जय जय वाल्मीकि गुरु देवा, स्वामी, सतगुरु, आदिकवि!, जय जय वाल्मीकि गुरु देवा। महर्षि वाल्मीकि जी की वंदना - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, geet, bhajan, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

जय जय वाल्मीकि गुरु देवा, स्वामी, सतगुरु, आदिकवि!, जय जय वाल्मीकि गुरु देवा। महर्षि वाल्मीकि जी की वंदना


जय जय वाल्मीकि गुरु देवा,
स्वामी, सतगुरु, आदिकवि!,
जय जय वाल्मीकि गुरु देवा,
भव-भय-हरता, आदि कवि!
​अलख निरंजन स्वामी आप,
श्री राम से नाता जोड़ा।
सृष्टि का जिसने मेल कराया,
मुक्ति का मार्ग मोड़ा।
​जय जय वाल्मीकि गुरु देवा,
स्वामी, सतगुरु, आदिकवि!
जय जय वाल्मीकि गुरु देवा,
भव-भय-हरता, आदि कवि!
​आप कला संपूर्ण, रचना त्रिलोक की,
रामायण रचने वाले।
योग वशिष्ठ के भी निर्माता,
दुःख सबके हरने वाले।
पूर्ण दयाला, कर्ता तुम ही,
ज्ञान प्रकाश भरने वाले।
​जय जय वाल्मीकि गुरु देवा,
स्वामी, सतगुरु, आदिकवि!
जय जय वाल्मीकि गुरु देवा,
भव-भय-हरता, आदि कवि!
​आप तप, सेवा, संघर्ष प्रतीक,
जीवन-परिवर्तन दिखलाया।
धर्म का मर्म सिखाया जग को,
प्रेम, दया, करुणा बरसाया।
​जय जय वाल्मीकि गुरु देवा,
स्वामी, सतगुरु, आदिकवि!
जय जय वाल्मीकि गुरु देवा,
भव-भय-हरता, आदि कवि!
... कविता रावत 


1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आदि कवि को प्रणाम ... वंदन माटी में उपजे कितने महान पुरुष ...