बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 3 नवंबर 2016

बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है


बड़े मुर्गे की तर्ज पर छोटा भी बांग लगाता है।
एक खरबूजे को देख दूसरा भी रंग बदलता है।।

एक कुत्ता कोई चीज देखे तो सौ कुत्ते उसे ही देखते हैं।
बड़े पंछी के जैसे ही छोटे-छोटे पंछी भी गाने लगते हैं।।

जिधर एक भेड़ चली उधर सारी भेड़ चल पड़ती है।
एक अंगूर को देख दूजे पर जामुनी रंगत चढ़ती है।।

जिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
अपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।

नेक सलाह जब भी मिले वही उसका सही समय होता है।
बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है।।

...कविता रावत 

15 टिप्‍पणियां:

विश्वमोहन ने कहा…

पर उपदेश कुशल बहु तेरे....। और
जाके पाँव न फाटे बिवाई......।
सुन्दर सन्देश देती 'कविता'।

HindIndia ने कहा…

आज के समाज के ऊपर ... :) बहुत ही सटीक ... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। :)

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

सटीक और सार्थक

Unknown ने कहा…

सुन्दर कविता ...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर ।

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर शब्द रचना

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’रंगमंच के मुगलेआज़म को याद करते हुए - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

जयन्ती प्रसाद शर्मा ने कहा…

सुन्दर

Unknown ने कहा…

badhiya kavita

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत बढ़िया,कविता!

Manoj Kumar ने कहा…

सुन्दर रचना कविता जी !

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपके द्वारा लिखी गई हर पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत होती हैं कविता जी !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सुन्दर सटीक और सार्थक सूक्तियां ... हर पंक्ति गहरा अर्थ समेटे है ...

Yogi Saraswat ने कहा…

जिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
अपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।
सही और सटीक

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत खूब कविता जी!