कोई भूख से मरता,
तो कोई चिन्ताओं से है घिरा,
किसी पर दु:ख का सागर
तो किसी पर मुसीबतों का पहाड़ गिरा।
कहीं बजने लगती हैं शहनाइयाँ
तो कहीं जल उठता है दु:ख का चिराग,
कहीं खुशी कहीं फैला दु:ख
जग में कैसा है यह संताप।।
कोई धनी तो कोई निर्धन
किसी को निराशा ने है सताया
प्रभु की यह कैसी लीला!
किसी को सुखी, किसी को दु:खी बनाया।
किसी की बिगड़ती दशा
तो किसी के खुल जाते हैं भाग,
देख न पाता कोई कभी खुशियाँ
जग में कैसा है यह संताप।।
कोई सिखाता है प्रेमभाव
पर किसी की आँखों में झलकती नफरत,
कोई दिल में भरता खुशियाँ
तो कोई भरता है दिल में उलफत।
किसी के सीने में दर्द छिपा
कोई उगलता शोलों की आग
कोई संकोच, कोई दहशत में
जग में कैसा है यह संताप।।
कोई शोषित, कोई पीड़ित
किसी को निर्धनता ने है मारा,
कोई मजबूर कोई असहाय
किसी को समाज ने है धिक्कारा।
सजा मिलती किसी और को
पर कोई और ही करता है पाप
कहीं धोखा, कहीं अन्याय फैला
जग में कैसा है यह संताप।।
तो कोई चिन्ताओं से है घिरा,
किसी पर दु:ख का सागर
तो किसी पर मुसीबतों का पहाड़ गिरा।
कहीं बजने लगती हैं शहनाइयाँ
तो कहीं जल उठता है दु:ख का चिराग,
कहीं खुशी कहीं फैला दु:ख
जग में कैसा है यह संताप।।
कोई धनी तो कोई निर्धन
किसी को निराशा ने है सताया
प्रभु की यह कैसी लीला!
किसी को सुखी, किसी को दु:खी बनाया।
किसी की बिगड़ती दशा
तो किसी के खुल जाते हैं भाग,
देख न पाता कोई कभी खुशियाँ
जग में कैसा है यह संताप।।
कोई सिखाता है प्रेमभाव
पर किसी की आँखों में झलकती नफरत,
कोई दिल में भरता खुशियाँ
तो कोई भरता है दिल में उलफत।
किसी के सीने में दर्द छिपा
कोई उगलता शोलों की आग
कोई संकोच, कोई दहशत में
जग में कैसा है यह संताप।।
कोई शोषित, कोई पीड़ित
किसी को निर्धनता ने है मारा,
कोई मजबूर कोई असहाय
किसी को समाज ने है धिक्कारा।
सजा मिलती किसी और को
पर कोई और ही करता है पाप
कहीं धोखा, कहीं अन्याय फैला
जग में कैसा है यह संताप।।
29 टिप्पणियां:
सार्थक पोस्ट...
बहुत बढ़िया .....
यही तो उस इश्वर की माया है ... शायद एह यही बात ही तो है उसने अपने हाथ में रक्खी ...
वर्ना इंसान भी भगवान् न बन जाए ... भावपूर्ण रचना ...
जग में सब है ! हंसी ख़ुशी दुःख अपराध !
सार सार गहि ले थोथा दे उड़ाय !
द्वन्द से भरा इसी का नाम जीवन है कोई मूक अनुभव करता है
कोई अभिव्यक्त करता है !
कोई शोषित, कोई पीड़ित
किसी को निर्धनता ने है मारा,
कोई मजबूर कोई असहाय
किसी को समाज ने है धिक्कारा।
सजा मिलती किसी और को
पर कोई और ही करता है पाप
कहीं धोखा, कहीं अन्याय फैला
जग में कैसा है यह संताप।।
………………………………।
यही दस्तूर बन गया है आज दुनिया का
मर्मस्पर्शी और गहरे भाव ....
बहुत सुंदर प्रस्तुति , आ. धन्यवाद !
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सबकुछ प्रभु की माया है प्रताप है उसके बिना पत्ता भी नहीं हिलता ............... हम इंसानों को भरम हो जाता है हम अपने मर्जी से जीते हैं मरते हैं ...............................
सुन्दर भावपूर्ण रचना ......................
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (24-07-2014) को "अपना ख्याल रखना.." {चर्चामंच - 1684} पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेहद उम्दा और बेहतरीन ...आपको बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@मुकेश के जन्मदिन पर.
बहुत ख़ूब!
इस रंग विरंगे दुनियाँ में क्यों अलग अलग तगदीर
कोई जीता है सपनो में तो कोई करता है तदवीर !
शायद यही दुनिया की रीति है |
कर्मफल |
अनुभूति : वाह !क्या विचार है !
यहीं तो संसार है संताप से भरा। चारों ओर पुण्य और पवित्रता हो तो वह स्वर्ग बन जाएगा। पर ईमानदार होने का नतिजा है कि ऐसी अंतर वाली स्थिति में हमें अफसोस होता है।
अनेक विरोधों का समुच्चय जिसमें ताल-मेल बैठा कर गुज़र करना है - यही है संसार !
कल 25/जुलाई /2014 को एक बार पुनः आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
"तो कहीं जल उठता है दु:ख का चिराग," चिराग शब्द का प्रयोग उचित प्रतीत नही हो रहा है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
बिलकुल सही व्यक्त किया अपने
बहुत सुन्दर
Bahut sunder bhav liye sunder shabdon me likhi saarthak kavita .bahut badhai aapko.
सुंदर रचना ।
सुंदर भावाभिव्यक्ति. कहीं है सुख, कहीं है दुःख, कहीं खुशी, कहीं संताप. ज़िन्दगी तो ऐसी ही हैं.
यही सबसे बड़ी विडम्बना है कि हमारा समाज ऐसी ही विसंगतियों से भरा हुआ है और इनका कोई निदान भी समझ में नहीं आता ! बहुत ही सुंदर सार्थक सशक्त रचना !
Niyati niyam yahi hai kabhi koi khush kabhi koi gamgeen....sacchi rachna
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...
भावपूर्ण रचना .....जाने कैसी विडंबना है ये...
यही विषमता है जो जीवन को जीवन बनाती है! लेकिन आपने जिस नज़र से और जिस गहराई से उनको देखा परखा है वह निश्चित रूप से प्रशंसनीय है!!
सुंदर भावाभिव्यक्ति
शब्दों की मुस्कुराहट पर ...विषम परिस्थितियों में छाप छोड़ता लेखन
अति सुंदर ।
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