बड़े मुर्गे की तर्ज पर छोटा भी बांग लगाता है।
एक खरबूजे को देख दूसरा भी रंग बदलता है।।
एक कुत्ता कोई चीज देखे तो सौ कुत्ते उसे ही देखते हैं।
बड़े पंछी के जैसे ही छोटे-छोटे पंछी भी गाने लगते हैं।।
जिधर एक भेड़ चली उधर सारी भेड़ चल पड़ती है।
एक अंगूर को देख दूजे पर जामुनी रंगत चढ़ती है।।
जिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
अपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।
नेक सलाह जब भी मिले वही उसका सही समय होता है।
बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है।।
...कविता रावत
15 टिप्पणियां:
पर उपदेश कुशल बहु तेरे....। और
जाके पाँव न फाटे बिवाई......।
सुन्दर सन्देश देती 'कविता'।
आज के समाज के ऊपर ... :) बहुत ही सटीक ... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। :)
सटीक और सार्थक
सुन्दर कविता ...
सुन्दर ।
बहुत सुन्दर शब्द रचना
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’रंगमंच के मुगलेआज़म को याद करते हुए - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
सुन्दर
badhiya kavita
बहुत बढ़िया,कविता!
सुन्दर रचना कविता जी !
आपके द्वारा लिखी गई हर पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत होती हैं कविता जी !
सुन्दर सटीक और सार्थक सूक्तियां ... हर पंक्ति गहरा अर्थ समेटे है ...
जिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
अपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।
सही और सटीक
बहुत खूब कविता जी!
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