गोपाष्टमी आई रे भैया, गायों की पूजा करिए - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

गोपाष्टमी आई रे भैया, गायों की पूजा करिए

गोपाष्टमी आई रे भैया, गायों की पूजा करिए
धेनु सजाइए फूलों से, चरणों में दीप धरिए।

गौ माता आईं आँगन में, सुख समृद्धि संग लाईं,
लक्ष्मी रूप विराजे इनमें, वेदों की छाया पाई।
गंगा सम पावन तन इनका, अमृत नाभि में बसता,
देव बसे हर अंग-अंग में, पुण्य का दीपक जलता ....गोपाष्टमी आई रे भैया ......

कपिला, नन्दिनी, देवनी गौ, वशिष्ठ ने की रचना,
गोबर, गौमूत्र, दूध, दही से, औषधि बनी अमृतना।
आश्रमों में पूजित गौ थी, पंचगव्य से कायाकल्प,
धेनु बिना अधूरा जीवन, यही वेदों का है तत्त्व ....गोपाष्टमी आई रे भैया,.....

धेनु सजाइए फूलों से, चरणों में दीप धरिए।
प्रभात में वन को भेजें हम, सायं फिर स्वागत करें,
बछड़ों संग लौटें जब गौ, आरती संग वंदन करें।
बृज, मथुरा, वृंदावन गूंजे, गोपाष्टमी की जय,
गौ सेवा से फल सब मिलते, यही धर्म की राह भले....गोपाष्टमी आई रे ...

.... कविता रावत

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सुंदर चित्र बना दिया छंदों के माध्यम से