उसे तूफानों से टकराना ठीक नहीं - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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बुधवार, 25 मई 2022

उसे तूफानों से टकराना ठीक नहीं

कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले 

हकीकत का सामना करने से डरते हैं 

जो हौंसला रखते सागर पार करने की 

वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं 


ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी  

पर भला भरसक यत्न कितने करते हैं?

जो राह पकड़ चलते-रहते हैं निरंतर 

वही एक दिन मंजिल तक पहुँचते हैं 


देखकर निर्मल गगन के पंछियों को 

मन जिसका उड़ान भरने लगता है 

पर लगाकर जो उड़ना चाहे आसमां में 

वह जमीं पर भला कैसे चल सकता है? 


आखिर बह रही है हवा किस ओऱ को  

जिसको इसकी रुख की सीख नहीं

हल्का हवा का झौंका ही काफी है   

उसे तूफानों से टकराना ठीक नहीं

18 टिप्‍पणियां:

MANOJ KAYAL ने कहा…

सराहनीय सृजन।

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

कविता जी की इस कविता का मर्म अपने भीतर अवशोषित करने का प्रयास कर रहा हूँ। पुरुषार्थ अपने स्थान पर है, भाग्य अपने स्थान पर। ज़िन्दगी की हक़ीक़त कितनी भी तल्ख़ क्यों न हो, उससे भागकर इंसान जाएगा भी तो कहाँ? लेकिन हाथ पर हाथ धरे बैठना भी ग़लत ही है। जिसे कहीं पहुँचना हो, उसे चलना तो होगा ही।

अनीता सैनी ने कहा…


जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (२७-०५-२०२२ ) को
'विश्वास,अविश्वास के रंगों से गुदे अनगिनत पत्र'(चर्चा अंक-४४४३)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कविता दी।

आतिश ने कहा…

आदरणीय मैम,
आपकी कविता एवं उसकी शब्दावली हर उस व्यक्ति के लिए दवा का कार्य करेगी
जो थक हार कर बैठ गया ।

उत्साहपूर्ण रचना
सुन्दर अति सुन्दर !

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर, सन्देशप्रद रचना!

Alaknanda Singh ने कहा…

वाह क्‍या बात कही है कविता जी, देखकर निर्मल गगन के पंछियों को

मन जिसका उड़ान भरने लगता है

पर लगाकर जो उड़ना चाहे आसमां में

वह जमीं पर भला कैसे चल सकता है? सच्‍च्‍च्‍च्‍च्‍च्‍च्‍ची में , उत्‍साहवर्द्धन करती एक शानदार रचना

Sudha Devrani ने कहा…

ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी

पर भला भरसक यत्न कितने करते हैं?

जो राह पकड़ चलते-रहते हैं निरंतर

वही एक दिन मंजिल तक पहुँचते हैं

वाह!!!
बहुत ही सटीक एवं प्रेरक सृजन
आशा का संचार करती रचना

मन की वीणा ने कहा…

जीवन की जंग हौसले वाले ही जीता करते हैं।
कर्मठ ही भागीरथी लाते हैं धरा पर।
वाह बहुत खूब।

Jyoti khare ने कहा…

बहुत अच्छी और सुंदर रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रेरक और आशान्वित करती सुंदर रचना ।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

सुंदर भावों से युक्त प्रेरक रचना।

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

Bahut Sundar Rachna Sarthak Sandesh

Kamini Sinha ने कहा…

प्रेरक सृजन आदरणीया कविता जी 🙏

Anupama Tripathi ने कहा…

सार्थक सन्देश देती अभिव्यक्ति!!

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया अभिव्यक्ति

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सराहनीय सृजन।

3m4jcu8o73 ने कहा…

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