दीपावली जन-मन की प्रसन्नता, हर्षोल्लास एवं श्री-सम्पन्नता की कामना के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक की अमावस्या की काली रात्रि को जब घर-घर दीपकों की पंक्ति जल उठती है तो वह पूर्णिमा से अधिक उजियारी होकर 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' को साकार कर बैठती है। यह पर्व एक दिवसीय न होकर कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की दूज तक बड़े हर्षोल्लास से सम्पन्न होता है। इसके साथ ही दीपावली को कई महान तथा पूज्य महापुरूषों के जीवन से सम्बद्ध प्रेरणाप्रद घटनाओं के स्मृति पर्व के रूप में भी याद किया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन महाराज युधिष्ठिर का राजसूय-यज्ञ भी सम्पन्न हुआ था। राजा विक्रमादित्य भी इसी दिन सिंहासन पर बैठे थे। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती, जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी तथा सर्वोदयी नेता आचार्य विनोबा भावे का स्वर्गारोहरण का भी यही दिवस है। सिक्खों के छठवें गुरु हरगोविन्द जी को भी इसी दिन कारावास से मुक्ति मिली। वेदान्त के विद्वान स्वामी रामतीर्थ का जन्म, ज्ञान प्राप्ति तथा निर्वाण, तीनों इसी दिन हुए थे।
भारत वर्ष में दीपावली को मनाने का सबसे प्रचलित जनश्रुति भगवान श्रीराम से जुड़ी है। जिसमें माना जाता है कि आदर्श पुरूष श्रीराम जब लंका विजय के बाद माता सीता सहित अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए अपने-अपने घरों की साफ-सफाई कर सजाया और अमावस्या की रात्रि में दीपों की पंक्ति जलाकर उसे पूर्णिमा में बदल दिया। जिससे यह प्रथा दीपों के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
दीपावली में साफ-सफाई का विशेष महत्व है। क्योंकि इसका सीधा सम्बन्ध हमारे शरीर को आरोग्य बनाए रखने से जुड़ा होता है। शरीर को सत्कर्म का सबसे पहला साधन माना गया है (शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्) और यह तभी सम्भव हो सकता है जब हम स्वस्थ रहेंगे। क्योंकि पूर्ण स्वास्थ्य संपदा से बढ़कर होता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास हो सकता है। इसके लिए जरूरी है वर्षा ऋतु समाप्त होने पर घरों में छिपे मच्छरों, खटमलों, पिस्सुओं और अन्य दूसरे विषैले कीट-पतंगों को मार-भगाने का यचोचित उपचार जिससे मलेरिया, टाइफाइड जैसी घातक बीमारियों को फलने-फलने को अवसर न मिले। सभी लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार घरों की लिपाई-पुताई, रंग-रोगन कर घर की गन्दगी दूर कर आरोग्य होकर खुशियों की दीप जलायें।
दीपावली में घर की साफ़-सफाई तो सभी कर लेते हैं लेकिन जरा गंभीर होकर क्यों न हम अपने -अपने आस-पास के वातावरण को भी देख लें, जिसमें हमें आरोग्य रहना है। आरोग्य रहने की पहली शर्त है ताजी हवा और शुद्ध पानी का सेवन। गांवों में ताजी हवा तो मिलती है लेकिन गंदगी के कारण वह दूषित हो जाती है। गांवों में जगह-जगह कूढ़े-करकट के ढेर लगे रहते हैं। कई लोग आज भी आस-पास ही दिशा-पानी के लिए बैठ जाते हैं, जिससे गंदगी फैलती है और मक्खी-मच्छर उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे कई रोग उत्पन्न होते हैं। जरा सोचिए, ऐसी हालत में कैसे स्वस्थ होकर खुशी मनाएंगे। गांवों को साफ-सुथरा रखा जाए तो वहाँ के निवासी ताजी हवा का सेवन कर हमेशा स्वस्थ रह सकेंगे। गाँव में पीने के पानी की भी बड़ी समस्या रहती है। कच्चे कुएं का पानी नुकसानदेह तो होता ही है साथ ही पोखर और तालाबों का पानी पीने से भी कई प्रकार की बीमारियां लग जाती है। सारा गांव उन्हीं में नहाता-धोता रहता है और उसी पानी को पीता है, जिससे कई बीमारियां उसे घेर लेती हैं। अब जरा शहर पर नजर दौड़ाइए- यहां न तो ताजी हवा ही मिलती है और न पानी। गाड़ी-मोटर, मिल और कारखानों के कार्बन-डाइआक्साइड उगलते धुएं से दूषित वातावरण स्वास्थ्य के लिए कितना नुकसानदेह है, इससे सभी जानते हुए भी अनभिज्ञ बने रहते हैं। शहर की घनी आबादी के गली-कूंचों से यदि कोई सुबह-सुबह ताजी हवा के लिए निकल पड़े तो साक्षात नरक के दर्शन होना बड़ी बात नहीं हैं। नदियों का पानी हो या तालाबों का जब सारे गांव-शहर भर की गंदगी को समेटे नाले उसमें गिरते हैं तो वह कितना पीने लायक होता है यह किसी से छिपा नहीं। इससे पहले कि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ समय बाद शहर का अर्थ होगा, मौत का घर’ वाली बात सच हो हम एकजुट होकर समय रहते जागें और स्वस्थ रहने के उपायों पर जोर दें ताकि स्वयं के साथ ही देश की खुशहाली में अपनी भागीदारी निभायें। शक्तिहीन रोगी इंसानों का देश न तो कभी खुशहाल और सुख से रह सकता है और न धरती का स्वर्ग बन सकता है।
गांव में किसान हो या मजदूर दिन भर काम करके बुरी तरह थक जाते हैं। इस परिश्रम की थकान को मिटाने तथा प्रसन्न रहने के लिए समय-समय धूमधाम से मनाये जाने वाले त्यौहार उनमें नई उमंग-तरंग भरकर ऊर्जा संचरण का काम करते हैं, जो स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी हैं। यद्यपि शहर की अनियमित दिनचर्या के बीच जीते लोगों के लिए आरोग्य बने रहने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जिसमें सबसे मुख्य व्यायाम कहा जा सकता हैं। तथापि शहरी भागमभाग में लगे रहने से उनका ध्यान इस ओर बहुत कम और जरा सी अस्वस्थता के चलते अंग्रेजी दवाएं गटकने में ज्यादा रहता है, जिसका दुष्परिणाम कई तरह की बीमारियों के रूप में आज हम सबके सबके सामने है। वे भूल जाते हैं कि नियमित व्यायाम स्वस्थ तन को आरोग्य बनाए रखने के लिए कितना आवश्यक है। इसके साथ ही उनके लिए यह त्यौहार भी थके-हारे, हैरान-परेशान मन में उमंग-तरंग भर आरोग्य बने रहने के लिए कम नहीं हैं।
स्वस्थ और सार्थक जीवन हेतु दीपपर्व पर अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएं!
-कविता रावत
30 टिप्पणियां:
सुंदर आलेख,,,,
दीपपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं! ,,,
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
कल 31/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
शोधपूर्ण, ओजपूर्ण लेख, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए।
सुंदर एवं शोधपूर्ण आलेख.
नई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और लक्ष्मी पूजन
जाड़ा स्वास्थ्यवर्धक होता है और वर्षा में बहुत कीटाणु आदि रहते हैं, अतः संक्रमणकाल का उपयोग सफाई के लिये करना अच्छा है, हम सबके लिये।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-10-2013 के चर्चा मंच पर है
कृपया पधारें
धन्यवाद
उपयोगी बातें कहीं आपने। आपको भी दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
बढ़िया लेख |दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
नई पोस्ट हम-तुम अकेले
आयी फिर दीपावली, लेकर नवल प्रकाश।
आज हमारे देश में रहे न कोउ उदास।।
सुंदर !
!! प्रकाश का विस्तार हृदय आँगन छा गया !!
!! उत्साह उल्लास का पर्व देखो आ गया !!
दीपोत्सव की शुभकामनायें !!
बढ़िया लेख उपयोगी बातें कहीं आपने। आपको भी दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
bahut badhiya aalekh ...deepawali mubaarak kavita ji
बहुत उम्दा...बधाई...
सुन्दर लेख. दीवाली की शुभकामनायें.
दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं ....
दीपावली के महत्त्व को बहुत विस्तार से साझा किया है ...
आज के दिन अधिकाँश घरों में सफाई ... साज व्यवस्था का ख़ासा कार्यक्रम चलता है ... न सिर्फ घर बल्कि समाज की गन्दगी की भी सफाई करना उद्देश्य होना चाहिए आज के दिन ...
दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
दीवाली का आरोग्य चिंतन बहुत प्रशसनीय है ....
आपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनायें!!!
पल पल सुनॆहरे फूल खिले
कभी ना हो कांटो का सामना
ज़िंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे
दिवाली पर हमारी यही मनोकामना...
पर्व विशेष का बहुत सुन्दर सार्थक चिंतन ..
दीए की रौशनी सा रौशन, दीपों के पर्व दीपावली की आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं !
सुन्दर दीपावली उपहार जैसा लेख ...
शुभ दीपावली!
अति सुन्दर ...
ग्यारस और दीपावली कि शुभकामना ............
सुन्दर प्रस्तुति ,बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें
आदरणीय श्री कविता जी , और मैं क्या कहू आपसे समस्त लेख अच्छे हैं , शुभकामनाएं धन्यवाद
सूत्र आपके लिए अगर समय मिले तो --: श्री राम तेरे कितने रूप , लेकिन ?
* जै श्री हरि: *
...........बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको
पर्व दिवाली का आरोग्य पक्ष खूबसूरती से मुखरित हुआ अहै इस पोस्ट में। शुक्रिया आपकी टिपण्णी का।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-10-2018) को "इस धरा को रौशनी से जगमगायें" (चर्चा अंक-3147) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर और सार्थक लेख...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
दीपावली से जुड़ा एक प्रसंग क्रिशन काल में भी आता है ... ऐसा कहा जाता है की आज के दिन श्री क्रिशन ने नरकासुर को मार कर १६००० रानियों को मुक्त कराया था ...
वैसे दिवाली के अवशेष मोहन जोदाडो की खुदाई में भी मिले थे .. शायद दिवाली एक ऐसा त्योहार है जिसको पूरा भारत वर्ष किसी न किसी रूप में मानता है ...
आप को भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक बधाई ...
संक्रमण काल के पश्चात् साफ सफाई से जीवन रोग मुक्त हो जाता है। दीपावली का हार्दिक शुभकामनाये।
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