनामी ने कहा…

बहुत मार्मिक प्रस्तुति..

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

समझ न पाया के बजाय समझ न पाई कर लें। बहुत ही संवेदनशील कविता है।

बेनामी ने कहा…

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Ravindra Singh Yadav ने कहा…

कविता में सरलता का ऐसा समावेश तभी ही पाता है जब ऐसा शब्दचित्र वास्तविकता के करीब से गुज़रा हो। मानवीय संवेदना को झकझोर देने वाली मार्मिक कविता पाठकों से सीधा संवाद कर रही है। ऐसी भावप्रवण प्रस्तुति समाज को संवेदनशील होने में कहीं न कहीं अपनी सार्थकता की छाप छोड़ती है। बधाई।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

कविता में सरलता का ऐसा समावेश तभी ही पाता है जब ऐसा शब्दचित्र वास्तविकता के करीब से गुज़रा हो। मानवीय संवेदना को झकझोर देने वाली मार्मिक कविता पाठकों से सीधा संवाद कर रही है। ऐसी भावप्रवण प्रस्तुति समाज को संवेदनशील होने में कहीं न कहीं अपनी सार्थकता की छाप छोड़ती है। बधाई।

'एकलव्य' ने कहा…

सुन्दर ! भावपूर्ण अभिव्यक्ति। आभार

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर रचना।

शुभा ने कहा…

वाह!!बेहतरीन रचना!

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सरल गति से प्रवाहित संवेदनाओं का संप्रेषण करती रचना ।
अभिनव सृजन।

Anuradha chauhan ने कहा…

वाह बेहतरीन रचना 👌

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण सृजन
वाह!!!

Sudha Devrani ने कहा…

वाह !!!
बहुत सुन्दर सृजन
लाजवाब

Kamini Sinha ने कहा…

'असहाय वेदना' थी यह उसकी
गोद हुई थी उसकी खाली,
वो दुखियारी पास खड़ी थी
दूर कहीं की रहने वाली।।

बेहद मार्मिक रचना कविता जी ,सादर नमस्कार