कल्पना पब्लिकेशन, जयपुर ने मेरे पहले लघु कविता संग्रह ‘लोक उक्ति में कविता’ को प्रकाशित कर मेरे भावों को शब्दों में पिरोया है, इसके लिए आभार स्वरूप मेरे पास शब्दों की कमी है; लेकिन भाव जरूर है। भूमिका के रूप में श्रद्धेय डॉ. शास्त्री ‘मयंक’ जी के आशीर्वचनों के लिए मैं नत मस्तक हूँ।
इस लघु कविता संग्रह के माध्यम से शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों के साथ ही जन-जन तक लोकोक्तियों का मर्म सरल और सहज रूप में पहुंचे, ऐसा मेरा प्रयास रहा है।
इस अवसर पर मैं अपने सभी सम्मानीय ब्लोग्गर्स, पाठकजनों के साथ ही विभिन्न समाचार पत्र पत्रिकाओं का भी हृदय से आभार मानती हूँ, जो मेरी ब्लॉग पोस्ट को समय-समय पर समाचार पत्र में प्रकाशित कर मुझे लेखन हेतु प्रेरित करते हैं।
मेरे लघु कविता संग्रह की पाण्डुलिपि को आद्योपान्त पढ़कर शुभकामना के रूप में आदरणीय रश्मि दीदी जी के अनमोल आशीष पुष्प को भी मैं तहेदिल से स्वीकार करती हूँ।
अन्त में मैं सम्माननीय रवीन्द्र प्रभात जी द्वारा मेरे भावानुरूप प्रेषित आत्मिक शुभकामना के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रस्तुत करना चाहूँगी।
इस अवसर पर मुझे सम्माननीय ब्लॉगर्स एवं सुधि पाठकों की प्रतिक्रिया का भी इंतजार रहेगा।
वरिष्ठ कवियत्री श्रीमती रामकली मिश्र का काव्य संग्रह 'धारा' के लोकार्पण के अवसर पर मेरी लघु काव्य कृति "लोक उक्ति में कविता" का विमोचन और लोकार्पण जाने-माने साहित्यकारों द्वारा संपन्न
पुस्तक प्राप्ति हेतु संपर्क करें:
प्रकाशक:
कल्पना पब्लिकेशन
157, दूसरी मंजिल
चाँदपोल बाजार जयपुर- 302001
मोबाइल :09414053201
ई-पुस्तक : लोक उक्ति में कविता
1. संगति का प्रभाव
2. दुर्जनता का भाव
3. तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है
4. वह राष्ट्रगान क्या समझेगा
5. समय
6. भाग्य कुछ भी दान नहीं; उधार देता है
2. दुर्जनता का भाव
3. तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है
4. वह राष्ट्रगान क्या समझेगा
5. समय
6. भाग्य कुछ भी दान नहीं; उधार देता है
11. उसी के हँसी सबको भली लगे जो अंत में हँसता है
12. हाय पैसा ! हाय पैसा !
13. दुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है
14. दिल को दिल से राह होती है
15. मित्र और मित्रता
16. दूर-पास का लगाव-अलगाव
17. आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है
18. दरिया जिधर बह निकले वही उसका रास्ता होता है
19. बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है
20. अपने-पराये का भेद
21. भाग्य हमेशा साहसी इंसान का साथ देता है
22. अति से सब जगह बचना चाहिए
23. हरेक वृक्ष नहीं फलवाला वृक्ष ही झुकता है
24. अच्छाई और सद्गुण इंसान की असली दौलत होती है
25. ईर्ष्या और लालसा कभी शांत नहीं होती है
26. उद्यम से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है
27. भोजन मीठा नहीं भूख मीठी होती है
28. विवशता में फायदे का सौदा नहीं किया जा सकता है
29. हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है
30. दाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं
31. सच और झूठ का सम्बन्ध
32. समझदार धन-दौलत से पहले जबान पर पहरा लगाते हैं
33. दो घरों का मेहमान भूखा मरता है
12. हाय पैसा ! हाय पैसा !
13. दुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है
14. दिल को दिल से राह होती है
15. मित्र और मित्रता
16. दूर-पास का लगाव-अलगाव
17. आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है
18. दरिया जिधर बह निकले वही उसका रास्ता होता है
19. बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है
20. अपने-पराये का भेद
21. भाग्य हमेशा साहसी इंसान का साथ देता है
22. अति से सब जगह बचना चाहिए
23. हरेक वृक्ष नहीं फलवाला वृक्ष ही झुकता है
24. अच्छाई और सद्गुण इंसान की असली दौलत होती है
25. ईर्ष्या और लालसा कभी शांत नहीं होती है
26. उद्यम से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है
27. भोजन मीठा नहीं भूख मीठी होती है
28. विवशता में फायदे का सौदा नहीं किया जा सकता है
29. हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है
30. दाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं
31. सच और झूठ का सम्बन्ध
32. समझदार धन-दौलत से पहले जबान पर पहरा लगाते हैं
33. दो घरों का मेहमान भूखा मरता है