2012 - Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

शनिवार, 29 दिसंबर 2012

गुरुवार, 29 नवंबर 2012

शादी-ब्याह की मौज-मस्ती में

नवंबर 29, 2012 52
बचपन में जब कभी किसी की शादी-ब्याह का न्यौता मिलता था तो मन खुशी के मारे उछल पड़ता, लगता जैसे कोई शाही भोज का न्यौता दे गया हो। तब आज की...
और पढ़ें>>

शनिवार, 10 नवंबर 2012

सबका अपना-अपना दीपावली उपहार

नवंबर 10, 2012 48
दीपावली आदिकाल में आर्यों की आर्थिक सम्पन्नता एवं हर्षोल्लास का उत्सव हुआ करती थी। जिसमें कृषि उपज को आर्थिक सम्पन्नता का मापदण्ड माना जा...
और पढ़ें>>

सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

नवरात्र-दशहरे के रंग बच्चों के संग

अक्तूबर 22, 2012 55
मार्कण्डेय पुराण के ‘देवी माहात्म्य‘ खण्ड ‘दुर्गा सप्तशती‘ में वर्णित शक्ति की अधिष्ठात्री देवी के नवरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द...
और पढ़ें>>

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

होंठों पर तैरती मुस्कान!

अक्तूबर 11, 2012 53
हर शासकीय अवकाश के दिन सरकारी कामकाज  के लिए दफ्तर पूरी तरह से बंद हों, इस बात का पता लगाना आम आदमी के लिए कोई हँसी खेल का काम तो कतई नह...
और पढ़ें>>

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

अपनों के बीच बेगानी हिन्दी

सितंबर 13, 2012 51
हर बर्ष १४ सितम्बर को देशभर में हिंदी दिवस एक बहुत बड़े पर्व की भांति सरकारी-गैर सरकारी और बड़े उद्योगों का मुख्य केंद्र बिंदु बनकर सप्ता...
और पढ़ें>>

रविवार, 26 अगस्त 2012

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

स्वतन्त्रता दिवस के लड्डू

अगस्त 14, 2012 48
कभी बचपन में हम पंद्रह अगस्त के एक दिन पहले एक सफ़ेद कागज़ पर गाढ़े लाल, हरे और नीले रंग से तिरंगा बनाकर उसे गोंद से एक लकड़ी के डंडे पर...
और पढ़ें>>

रविवार, 29 जुलाई 2012

बदलती परिस्थितियाँ और रक्षाबन्धन

जुलाई 29, 2012 48
कहा जाता है किसी देश की संस्कृति उसका हृदय व मस्तिष्क दोनों ही होती हैं ।   जनमानस प्रसन्नता और खुश होकर आनंदपूर्वक जीवन यापन कर सके, यही...
और पढ़ें>>