लाख बहाने पास हमारे we have million excuses - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

रविवार, 12 मार्च 2023

लाख बहाने पास हमारे we have million excuses



लाख बहाने पास हमारे

कैसा फैला झूठा रोग
जितने रंग बदलता गिरगिट
उतने रंग बदलते लोग

नहीं पता कब किसको
किसके आगे रोना-झुकना
रंग बदलती दुनिया में
कब कितना जीना-मरना

नहीं कुछ जब पास तुम्हारे
कोई कितना अपना रहता
किसे पड़ी जाकर देखें
कैसे जीता मरता खपता

नाते रिश्ते बहुत हमारे
इसका सबको खूब पता
वक्त पड़े तो देखो जरा
कहीं न मिलता अता-पता

@कविता रावत

2 टिप्‍पणियां:

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर गीत।

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

सुन्दर। अद्भुत।