जन्म लिया लौह पुरुष ने, वल्लभ था नाम।
राष्ट्रीय एकता दिवस, मनाते हैं सब मिलकर।
वीर सेनानी हमारे, कोटि-कोटि प्रणाम!
वकालत की राह छोड़, देश हित में आए,
विलासिता को ठुकरा, स्वतंत्रता को अपनाए।
खेड़ा, बारडोली में गूँजी उनकी ललकार,
दांडी यात्रा, सविनय, भारत छोड़ो आधार।
आजादी आई, पर संग लाई रियासतें
छोड़ गए अंग्रेज, पाँच सौ बासठ विरासतें।
खण्ड-खण्ड होता भारत, गर वो न होते साथ,
सूझ-बूझ से जोड़ा, थाम लिया हर हाथ।
दृढ़ निश्चय स्वभाव में, जो ठाना वही किया,
किसानों के लिए लगान का बोझ हटा दिया
जन-आंदोलन के वो, बने मुख्य सूत्रधार।
बारडोली ने दी उपाधि, प्यारे 'सरदार'।
गृहमंत्री बनकर सम्भाला, विभाजित हिंदुस्तान,
शरणार्थियों को बसाया, दिया नया मकान।
समस्याओं पर पाई विजय, अटल उनके कदम,
नेहरू ने भी माना, आधुनिक भारत जनम
इतिहास याद रखेगा, तुम्हारा ये महान कार्य।
लौह पुरुष की गाथा, गूँजेगी युगों-युग तक,
देशप्रेम से ओतप्रोत, तुम्हें शत-शत नमन!
राष्ट्रीय एकता दिवस, है हमारी पहचान!
... कविता रावत 
 
 
 

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