पर लगाकर जो उड़ना चाहे आसमां में वह जमीं पर भला कैसे चल सकता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 18 नवंबर 2024

पर लगाकर जो उड़ना चाहे आसमां में वह जमीं पर भला कैसे चल सकता है


कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले
हकीकत का सामना करने से डरते हैं
जो हौंसला रखते सागर पार करने की
वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं

ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी
पर भला भरसक यत्न कितने करते हैं?
जो राह पकड़ चलते-रहते हैं निरंतर
वही एक दिन मंजिल तक पहुँचते हैं

देखकर निर्मल गगन के पंछियों को
मन जिसका उड़ान भरने लगता है
पर लगाकर जो उड़ना चाहे आसमां में
वह जमीं पर भला कैसे चल सकता है?

आखिर बह रही है हवा किस ओऱ 
जिसको इसकी रुख की सीख नहीं
हल्का हवा का झौंका ही काफी है
उसे तूफानों से टकराना ठीक नहीं
... कविता रावत