बड़े मुर्गे की तर्ज पर छोटा भी बांग लगाता है।
एक खरबूजे को देख दूसरा भी रंग बदलता है।।
एक कुत्ता कोई चीज देखे तो सौ कुत्ते उसे ही देखते हैं।
बड़े पंछी के जैसे ही छोटे-छोटे पंछी भी गाने लगते हैं।।
जिधर एक भेड़ चली उधर सारी भेड़ चल पड़ती है।
एक अंगूर को देख दूजे पर जामुनी रंगत चढ़ती है।।
जिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
अपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।
नेक सलाह जब भी मिले वही उसका सही समय होता है।
बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है।।
...कविता रावत
पर उपदेश कुशल बहु तेरे....। और
जवाब देंहटाएंजाके पाँव न फाटे बिवाई......।
सुन्दर सन्देश देती 'कविता'।
आज के समाज के ऊपर ... :) बहुत ही सटीक ... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। :)
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्द रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’रंगमंच के मुगलेआज़म को याद करते हुए - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंbadhiya kavita
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,कविता!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना कविता जी !
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा लिखी गई हर पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत होती हैं कविता जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सटीक और सार्थक सूक्तियां ... हर पंक्ति गहरा अर्थ समेटे है ...
जवाब देंहटाएंजिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
जवाब देंहटाएंअपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।
सही और सटीक
बहुत खूब कविता जी!
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