
"कौमी तिरंगे झंडे, ऊँचे रहो जहाँ में
हो तेरी सर बुलंदी, ज्यों चाँद आस्मां में
तू मान है हमारा, तू शान है हमारी
तू जीत का निशाँ है, तू जान है हमारी
आकाश और जमीं पर, हो तेरा बोल बाला
झुक जाय तेरे आगे, हर तख्तो- ताज वाला
हर कौम की नज़र में, तू अमन का निशाँ है"
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विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा
इस झंडे के नीचे निर्भय
होये महान शक्ति का संचय
बोलो भारत माता की जय
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उस समय छोटे-छोटे कदमों से जंगल की संकरी डरावनी राह चलते यह गीत हौसला बुलंद करने के लिए कम नहीं था.............
झंडा ऊँचा रहे हमारा
इस झंडे के नीचे निर्भय
होये महान शक्ति का संचय
बोलो भारत माता की जय
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उस समय छोटे-छोटे कदमों से जंगल की संकरी डरावनी राह चलते यह गीत हौसला बुलंद करने के लिए कम नहीं था.............
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
सामने पहाड़ हो
या सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं
तुम निडर हटो नहीं
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इन गीतों के बीच-बीच में तब गुरूजी हम बच्चों में नया जोश भरने के लिए इस तरह नारे बुलंद करते कि...
"शेर बच्चो!"
"हाँ जी हाँ"
"खाते क्या हो?"
" दूध-मलाई"
"करते क्या हो?"
"देश भलाई"
.. तब बचपन के इन "दूध -मलाई" और "देश भलाई" जैसे नारों की समझ तो थी नहीं, लेकिन अब जब बहुत कुछ समझ आता है तो अब न वैसी दूध मलाई और देश भलाई देखने को आंखें तरस कर रह जाती हैं। खैर दूध मलाई और देश भलाई के परे आइए, एक बार फिर इस स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर आप भी मेरे साथ-साथ ये प्यारा गीत गाकर उन अमर वीर सैनानियों को याद कीजिए, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया....
"इस वास्ते पंद्रह अगस्त है हमें प्यारा
आजाद हुआ आज के दिन देश हमारा"
इस दिन के लिए खून शहीदों ने दिया था
बापू ने भी इस दिन के लिए ज़हर पिया था
इस दिन के लिए नींद जवाहर ने तजी थी
नेताजी ने पोशाख सिपाही की सजी थी
गूंजा था आज देश में जय हिंद का नारा
आज़ाद हुआ आज के दिन देश हमारा
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