जिस धारा का पानी पिया उसे बहुत कम लोग याद रखते हैं
जिसकी रोटी खायी उसके गीत गाने वाले विरले मिलते हैं
जो पेड़ छाया प्रदान करता है उसकी जड़ नहीं काटनी चाहिए
जिस कुएं से पानी लिया हो उसमें पत्थर नहीं फेंकना चाहिए
उस पेड़ के कटने की दुआ मत करो जो सबको धूप से बचाती है
धिक्कार उस मुर्गी को जो इस घर खाकर उस घर अंडे दे आती है
काला कौआ पालोगे तो वह चोंच मारकर तुम्हारी आंख फोड़ देगा
सांप को कितना भी दूध पिला दो फिर भी वह डसना नहीं भूलेगा
गुरु की विद्या उन्हीं पर चला देने वाले बहुतेरे मिलते हैं
गोद में बैठकर आंख में उंगली करने वाले भी रहते हैं
तलवार अपनी म्यान को कभी नहीं काटती है
उपकार की परछाई बहुत लम्बी होती है
एहसान का बोझ सबसे भारी लगता है
मतलबी इंसान से पालतू कुत्ता भला होता है
.....कविता रावत
जिसकी रोटी खायी उसके गीत गाने वाले विरले मिलते हैं
जो पेड़ छाया प्रदान करता है उसकी जड़ नहीं काटनी चाहिए
जिस कुएं से पानी लिया हो उसमें पत्थर नहीं फेंकना चाहिए
उस पेड़ के कटने की दुआ मत करो जो सबको धूप से बचाती है
धिक्कार उस मुर्गी को जो इस घर खाकर उस घर अंडे दे आती है
काला कौआ पालोगे तो वह चोंच मारकर तुम्हारी आंख फोड़ देगा
सांप को कितना भी दूध पिला दो फिर भी वह डसना नहीं भूलेगा
गुरु की विद्या उन्हीं पर चला देने वाले बहुतेरे मिलते हैं
गोद में बैठकर आंख में उंगली करने वाले भी रहते हैं
तलवार अपनी म्यान को कभी नहीं काटती है
उपकार की परछाई बहुत लम्बी होती है
एहसान का बोझ सबसे भारी लगता है
मतलबी इंसान से पालतू कुत्ता भला होता है
.....कविता रावत
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 26 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27.02.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3624 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
बिल्कुल सही।
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब ...
कविता सराहनीय है और उसमें अभिव्यक्ति विचार पूर्णतः सही हैं । सत्यपरक रचना के सृजन के लिए अभिनंदन आपका ।
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