कितनी मासूम है दादी मां - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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बुधवार, 23 अक्टूबर 2024

कितनी मासूम है दादी मां



कितनी मासूम है दादी मां
खुद को सुनाई नहीं देता
फिर भी सुनाने बैठ जाती है अक्सर
ये जानते हुए भी कि
अब नहीं कोई उनकी सुनने वाला
फिर भी जब तब सुनाने से बाज नहीं आती
भले ही किसी के कान में जूं रेंगे या न रेंगें
बस एक बार शुरू क्या हुई कि
सुनाती चली जाती है
सुनाती चली जाती है

कितनी अबोध है दादी मां
भूल जाती है कि
अब उनके सुनाने के दिन लद चले
उनकी बारी खत्म हो चली है
लेकिन मानने को तैयार नहीं
इतनी सी बात समझती नहीं कि
एक उम्र होती है सुनाने की
और फिर एक उम्र आती है सुनने की
इसे जो जितनी जल्दी समझ जाय
उतनी उसकी सेहत के लिए भली होती है

... कविता रावत