गरीबी में डॉक्टरी : कहानी (भाग-2) एक और मांझी : डॉ. धर्मेंद्र मांझी
कविता रावत
जुलाई 27, 2024
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धर्मेन्द्र मांझी रात भर सोच-विचार कर रोता-कल्पता रहा। जब सुबह हुई और उसने उगते सूरज को देखा तो उसे यह बात समझ आयी कि सूरज भी तो हर दिन डूबता...
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