
दीपावली आदिकाल में आर्यों की आर्थिक सम्पन्नता एवं हर्षोल्लास का उत्सव हुआ करती थी। जिसमें कृषि उपज को आर्थिक सम्पन्नता का मापदण्ड माना जाता था। फसल के घर आने को स्वर्ण माना जाता था। वर्षभर कड़े श्रम के बाद घर आई ‘अन्न-धन‘ रूपी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए घर-आंगन लीप-पोत कर साफ-सुथरे कर अभाव रूपी कूड़े-करकट को झाड़-बुहार कर एक किनारे फेंक दिया जाता था। हर घर में नए कपास की बाती से नए तिल के तेल के दीप संजोए जाकर सुखद कामना के साथ नए वर्ष की आगवानी की जाती थी। यह उत्सव एक दिवसीय न होकर कार्तिक त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की दूज तक जिसमें धन-त्रयोदशी, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) तथा भैयादूज शामिल है, बड़े धूम-धाम से मनाया जाता था। भले ही आज भी बड़े उत्साहपूर्वक इस प्राचीन परम्परा को जीवित रखते हुए गरीब-अमीर सभी अपनी-अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार घरों की सफाई, रंग-रोगन, लिपाई-पुताई और विद्युत् साज-सज्जा कर अपने-अपने घरों के दरवाजे-खिड़कियां खुले रखकर कार्तिक अमावस्या की काली रात को दीपकों की पंक्ति जलाकर उसे पूर्णिमा से अधिक उजियारा करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस उजियारे के पीछे मूल भावना धन,सम्पत्ति, सौभाग्य एवं सत्वगुण की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी का ही आह्वान होता है, जिसके लिए सभी यत्नशील रहते है। पहले जहाँ श्रम-साध्य धर्म पर आधारित अर्थ (लक्ष्मी) कमलासना को पाने के लिए पूजन किया जाता था वहीं आज उलूकवाहिनी लक्ष्मी का पूजन ही श्रेयस्कर समझा जाने लगा है।
आज दीपावली तमाम प्राचीन मान्यताओं, विश्वासों की कसौटी पर कितनी खरी है, यह बात किसी से छुपी नहीं है। इसमें लोक कल्याण की क्या मूल भावना समाहित थी? यह बात अब गौण होती जा रही है। इसे पूर्व स्वरूप में देखना बेमानी है। आज यह हमारे सामने विशुद्ध रूप से बाजार वाद और भौतिकवादी संस्कृति को लवादा ओढ़कर सामने खड़ा दिखाई दे रहा है। घर की लिपाई-पुताई, रंग-रोगन से लेकर खरीददारी आदि कई मामलों में अमीर-गरीब का भेद व्यापक तौर पर खुलकर देखने को मिल जाता है।
दीपावली के दिन भले ही लोगों को अपनी आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार अमावस्या की काली रात को ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय‘ के तर्ज पर नए-नए कपड़े लत्ते पहनकर सस्ते-महंगे दीयों में घी-तेल भरकर घर-आंगन को रोशन कर धन लक्ष्मी की पूजा अर्चना की परम्परा बद्स्तूर जारी रखते हुए गाहे-बगाहे खुश होते हुए आपस में मेवा-मिठाई बांटते हुए छोटी-बड़ी फुलझडि़यां, बम-पटाखे साथ चला कर खुश दिखाई देते हों, लेकिन मुझे तो विभिन्न आकर्षक उपहारों से सजे-धज्जे बाजार और खरीददारों की उमड़ती भीड़ देखकर असली खुशी का श्रोत यही आकर्षक दीपावली उपहारों में ही सिमटा दिखाई देता है जहां बाजार में मनोवांछित उपहारों की खरीद-फरोख्त का सिलसिला जमकर चलता रहता है। किसी को अपने बच्चों के लिए उपहार स्वरूप देने के लिए आधुनिक मोबाईल, लैपटॉप, बाईक, कार, साइकिल इत्यादि खरीदने की तो किसी को धन-लक्ष्मी रूठे नहीं इसके लिए आपसी भाईचारा और मेल-मिलाप बनाए रखने के लिए अच्छे से अच्छा उपहार खोज निकालने की भारी जिम्मेदारी दिखती है। कोई एक बार में ही शानदार उपहार भेंट कर वर्ष भर सुख-चैन की नींद लेने की फिराक में तो कोई नए समीकरण जुटाने की महाजुगत भिड़ाने के लिए उपहारों के बाजार को खंगालने में जुटा रहता है। प्रायः सभी लोग दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन कर, मेवा-मिठाई खाने-पीने के साथ ही परस्पर उपहार की अपेक्षा कर बैठते हैं, लेकिन जिसके नसीब में जो उपहार लिखा हो उसे वही मिल पाता है। .........................................
शहर की बहुमंजिला इमारतों/घरों से
सालभर का जमा पुराना कबाड़खाना
बाहर निकल आया उत्सवी रंगत में
उसकी आहट सुन कुछ मासूम बच्चे
खुश हो निकल पड़े हैं उसे हथियाने
यूं ही खेलते-कूदते, लड़ते-झगड़ते
क्योंकि वे भलीभांति जानते हैं हरवर्ष
Diwali bahut mubarak ho!
जवाब देंहटाएंये जो तंग गली, सड़क किनारे बिखरा
जवाब देंहटाएंशहर की बहुमंजिला इमारतों/घरों से
सालभर का जमा पुराना कबाड़खाना
बाहर निकल आया उत्सवी रंगत में
उसकी आहट सुन कुछ मासूम बच्चे
खुश हो निकल पड़े हैं उसे हथियाने
यूं ही खेलते-कूदते, लड़ते-झगड़ते
क्योंकि वे भलीभांति जानते हैं हरवर्ष
यही है उनका शहरी दीवाली उपहार!!
......
प्रायः सभी लोग दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन कर, मेवा-मिठाई खाने-पीने के साथ ही परस्पर उपहार की अपेक्षा कर बैठते हैं, लेकिन जिसके नसीब में जो उपहार लिखा हो उसे वही मिल पाता है।
..... सच्ची बात तो यही है ....
सबके घर रोशन हों यही शुभकामना करते हैं ...
सार्थक पोस्ट .
जवाब देंहटाएंघर में सुख समृद्धि वहीँ आती है जहाँ घर की लक्ष्मी का सम्मान होता है.
दिवाली तभी शुभ हो पायेगी
जब प्रदुषण से बचा पायेगी.
बम / पटाखे रहित दिवाली के लिए शुभकामनायें .
आपको भी दीपावली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ब्लॉग पोस्ट....
जवाब देंहटाएंआपको भी दीपावली की शुभकामनायें
अच्छी और सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सही कहा आपने कविता जी ....दिवाली मुबारक :)
जवाब देंहटाएंजिसके हिस्से जो हो ... सच है .दीपावली की स्नेहिल शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंक्योंकि वे भलीभांति जानते हैं हरवर्ष
जवाब देंहटाएंयही है उनका शहरी दीवाली उपहार!!
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
ये जो तंग गली, सड़क किनारे बिखरा
जवाब देंहटाएंशहर की बहुमंजिला इमारतों/घरों से
सालभर का जमा पुराना कबाड़खाना
बाहर निकल आया उत्सवी रंगत में
उसकी आहट सुन कुछ मासूम बच्चे
खुश हो निकल पड़े हैं उसे हथियाने
यूं ही खेलते-कूदते, लड़ते-झगड़ते
क्योंकि वे भलीभांति जानते हैं हरवर्ष
यही है उनके नसीब का दीवाली उपहार!
हाँ !ये जो कविता बीन ने वाले नन्ने हाथ हैं इनके लिए कचरे की ढ़ेर सारे कचरे की सौगात ही लाती है दिवाली .वह जो बिना सुइयों वाली घडी जैसा निर्भाव ,सपाट ,उल्लासहीन चेहरा है जिसे लोग मन मोहन बताते हैं वह इसे ही विकास
कहते बतलाते हैं .आंकड़ों की बिसात में यह बढ़ता हुआ कचरा भी शामिल है .मार्मिक ,व्यवस्था गत तंज करती चलती है आपकी रचना .बधाई .दिवाली मुबारक .
एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :
SATURDAY, NOVEMBER 10, 2012
सबका अपना-अपना दीपावली उपहार!
http://kavitarawatbpl.blogspot.in/2012/11/blog-post.html#comment-form
दीपक नगमे गा रहे,मस्ती रहे बिखेर
जवाब देंहटाएंसबके हिस्से है खुशी,हो सकती है देर.
दीपावली की हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
बहुत ही उम्दा पोस्ट |दीपावली की शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंधनतेरस की बहुत बहुत शुभकमानएं
जवाब देंहटाएंएक नजर मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर डालें
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/11/blog-post_10.html?spref=fb
दीपावली का त्यौहार आपके लिए मंगलमय हो
जवाब देंहटाएंअब अपनी टिप्पणी के साथ अपनी पसंद अनुसार कोई भी ग्रीटिंग भेजें
सबके लिये ही प्रकाशमय हो दीवाली..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
कूड़े के ढेर में सौगात ढूंढते बच्चे .... नसीब है ॥
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें
ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें |
यूनिक ब्लॉग--------- आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली की शुभकामनाएं| ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें |
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट : तीन लोग आप का मोबाईल नंबर मांग रहे थे, लेकिन !
दीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ....
जवाब देंहटाएंअच्छी और सार्थक प्रस्तुति....... दीपावली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंतमसो मा ज्योतिर्गमय... दीपावली की शुभकामनाएं। नया पोस्ट प्रेम सरोवर पर आपका इंतजार कर रहा है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान
**♥**♥**♥**● राजेन्द्र स्वर्णकार● **♥**♥**♥**
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
भैलो और स्वाले दीवाली का सबसे अच्छा स्वरूप है।
जवाब देंहटाएंकिसी को अपने बच्चों के लिए उपहार स्वरूप देने के लिए आधुनिक मोबाईल, लैपटॉप, बाईक, कार, साइकिल इत्यादि खरीदने की तो किसी को धन-लक्ष्मी रूठे नहीं इसके लिए आपसी भाईचारा और मेल-मिलाप बनाए रखने के लिए अच्छे से अच्छा उपहार खोज निकालने की भारी जिम्मेदारी दिखती है। कोई एक बार में ही शानदार उपहार भेंट कर वर्ष भर सुख-चैन की नींद लेने की फिराक में तो कोई नए समीकरण जुटाने की महाजुगत भिड़ाने के लिए उपहारों के बाजार को खंगालने में जुटा रहता है। प्रायः सभी लोग दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन कर, मेवा-मिठाई खाने-पीने के साथ ही परस्पर उपहार की अपेक्षा कर बैठते हैं, लेकिन जिसके नसीब में जो उपहार लिखा हो उसे वही मिल पाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक आलेख
अन्धा बांटे रेवाड़ी अपनों अपनों को दे ...यही चरितार्थ होती है दीपवाली के उपहारों से ...
दिवाली मुबारक हो ...
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जवाब देंहटाएंधन वैभव दें लक्ष्मी , सरस्वती दें ज्ञान ।
गणपति जी संकट हरें,मिले नेह सम्मान ।।
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दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
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अरुण कुमार निगम एवं निगम परिवार
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खूबसूरत प्रस्तुति....आपको भी दीपावली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लेख
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें!
अच्छी और सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें!!!!
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंdeepawali pr hardik subhkamnayhen rawat ji
जवाब देंहटाएंदीपावली पर सुदर प्रस्तुति । विलंब से मेरी शुभकामनाएं। मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक स्वागत है।
जवाब देंहटाएंअच्छी और सार्थक प्रस्तुति कविता जी ..... दीपावली की शुभकामनायें देरी से पहुच पाया हूँ
जवाब देंहटाएंSubh deepawali
जवाब देंहटाएंvery nice post...
जवाब देंहटाएंNamste Kavita Ji..
जवाब देंहटाएंBahut hi sunder tarike se aap shabdon ko pirotin ho. Sach me aapki kalam me jaadu hai.
Jai Ram Ji Ki
दीपावली तो अमीरों की ही रहती है गरीब बेचारा क्या खाए क्या उडाये ......उपहार तो किस्मत से ही मिलता है .........
जवाब देंहटाएंब्लॉग पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुयी ....दीवापली की मंगल कामनाएं...........
बहुत सही
जवाब देंहटाएंआदरणीया कविता जी बहुत सुन्दर सन्देश और जानकारी आप सब को भी दीवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं ....मन खुश हो गया सुन्दर प्रभावी लेख ...बधाई
जवाब देंहटाएंभ्रमर 5
सार्थक आलेख
जवाब देंहटाएंदीपावली बहुत मुबारक हो!
पर्व-परंपरा का सुंदर चित्रण।
जवाब देंहटाएंदेवोत्थानी एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा की बधाई।
प्रभावशाली प्रस्तुति - हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंये जो तंग गली, सड़क किनारे बिखरा
जवाब देंहटाएंशहर की बहुमंजिला इमारतों/घरों से
सालभर का जमा पुराना कबाड़खाना
बाहर निकल आया उत्सवी रंगत में
उसकी आहट सुन कुछ मासूम बच्चे
खुश हो निकल पड़े हैं उसे हथियाने
यूं ही खेलते-कूदते, लड़ते-झगड़ते
क्योंकि वे भलीभांति जानते हैं हरवर्ष
यही है उनके नसीब का दीवाली उपहार
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यथार्थ का बोध कराती सटीक पंक्तियाँ ...
बहुत सुन्दर लेख ....धन्यवाद कविता जी ...
प्रायः सभी लोग दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन कर, मेवा-मिठाई खाने-पीने के साथ ही परस्पर उपहार की अपेक्षा कर बैठते हैं, लेकिन जिसके नसीब में जो उपहार लिखा हो उसे वही मिल पाता है।
जवाब देंहटाएंमैडम आपने एकदम सही बात कही है आज उपहार के बिना दिवाली अधूरी हैं ..लेकिन नसीब में जो जिसके लिखा हो ...वही मिलता है .....
देर से सही दीवाली की शुभकामनायें
क्योंकि वे भलीभांति जानते हैं हरवर्ष
जवाब देंहटाएंयही है उनके नसीब का दीवाली उपहार!..
दिवाली का एक ये भी मार्मिक पहलू हो ... सोचने को मजबूर करती पोस्ट ...