मानव की प्रकृति हमेशा शक्ति की साधना ही रही है। महाशक्ति ही सर्व रूप प्रकृति की आधारभूत होने से महाकारक है, महाधीश्वरीय है, यही सृजन-संहार कारिणी नारायणी शक्ति है और यही प्रकृति के विस्तार के समय भर्ता तथा भोक्ता होती है। यही दस महाविद्या और नौ देवी हैं। यही मातृ-शक्ति, चाहे वह दुर्गा हो या काली, यही परमाराध्या, ब्रह्यमयी महाशक्ति है। मां शक्ति एकजुटता का प्रतीक हैं। इनके जन्म स्वरूप में ही देवत्व की विजय समायी है।
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महाशक्ति दुर्गा अष्ट भुजा है। भगवती की आठ भुजाएं उनके पास आठ प्रकार की शक्तियाँं होने का प्रतीक है। शारीरिक बल, विद्या बल, चातुर्य बल, शौर्य बल, धन बल, शस्त्र बल, मनोबल और धर्म बल इन आठ प्रकार की शक्तियों का सामूहिक नाम ही दुर्गा है। मॉ इन्ही सामूहिक शक्तियों के माध्यम से हमेशा राक्षसों पर विजय पाती आयी हैं।
11 टिप्पणियां:
शक्ति स्वरुपा माँ भगवती मैया की जै
माता रानी का सुन्दर विवरण ......नवरात्रि की मंगलकामना ....
सुन्दर ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
पूर्णतया सहमत.
कितनी सहजता से आपने इस पूजा का महात्म्य आज के सन्दर्भ में बताया. आपका सन्देश जन जन तक पहुंचे यही कामना है! सभी को शुभकामनाएँ पावन पर्व की!
माँ दुर्गा के चरित्र और उनके शक्ति के प्रारुप को सहज ही समझा दिया आपने ... माँ की शक्ति अपार है माँ को नमन है ...
बहुत अच्छा लेख
बहुत सुन्दर, शुभकामनाएँ
साधुवाद!
माँ दुर्गे और उनकी उत्पत्ति विशेष परिएथिति में हुयी .... और अपना योजन पूरा कर के शक्ति की मान्यता स्थापित की है माँ ने ... बहुत ही सुन्दर आलेख है ... आज की पीड़ी को सही जानकारी देता हुआ ...
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