यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 8 नवंबर 2016

यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल


विस्तृत स्वर्णिम भारत का भाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

गिरि शिखरों से घिरा हुआ है
तृण कुसुमों से हरा हुआ है
विविध वृक्षों से भरा हुआ है
जैसे शीशम, सेब और साल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।
 
गिरी गर्त से भानु चमकता
मानो अग्निवृत दहकता
बहुरंगी पुष्पाहार महकता
ऐसा मनोहर प्रात:काल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

शीतल हवा यहां है चलती
निर्मल, निश्चल नदियां बहती
सबको सहज बनने को कहती
शीत विमल की ये हैं मिसाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

शुभ्र हिमालय झांक रहा है
विश्व सत्य को आंक रहा है
शांति प्रियता मांग रहा है
जो भारत का ताज विशाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

बद्री केदार के मंदिर पावन
उपवन यहां के हैं मनभावन
मानो वर्ष पर्यंत हो सावन
यह प्रकृति की सुंदर चाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

नहीं कलह और शोर यहां है
नहीं लुटेरे चोर यहां हैं
लगता निशदिन भोर यहां है
शांति एकता का यह हाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

जगह जगह खुलते औषधालय
नवनिर्मित हो रहे विद्यालय
जागरूक गढ़वाली की लय
भौतिक विकास करता गढ़वाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

हो रहा अविद्या का जड़मर्दन
फैले नव विहान का वर्जन
नव शैलों का हो रहा सृजन
गिरि चलें विकास की ले मशाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल।।

विस्तृत स्वर्णिम भारत का भाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

       -जितेंद्र मोहन पंत 

       -जितेंद्र मोहन पंत का 31 दिसंबर 1961 को गढ़वाल के स्योली गांव में जन्म हुआ । 11 मई 1999 को 37 वर्ष की  अल्पायु में उनका देहावसान हो गया।  उनकी उपर्युक्त कविता 1978 में लिखी गयी। 

9 नवम्बर 2000 को उत्तराखण्ड की स्थापना हुई।   

                     

21 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

विस्तृत स्वर्णिम भारत का भाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल
...........
सबसे प्यारा सबसे न्यारा
मेरी प्यारा गढ़वाल

........बहुत - बहुत सुन्दर ..

बेनामी ने कहा…

प्रशंसनीय

Unknown ने कहा…

सुन्दर झांकी गढ़वाल की ..
जय उत्तराखंड!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत सुन्दर ... सार-गर्भित ...
गडवाल देश के सुन्दरतम राज्यों में से एक है ... अनुपम हिम शिखर और अध्बुध छटा इसको और सुन्दरतम बनाते हैं ... आपने बहुत लाजवाब शब्दों में बांधा है इसे ...

Surya ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Surya ने कहा…

देवभूमि उत्तराखंड में गढ़वाल सिरमौर है ........अति सुन्दर वर्णन ....

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

श्रद्दांजलि जितेंद्र को । सुन्दर रचना ।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…


शुभ्र हिमालय झांक रहा है
विश्व सत्य को आंक रहा है
शांति प्रियता मांग रहा है
जो भारत का ताज विशाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।

बहुत सुन्दर !

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

रचना हिन्दी साहित्य और गढ़वाल दर्शन के लिये अद्वतीय है।

Meena Bhardwaj ने कहा…

अति सुन्दर.

Unknown ने कहा…

उत्तराखण्ड स्थापना दिवस पर................. सुन्दर शब्द रचना

विश्वमोहन ने कहा…

षोडस शुभ्र सुभग विशाल
आर्यावर्त उत्तराखंड भाल
जय कुमायूँ जय गढ़वाल।

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर कवि‍ता

Jyoti Dehliwal ने कहा…

हो रहा अविद्या का जड़मर्दन
फैले नव विहान का वर्जन
नव शैलों का हो रहा सृजन
गिरि चलें विकास की ले मशाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल।।
बहुत सुंदर!

HindIndia ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ..... very nice ... Thanks for sharing this!! :) :)

Yogi Saraswat ने कहा…

बद्री केदार के मंदिर पावन
उपवन यहां के हैं मनभावन
मानो वर्ष पर्यंत हो सावन
यह प्रकृति की सुंदर चाल
यह प्यारा ऊंचा गढ़वाल ।।
बहुत बढ़िया लिखा है ! पन्त साब को शुभकामनाएं

Kailash Sharma ने कहा…

सुन्दर शब्द चित्र...बहुत प्यारी रचना...

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

वाह...गढ़वाल की सुंदर प्रशस्ति ।

Sudha Devrani ने कहा…

गढवाल का अति सुन्दर चित्रण

Meena sharma ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Meena sharma ने कहा…

इस कविता से मेरी स्मृतियाँ जाग उठीं, बद्री केदार , गंगोत्री, जमुनोत्री यात्रा में ऐसा लगता था जैसे इन्हीं हरियाली घाटियों के वासी हैं मेरे प्राण !जैसे यहीं रह जाऊँ मैं !