बड़े मुर्गे की तर्ज पर छोटा भी बांग लगाता है।
एक खरबूजे को देख दूसरा भी रंग बदलता है।।
एक कुत्ता कोई चीज देखे तो सौ कुत्ते उसे ही देखते हैं।
बड़े पंछी के जैसे ही छोटे-छोटे पंछी भी गाने लगते हैं।।
जिधर एक भेड़ चली उधर सारी भेड़ चल पड़ती है।
एक अंगूर को देख दूजे पर जामुनी रंगत चढ़ती है।।
जिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
अपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।
नेक सलाह जब भी मिले वही उसका सही समय होता है।
बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है।।
...कविता रावत
पर उपदेश कुशल बहु तेरे....। और
ReplyDeleteजाके पाँव न फाटे बिवाई......।
सुन्दर सन्देश देती 'कविता'।
आज के समाज के ऊपर ... :) बहुत ही सटीक ... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। :)
ReplyDeleteसटीक और सार्थक
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 04 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुन्दर कविता ...
ReplyDeleteसुन्दर ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’रंगमंच के मुगलेआज़म को याद करते हुए - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeletebadhiya kavita
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,कविता!
ReplyDeleteसुन्दर रचना कविता जी !
ReplyDeleteआपके द्वारा लिखी गई हर पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत होती हैं कविता जी !
ReplyDeleteसुन्दर सटीक और सार्थक सूक्तियां ... हर पंक्ति गहरा अर्थ समेटे है ...
ReplyDeleteजिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
ReplyDeleteअपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।
सही और सटीक
बहुत खूब कविता जी!
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