जिसे कहते हैं फर्ज या
रिश्ते निभाना
आजकल यह सब
आखिर कौन निभा रहा है
देखो तो जरा अपने आस पास
बस ढोह रहे हैं एक दूसरे को
चल रही गाड़ी बैशाखियों के सहारे
देखो तो कितनों के पैरों में अपनी ताकत है?
फिर भी अकड़ ऐसी
कि मुर्दा भी शर्मसार हो जाय
एक दूजे की पूंछ पकड़े
इतराते इठलाते
सरपट भाग रहे हैं
एक दूसरे के पीछे पीछे
दुम दबाते हुए
... Kavita Rawat