राष्ट्रीय एकता दिवस | लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती | - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

राष्ट्रीय एकता दिवस | लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती |

31 अक्टूबर 1875 ईं. को गुजरात के खेड़ा जिला के करमसद गांव में हमारे स्वतंत्रता-संग्राम के वीर सेना नायक सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस  को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसके तहत् उनके जन्मदिन पर देश भर में विभिन्न आयोजन किये जाते हैं।  
          सरदार वल्लभभाई पटेल फौजदारी के प्रसिद्ध वकील थे, जिससे उनकी खूब आमदनी थी। वे चाहते तो आराम की जिंदगी बिता सकते थे, लेकिन देश की सेवा उनके जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य था। सार्वजनिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के कारण उन्हें यह समझते देर न लगी कि वकालत करके धन कमाने का जीवन और देश सेवा का जीवन साथ-साथ नहीं चल सकता। इसलिए वे वकालत को ठोकर मारकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। उन्होंने 1916 से 1945 ई. तक के प्रत्येक आंदोलन में सक्रिय भाग लिया, जिससे वे शीघ्र ही देश के राष्ट्रीय नेताओं में गिने जाने लगे। बारडोल आंदोलन, खेड़ा सत्याग्रह, दाण्डी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, व्यक्तिगत सत्याग्रह और अंत में भारत छोड़ो राष्ट्रीय संघर्ष में सरदार वल्लभभाई पटेल अग्रणी पंक्ति में रहे।
          यह हम सभी जानते हैं कि भारत सन् 1947 ईं को स्वतंत्र हुआ। लेकिन इसके साथ ही अंग्रेज जाते-जाते जिस तरह से 562 देशी रियासतों को आजाद बने रहने की छूट दे गये, यदि समय रहते सरदार वल्लभभाई पटेल ने उन्हें एक सूत्र में अपनी सूझ-बूझ से संगठित न किया होता तो आज देश एक राष्ट्र के रूप में नहीं अपितु खण्ड-खण्ड रूप में बिखरा मिलता। जिस तरह जर्मनी के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण ओटो वान बिस्मार्क ‘आयरन चांसलर’ नाम से प्रसिद्ध हुए उसी तरह देशी राज्यों को स्वतंत्र भारत में मिलाने के अपने महान कार्य के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल लौह पुरुष नाम से विश्वविख्यात हैं।  
          सरदार वल्लभभाई पटेल के स्वभाव में असाधारण दृढ़ता थी। वे जो एक बार निश्चय कर लेते, उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। गुजरात के बारडोली क्षेत्र में बिना कारण जब किसानों के ऊपर लगान की दर बढ़ा दी गई तो उन्होंने किसानों के साथ जन आन्दोलन किया। उन्होंने अपनी दृढ़ निश्चयी व ओजस्वी वाणी में किसानों को संबोधित करते हुए कहा- "आप तो किसान हैं, किसान कभी दूसरे की ओर हाथ नहीं पसारता। आप सब काम करने वाले हैं, फिर डर किसका? आप किसी से न डरे। न्याय और प्रतिष्ठा के लिए बराबर लडि़ए। आवश्यकता पड़े तो सारे देश के किसानों के लिए लड़कर दिखा दीजिए। देश के लिए अपने को मिटाकर संसार में अपनी अमर कीर्ति फैला दीजिए। पटेल की इसी ललकार के परिणामस्वरूप सरकार को घुटने टेकने पड़े और समझौता करने के लिए बाध्य होना पड़ा। इस आंदोलन के मुख्य सूत्रधार होने से वे  सरदार उपाधि से जनप्रिय हुए।
          देश स्वतंत्र हुआ पर साथ ही विभाजित भी हो गया। ऐसे समय में शांति स्थापित करने और लाखों विस्थापितों को बसाने की और देशी राज्यों को देश की मुख्य धारा में मिलाने की समस्या भारत के प्रथम गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल के सामने आयी तो वे न हतप्रभ हुए नहीं विचलित। बड़ी दृढ़ता और सूझ-बूझ से उन्होंनें शीघ्र ही समस्याओं पर विजय प्राप्त की। 15 दिसम्बर, 1950 को उनके निधन पर पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा-"इतिहास उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता और भारत का एकीकरण करने वाले के रूप में याद करेगा। स्वतंत्रता-युद्ध के वे एक महान सेनापति थे। वे ऐसे मित्र, सहयोगी और साथी थे, जिनके ऊपर निर्विवाद रूप से भरोसा किया जा सकता था"
          ...कविता रावत

22 टिप्‍पणियां:

Arogya Bharti ने कहा…

आधुनिक भारत के निर्माता और भारत का एकीकरण करने वाले सरदार बल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस पर देशवासियों को शुभकामनायें!
ज्ञानवर्धक जानकारी ..

vijay ने कहा…

मोदी सरकार द्वारा लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की पहल निश्चित ही एक सराहनीय व उल्लेखनीय पहल है।
.....................
स्वतंत्रता-युद्ध के महान सेनापति को नमन!

L.S. Bisht ने कहा…

बहुत अच्छा सामयिक लेख ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

वे वास्तव में लौह पुरुष थे आज उनके जन्म दिन पर देश के प्रति उनके कार्यो को याद करना उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित करना उनके पद चिन्हों पर चलना ही हमारे लिए श्रेयस्कर होगा भारत जैसे विशाल देश की एकता व अखंडता के लिए उन्हें हमेशा याद किया जायेगा..

प्रभात ने कहा…

बढ़िया लेख!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर लेख !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सार्थक लेख , नमन लौह पुरुष के महान व्यक्तित्व को .....

RAJ ने कहा…

भारत रत्न स्वतंत्रता-संग्राम के वीर सेना नायक सरदार वल्लभभाई पटेल को सादर नमन!!!
.....................
देशप्रेम की भावना जागती प्रेरणाप्रद लेख के लिए आभार .......

Unknown ने कहा…

Sunder va rochak aalekh... Sardar vallabhbhayi patel ji ko sadar naman!!

वाणी गीत ने कहा…

पटेल ने लौह पुरुष की परिभाषा को सार्थक किया!
बेहतरीन आलेख !

शिवनाथ कुमार ने कहा…

हम देशवासी कृतज्ञ हैं उनके
उनके जन्मदिवस पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने का संकल्प ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सरदार पटेल और उनके जैसे और भी कई सेनानियों को हमेशा से ही सरकार ने उचित सामान नहीं दिया है ... आशा है अब ये परिपाटी बदलेगी ...
उनके बारे में गहराई से जानना अच्छा लगा ...

Unknown ने कहा…

लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर सार्थक सामयिक लेखन ....................
लौह पुरुष के महान व्यक्तित्व को नमन!!!!

Unknown ने कहा…

दृढ़ निश्चयी महान स्वतंत्रता-संग्राम के वीर सेना नायक सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर सार्थक अभिव्यक्ति ...नमन अमर देशभक्त को ........

Surya ने कहा…

बहुत अच्छा ज्ञानवर्धक व सार्थक सामयिक लेख ।
लौह पुरुष के प्रति सम्पूर्ण राष्ट्र कृतज्ञ है .......

Manoj Kumar ने कहा…

लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को सत सत नमन !
अच्छा लेख !

Himkar Shyam ने कहा…

सुंदर और सामयिक...सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनकी जयंती पर नमन ...

virendra sharma ने कहा…

कविता जी पटेल के युगदान और योगदान को उल्लेखित करके आपने उन्हें सही याद किया है। वरना देश सिर्फ नेहरुवीय विरासत को ही याद करता रह जाता बेशक इंदिराजी का योगदान उल्लेख्य रहा है लेकिन देश के रहनुमा नेहरू खानदान से इतर भी अनेक रहे हैं। सरदार पटेल और नेताजी सुभाष उनमें अपना अलग स्थान बनाये रहेंगे। जयश्रीकृष्णा।

आशीष अवस्थी ने कहा…

बेहतरीन लेखन , आ. धन्यवाद !
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आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 3 . 11 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

Vocal Baba ने कहा…

सरदार बल्लभभाई पटेल के विषय में शानदार लेख पढ़ने को मिला है। वाकई लोह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल की बात ही निराली है।

Jitendra Parashar ने कहा…

bahut sunder aur vastvik lekh...very nice

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर लेखन 👌