शादी-ब्याह की मौज-मस्ती में - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 29 नवंबर 2012

शादी-ब्याह की मौज-मस्ती में

बचपन में जब कभी किसी की शादी-ब्याह का न्यौता मिलता था तो मन खुशी के मारे उछल पड़ता, लगता जैसे कोई शाही भोज का न्यौता दे गया हो। तब आज की तरह रंग-बिरंगे शादी के कार्ड बांटने का चलन बहुत ही कम था। मौखिक रूप से ही घर-घर जाकर बड़े आग्रह से न्यौता दिया जाता था। जैसे ही घर को न्यौता मिलता बाल मन में खुशी के मारे हिलोरें उठने लगती। नए-नए कपड़े पहनने को मिलेंगे, खूब नाचना-गाना होगा और साथ ही अच्छा खाने-पीने को भी मिलेगा। यही सब ख्याल मन उमड़ते-घुमड़ते थे। किसकी किससे शादी होगी, कहाँ होगी, उसमें कौन बराती, कौन घराती होगा, सिर्फ खाना-पीना, नाचना-गाना ही चलेगा या कुछ लेना-देना भी पड़ेगा, किससे कैसा बात-व्यवहार निभाना पड़ेगा, इन तमाम बातों से कोसों दूर हम बच्चों को तो सिर्फ अपनी मस्ती और धूम-धमाल मचाने से मतलब भर था। उस समय शादी में बैण्ड बाजे की जगह ढोल-दमाऊ, मुसक बाजा, रणसिंघा (तुरी) और नगाड़े की ताल व स्वरों पर सरांव (ऐसे 2 या 4 नर्तक जो एक हाथ में ढ़ाल और दूसरे में तलवार लिए विभिन्न मुद्राओं में मनमोहक नृत्य पेश करते थे।) बारात के आगे-आगे नृत्य करते हुए गांव के चौपाल तक जब पहुंचते थे तब वहां नृत्य का जो समा बंध जाता था, उसे देखने आस-पास के गांव वाले भी सब काम धाम छोड़ सरपट दौड़े चले आते थे। हम बच्चे तो घंटों तक उनके सामानांतर अपनी धमा-चौकड़ी मचाते हुए अपनी मस्ती में डूबे नाचते-गाते रहते। घराती और बारातियों को तो खाने-पीने से ज्यादा शौक नाच-गाने का रहता था। उन्हें खाने की चिन्ता हो न हो लेकिन हम बच्चों के पेट में जल्दी ही उछल-कूद मचाने से चूहे कूदने लगते और हम जल्दी ही जैसे खाने पुकार होती वैसे ही अपनी-अपनी पत्तल संभाल कर पंगत में बैठ जाते और अपनी बारी का इंतजार करने लगते। पत्तल में गरमा-गरम दाल-भात परोसते ही हम उस पर भूखे बाघ के तरह टूट पड़ते। तब हंसी-मजाक और अपनेपन से परोसे जाने वाला वह दाल-भात आज की धक्का-मुक्की के बीच छप्पन प्रकार के व्यंजनों से कहीं ज्यादा स्वादिष्ट लगता था। 
अब वह जमाना बीत जाने के साथ ही वे पुरानी बातें भी बासी लगती हैं। अब तो लगता है अपने बच्चों का नया जमाना आ गया है। अब जब भी किसी का शादी का निमंत्रण पत्र पहुंचता है तो बच्चे फटाक से उसकी नियत तिथि देखकर दीवार पर लटकते कैलेण्डर पर बड़ा सा गोला हमारे कुछ कहने से पहले ही लगा लेते हैं, उनके लिए शादी-ब्याह स्कूल की पिकनिक जैसा है। शादी यदि घर के आस-पड़ोस की है तो एक दिन की पिकनिक और दूर की है तो 2-4 दिन की मौज-मस्ती भरी पिकनिक। खैर इसी बहाने हमें भी उनके साथ थोड़ी-बहुत मौज-मस्ती कर लोगों से मिलने जुलने का अवसर मिल जाता है और हमारी भी पिकनिक हो जाती है, यही सोचकर हम भी बीते दिनों को याद कर नाच-गाकर खुश हो लेते हैं। वर्ना हम तो कई बार घर-ऑफिस की भागदौड़ में यह तक भूल जाते हैं कि आज शादी में जाना है लेकिन बच्चे हैं जो याद दिलाने में पीछे नहीं रहते। जिस दिन घर के आस-पास की शादी हो तो वे शाम को स्कूल से लौटकर जल्दी से अपना होमवर्क खुद बिना कहे पूरा कर हमारे ऑफिस से घर लौटने पर आज शादी में चलना है, कहकर चौंका देते हैं। अब उन्हें तो कुछ सोचना नहीं पड़ता, लेकिन कमबख्त इस महंगाई की वजह से हमें एक बार जरुर सोचना पड़ता है। माह में एक शादी हो तो सोचने की जरुरत नहीं पड़ती लेकिन एक साथ बहुत सी शादी की तारीखें सिर पर आन पड़ती है, तो मजबूरन सोचना ही पड़ता है। फिर भी इन तमाम बातों को दरकिनार कर मैं लगभग हर आमंत्रित शादी में शामिल होना नहीं भूलती, क्योंकि मैं भलीभांति समझती हूँ कि घर-दफ्तर की चार-दीवारी से बाहर निकलकर बाहर की दुनिया देखने, नाच-गाने, हँसी -मजाक एवं मेल-मिलाप कर मौज-मस्ती का इससे अच्छा अवसर फिर नहीं मिलने वाला। क्योंकि शादी के बाद अपने हाल की मत पूछो-
“जब-जब मुझे किसी की शादी का निमंत्रण पत्र मिलता है 
तब-तब मुझे 30 नवम्बर का वह दिन खूब याद आता है। 
जब दुल्हन बन मंच पर बैठी तो लगा रानी बन गई हूँ। 
अब किससे कहूँ रोबोट बनी उस रानी को ढूंढ़ रही हूँ।" 

भले ही आज जिंदगी रोबोट बनी फिर भी इसके बावजूद मैं अपने आपको अपने उन सभी शुभचिंतकों और प्रियजनों का शुक्रगुजार मानती हूँ जो समय-समय पर पारिवारिक या सामाजिक आयोजनों पर मेरी खैर-खबर लेकर मुझे रोबोट होने से उबारने के लिए प्रेरित करते रहते हैं, जिससे मैं भी एक-दो दिन ही सही थोड़ी बहुत मौज-मस्ती के बीच तरोताज़ी महसूस कर फिर से जी उठती हूँ।
   ..कविता रावत




52 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति ...... इसी का नाम जिन्दगी है !
शादी की सालगिरह की ढेरों हार्दिक शुभकामनाये !

आपने ये नहीं बताया कि रिमोट पतिदेव के हाथ में रहता है, सासू माँ के हाथ में रहता है या फिर बच्चों की छीना-झपटी ........ नौकरी और सामजिक व्यस्तताओं में ही गुम होकर रह जाता है :)(Jokes apart !)

vijay ने कहा…

शादी यदि घर के आस-पड़ोस की है तो एक दिन की पिकनिक और दूर की है तो 2-4 दिन की मौज-मस्ती भरी पिकनिक। खैर इसी बहाने हमें भी उनके साथ थोड़ी-बहुत मौज-मस्ती कर लोगों से मिलने जुलने का अवसर मिल जाता है और हमारी भी पिकनिक हो जाती है, यही सोचकर हम भी बीते दिनों को याद कर नाच-गाकर खुश हो लेते हैं।
..भागदौड़ भरी जिंदगी में शादी का पिकनिक कुछ तो राहत पहुंचा जाता है .. बहुत शानदार

pratibha ने कहा…

मैडम आपने सही बात लिखी है ....कामकाजी महिलाएं कब घर और ऑफिस के लिए रोबोट बन जाती हैं इसका पता उन्हें बहुत देर बाद चल पाता है ..कुछ भी हो आपने बहुत अच्छा डांस में कर लेतीं हैं, यह मैंने फोटो देख जान लिया है ....मैं अपनी शादी में आपको जरुर बुलाऊंगी ...आएँगी न आप ....
शादी की वर्षगांठ की बहुत- बहुत शुभकामनायें !!!!!!!!!!

Shalini kaushik ने कहा…

bahut bahut badhaiyan kavita ji .

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

खूबसूरत पोस्ट ......


और बहुत बहुत बधाई आपको

ANURAG TIWARI ने कहा…

Sunder Prastuti. Anurag Tiwari

बेनामी ने कहा…

हार्दिक बधाई - "मौज-मस्ती के बीच तरोताज़ी महसूस कर फिर से जी उठती हूँ" - हम तो पढ़कर और देखकर ही खिल उठे हैं" - धन्यवाद्

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत -बहुत बधाई...
बहुत अच्छी पोस्ट....
इसी तरह खुश रहिये...
:-)

शूरवीर रावत ने कहा…

मंगसीर में शादी तो ठण्ड की याद दिलाती है। अब आज ही देख लो, झमाझम बारिस हुयी आज। और ठण्ड बढ गयी है।
शादी की वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनायें।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाये,,,

resent post : तड़प,,,

sourabh sharma ने कहा…

सचमुच शादी जीवन का सबसे अनूठा पल होती हैं सारे लोग जुट जाते हैं हमारे लिए...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सामान्य चल रही जीवनशैली में एक उछाह सा आ जाता है।

विनोद सैनी ने कहा…

यह वह क्षण होता है जब बिखरे परिवार भी मिल जाते है और सभी मे प्रेम भाव तथा एक दूसरे को सभी की अहमीयत भी यह क्षण बतला जाता है

फेसबुक थीम को बदले

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


कल 01/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बचपन में जब बैंड बाजा बारात देखते थे तब बहुत रोमांचित होते थे। अब वो सब शोर सा लगता है।

इक आवागमन की शिकार , प्रेम संबंधों की ख्वाइश हो गई है ,
शादियाँ आजकल काले धन की , बेख़ौफ़ नुमाइश हो गई हैं।

कविता जी , कविता में जाना कि आज आपकी वैवाहिक वर्षगांठ है।
बहुत बहुत बधाई , आप दोनों को।

nayee dunia ने कहा…

bahut sundar aur achhi baat kahi aapne ........

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

शादी की वर्षगांठ पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं

RAJ ने कहा…

वाह!!बहुत खूब!
मेरी शादी भी ३० नवम्बर को हुयी थी और मेरी बीबी भी शादी-ब्याह में खूब नाचती-गाती हैं ...मैं तो देखता रहता हूँ ..नाचने में मुझे शर्म आती हैं ...बहुत बढ़िया ठुमके के साथ मेरे पहाड़ की शादी का सुन्दर चित्रण ...अब वो दिन कहाँ!!!
शादी की सालगिरह मुबारक हो!!!!!!!!

Meenakshi ने कहा…

शादी के बाद सही कहा आपने की जिंदगी रोबोट हो जाती हैं, कितने सपने देखते हैं हम शादी के पहले और फिर बाद ससुर की सुनो, सास की सुनो, देवर, ननद, पतिदेव और फिर बच्चों की भी सुनते सुनते रोबोट तो बनना तय हो ही जाता है ............ ऊपर से नौकरीपेशा महिलाओं तो तो ऑफिस में सुनना पड़ता है ............................. दोनों फोटो शानदार लगी ..हमें भी अपनी शादी याद आने लगी है ...फ़िलहाल देर से ही सही शादी की वर्षगांठ की बहुत बहुत बधाई...........

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
दो दिनों से नेट नहीं चल रहा था। इसलिए कहीं कमेंट करने भी नहीं जा सका। आज नेट की स्पीड ठीक आ गई और रविवार के लिए चर्चा भी शैड्यूल हो गई।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (2-12-2012) के चर्चा मंच-1060 (प्रथा की व्यथा) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट....शादी की वर्षगांठ पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!!!

Rohitas Ghorela ने कहा…

शादी की वर्षगांठ पर ढेरों शुभकामनायें (belated )

शादी-ब्याह की बात सुन कर रोबोट सी बनी जिन्दगी में अचानक ख़ुशी से भरपूर भावनाएं जगने लगती है :))


आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ..अगर आपको भी अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़े।
आभार!!

वाणी गीत ने कहा…

दौड़ती जिंदगी के बीच कुछ पल मिल जाते हैं रिश्तों से जुडी यादों को ताज़ा करने के लिए !
अच्छी पोस्ट !
बहुत बधाई और शुभकामनाएं!

बेनामी ने कहा…

प्रिय ब्लॉगर मित्र,

हमें आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है साथ ही संकोच भी – विशेषकर उन ब्लॉगर्स को यह बताने में जिनके ब्लॉग इतने उच्च स्तर के हैं कि उन्हें किसी भी सूची में सम्मिलित करने से उस सूची का सम्मान बढ़ता है न कि उस ब्लॉग का – कि ITB की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगों की डाइरैक्टरी अब प्रकाशित हो चुकी है और आपका ब्लॉग उसमें सम्मिलित है।

शुभकामनाओं सहित,
ITB टीम

पुनश्च:

1. हम कुछेक लोकप्रिय ब्लॉग्स को डाइरैक्टरी में शामिल नहीं कर पाए क्योंकि उनके कंटैंट तथा/या डिज़ाइन फूहड़ / निम्न-स्तरीय / खिजाने वाले हैं। दो-एक ब्लॉगर्स ने अपने एक ब्लॉग की सामग्री दूसरे ब्लॉग्स में डुप्लिकेट करने में डिज़ाइन की ऐसी तैसी कर रखी है। कुछ ब्लॉगर्स अपने मुँह मिया मिट्ठू बनते रहते हैं, लेकिन इस संकलन में हमने उनके ब्लॉग्स ले रखे हैं बशर्ते उनमें स्तरीय कंटैंट हो। डाइरैक्टरी में शामिल किए / नहीं किए गए ब्लॉग्स के बारे में आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।

2. ITB के लोग ब्लॉग्स पर बहुत कम कमेंट कर पाते हैं और कमेंट तभी करते हैं जब विषय-वस्तु के प्रसंग में कुछ कहना होता है। यह कमेंट हमने यहाँ इसलिए किया क्योंकि हमें आपका ईमेल ब्लॉग में नहीं मिला।

[यह भी हो सकता है कि हम ठीक से ईमेल ढूंढ नहीं पाए।] बिना प्रसंग के इस कमेंट के लिए क्षमा कीजिएगा।

vandana gupta ने कहा…

शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाये !

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सही कहा आपने ! :)
शादी की सालगिरह की हार्दिक बधाइयाँ (Belated) !
~सादर!!!

बेनामी ने कहा…

शादी-ब्याह की मौज-मस्ती की बहुत शानदार प्रस्तुति देखने को मिली...शादी की वर्षगांठ की हार्दिक बधाई!!

बेनामी ने कहा…

I will immediately grasp your rss feed as I
can't find your email subscription link or e-newsletter service. Do you've any?
Kindly permit me understand so that I may just subscribe.
Thanks.
My blog :: quoted from

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वाह...शानदार पोस्ट. शादी की सालगिरह मुबारक हो कविता जी.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

**************************
शादी की सालगिरह की शुभकामनायें |
**************************

पंगत की रंगत गई ,गया प्रेम सत्कार
नयन तरसते देखने, पीले चाँवल द्वार
पीले चाँवल द्वार ,हुआ कैसा परिवर्तन
मोबाइल से कभी,मेल से मिले निमंत्रण
हुये सभी रोबोट, मशीनों की कर संगत
गया प्रेम सत्कार,खो गई पत्तल पंगत ||

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी पोस्ट को पढ़कर पता चला की आपकी शादी की साल गिरह है आपको बहुत बहुत बधाई बहुत अच्छा लगा सब पढ़ कर

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

शादी-ब्याह की मौज-मस्ती भी एक प्रकार से जीवन में रिफ़्रेश बटन के सामान है, शादी की वर्षगांठ पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!!!

Raju Patel ने कहा…

नहीं नहीं- कविता जी - रोबोट भी क्या कभी ब्लॉग लिखते है...:) बहुत अच्छा लेख.शादियों में अब पहले वाली बात नहीं रही यह तो सच है पता नहीं कौन बदल गया---शादियां या हम....?

PS ने कहा…

चलिए दो दिन ही सही रोबोट से बाहर निकलने का समय तो मिला शादी ब्याह में ..

Suman ने कहा…

भले ही थोड़ी देर सही ...शादी की वर्षगांठ बहुत बहुत मुबारक !
बढ़िया प्रस्तुती बहुत कुछ यादे फिर से ताजा हो गई पढ़कर
आभार ...

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत सुदर लगा। शादी के दिन का मौज मस्ती कुछ अलग प्रकार का आनंद देता है। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।

Unknown ने कहा…

“जब-जब मुझे किसी की शादी का निमंत्रण पत्र मिलता है
तब-तब मुझे 30 नवम्बर का वह दिन खूब याद आता है।
जब दुल्हन बन मंच पर बैठी तो लगा रानी बन गई हूँ।
अब किससे कहूँ रोबोट बनी उस रानी को ढूंढ़ रही हूँ।"
.........................................मेरे मन की बात पढ़ ली आपने ....अब हमारा भी यही हाल है ....
शादी के वर्षगांठ की बधाई..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

शादी की वर्षगांठ की हार्दिक बधाई!!

recent post: बात न करो,

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आपने सहसा ही भूली बिसरी बचपन की यादों में धकेल दिया, आत्मीयता के साथ आपने शब्दों से हुबहु वही चित्र रच डाला जिस पर समय की धुंध छा चुकी थी. अनायास ही बचपन की वो सारी घटनाएं याद आने लगी, बहुत सुंदर और सहज लिखा. आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

Unknown ने कहा…

Behad khoobshurat andaj me aapne apnii shadi ki varshgath manane tarika khoj nikala, dhero badhayeeya,bilamb se hi sahi

Shikha Kaushik ने कहा…

सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

दिगम्बर नासवा ने कहा…

देर से ही सही ... पर आपको शादी की वर्षगाँठ बहुत बहुत मुबारक हो ...
आपकी प्रस्तुति बहुत दूर तक राडों में ले गयी ... बधाई इस सहज लिखने पे ..

Smart Indian ने कहा…

बधाई!

Apanatva ने कहा…

bahut bahut badhaee.......
apnee aabhasee duniya se katna door rahee aur kitana ?
aabhas hee nahee raha......
shubhkamnae.....

बेनामी ने कहा…

मुझे भी शादी में खूब मजा आया ..... अब पहचानो तो जानूं ...
शादी के बाद मैं भी रोबोट बन गयी हूँ
भूल गयी हूँ सखी सहेलियों को ..बचपन को ...

Unknown ने कहा…

रोबोट की मस्ती मस्त है!!
बहुत सुन्दर ब्लॉग!!!

Manish Kumar ने कहा…

परिवार की शादी तो आज कल मेल मुलाकात का एकमात्र ज़रिया रह गई है क्यूँकि ऐसे तो रिश्तेदारों के यहाँ कोई जा ही नहीं पाता है।

Rohit Singh ने कहा…

बहुत देर से सही आपको शादी की वर्षगांठ की मुबारकबाद...साथ ही क्रिसमस की मुबारकबाद भी...नया साल आने को है..सो उसकी मुबारकबाद बाद में दूंगा। वैसे काफी दिन से आप लिख नहीं रहीं ..क्या रोबोट सच में बन गई हैं या फिर एक महीने से पहले वाली कविता जी बन गई हैं औऱ हुड़ंदग मचा रही हैं कहीं।

स्पाईसीकार्टून ने कहा…

गाँव में पहले अभिनन्दन पत्र पढ़ा जाता था. मुझे बड़ा अच्छा लगता था ये. अब वो ज़माना कहाँ रहा.

बहुत ही खूबसूरत पोस्ट

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत सुदर पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आधुनिकता के दलदल में फंसी में ज़िदगी का एक पक्ष यह भी है।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति।