यम पहुँचे यमुना द्वारे, बहना प्रेम लुटाई।
थाली में दीपक रोली, सजी स्नेह की थाली,
नयनों में अनुराग छलके, मन में भक्ति निराली।
गणपति को पहले वंदन, फिर यमुना ध्यान लगाए,
तिलक करे भाई के माथे, मंगल गीत सुनाए।
भाई दूज की जय, जय यमुना मैया की!
धर्मराज हुए प्रसन्न, वर देने को आए,
जो बहना से मिलन करे, अकाल मृत्यु टल जाए।
भाई रहे सुखी सदा, दीर्घायु हो देह,
यमुना की भक्ति से बँधा, स्नेह बने अनमेह।
भाई दूज की जय, जय यमुना मैया की!
जग महके बहना के प्रेम से, दीप जले हर द्वार,
भाई दूज का पर्व कहाए, रक्षा-स्नेह अपार।
जय यम, जय यमुना पावन, अमृत प्रेम बरसाए,
बंधन रहे अटूट सदा, जीवन सुख बन जाए।
कार्तिक की आई द्वितीया, उजियारी घड़ी आई,
यम पहुँचे यमुना द्वारे, बहना प्रेम लुटाई
... कविता रावत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें