कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले
हकीकत का सामना करने से डरते हैं
जो हौंसला रखते सागर पार करने की
वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं
ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी
पर भला भरसक यत्न कितने करते हैं?
जो राह पकड़ चलते-रहते हैं निरंतर
वही एक दिन मंजिल तक पहुँचते हैं
देखकर निर्मल गगन के पंछियों को
मन जिसका उड़ान भरने लगता है
पर लगाकर जो उड़ना चाहे आसमां में
वह जमीं पर भला कैसे चल सकता है?
आखिर बह रही है हवा किस ओऱ को
जिसको इसकी रुख की सीख नहीं
हल्का हवा का झौंका ही काफी है
उसे तूफानों से टकराना ठीक नहीं
17 comments:
सराहनीय सृजन।
कविता जी की इस कविता का मर्म अपने भीतर अवशोषित करने का प्रयास कर रहा हूँ। पुरुषार्थ अपने स्थान पर है, भाग्य अपने स्थान पर। ज़िन्दगी की हक़ीक़त कितनी भी तल्ख़ क्यों न हो, उससे भागकर इंसान जाएगा भी तो कहाँ? लेकिन हाथ पर हाथ धरे बैठना भी ग़लत ही है। जिसे कहीं पहुँचना हो, उसे चलना तो होगा ही।
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (२७-०५-२०२२ ) को
'विश्वास,अविश्वास के रंगों से गुदे अनगिनत पत्र'(चर्चा अंक-४४४३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कविता दी।
आदरणीय मैम,
आपकी कविता एवं उसकी शब्दावली हर उस व्यक्ति के लिए दवा का कार्य करेगी
जो थक हार कर बैठ गया ।
उत्साहपूर्ण रचना
सुन्दर अति सुन्दर !
सुन्दर, सन्देशप्रद रचना!
वाह क्या बात कही है कविता जी, देखकर निर्मल गगन के पंछियों को
मन जिसका उड़ान भरने लगता है
पर लगाकर जो उड़ना चाहे आसमां में
वह जमीं पर भला कैसे चल सकता है? सच्च्च्च्च्च्च्ची में , उत्साहवर्द्धन करती एक शानदार रचना
ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी
पर भला भरसक यत्न कितने करते हैं?
जो राह पकड़ चलते-रहते हैं निरंतर
वही एक दिन मंजिल तक पहुँचते हैं
वाह!!!
बहुत ही सटीक एवं प्रेरक सृजन
आशा का संचार करती रचना
जीवन की जंग हौसले वाले ही जीता करते हैं।
कर्मठ ही भागीरथी लाते हैं धरा पर।
वाह बहुत खूब।
बहुत अच्छी और सुंदर रचना
प्रेरक और आशान्वित करती सुंदर रचना ।
सुंदर भावों से युक्त प्रेरक रचना।
Bahut Sundar Rachna Sarthak Sandesh
प्रेरक सृजन आदरणीया कविता जी 🙏
सार्थक सन्देश देती अभिव्यक्ति!!
बढ़िया अभिव्यक्ति
सराहनीय सृजन।
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