
"कौमी तिरंगे झंडे, ऊँचे रहो जहाँ में
गुरूजी - "शेर बच्चो!"
बच्चे - "हाँ जी हाँ"
गुरूजी - "खाते क्या हो?"
बच्चे - " दूध-मलाई"
गुरूजी - "करते क्या हो?"
बच्चे - "देश भलाई"
स्वतंत्रता दिवस की मंगलकामनाओं सहित
जय हिंद, जय भारत
...कविता रावत
हो तेरी सर बुलंदी, ज्यों चाँद आस्मां में
तू मान है हमारा, तू शान है हमारी
तू जीत जा निशाँ है, तू जान है हमारी
आकाश और जमीं पर, हो तेरा बोल बाला
झुक जाय तेरे आगे, हर तख्तो- ताज वाला
हर कौम की नज़र में, तू अमन का निशाँ है"
..................
और नारों का भी तब हमारे पास कम जवाब नहीं था -
गुरूजी - "शेर बच्चो!"
बच्चे - "हाँ जी हाँ"
गुरूजी - "खाते क्या हो?"

गुरूजी - "करते क्या हो?"
बच्चे - "देश भलाई"
...बचपन के इस "दूध -मलाई" और "देश भलाई" के मायने धीरे-धीरे बदलकर गहन शोध के विषय बन जायेंगे, इसका ख्याल कभी जेहन में आया ही नहीं पाया था।
स्वतंत्रता दिवस की मंगलकामनाओं सहित
जय हिंद, जय भारत
...कविता रावत
बहुत ही अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
चलो आज 'हम स्वतंत्र है और रहेंगे' यह भाव एक बार सबके मन तो आता है
जवाब देंहटाएंजो मन में 'राष्ट्र और राष्ट्रीयता' की हलकी-सी हलचल उत्पन्न कर जाता है
आओ सभी फहरा कर तिरंगा
मिलकर गायें ये गीता न्यारा
"इस वास्ते पंद्रह अगस्त है हमें प्यारा
आजाद हुआ आज के दिन देश हमारा"
.......
याद तो रखना ही होगा वर्ना फिर से मुट्ठी भर लोग आकर गुलामी की कोई नयी जंजीर गले में डाल देंगे ........
सुन्दर और सार्थक आलेख के लिए बधाई के साथ
आपको भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना!
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
शुभकामनायें.
दो चार बर्ष की बात नहीं अब अर्ध सदी गुज़री यारों
हे भारत बासी मनन करो क्या खोया है क्या पाया है
गाँधी सुभाष टैगोर तिलक ने जैसा भारत सोचा था
भूख गरीबी न हो जिसमें , क्या ऐसा भारत पाया है
क्यों घोटाले ही घोटाले हैं और जाँच चलती रहती
पब्लिक भूखी प्यासी रहती सब घोटालों की माया है
अनाज भरा गोदामों में और सड़ने को मजबूर हुआ
लानत है ऐसी नीती पर जो भूख मिटा न पाया है
अब भारत माता लज्जित है अपनों की इन करतूतों पर
राजा ,कलमाड़ी ,अशोक को क्यों जनता ने अपनाया है।
जाने कहाँ गये वो दिन-----। तब बच्चों को स्कूलों मे देश भक्ति के पाठ पढाये जाते थे स्कूलों के कार्यक्रकों मे देश भक्ति के गीत नाटक क़ादि हुआ करते थे लेकिन आज कल ?-- बस आजा नच लै की धूम होते है देश प्रेम का नाम हटा दिया गया है।स्वतन्त्रता दिवस की आप सब को बधाई। उन शहीदों को नमन जो देश की खातिर मिट गये।
जवाब देंहटाएंबचपन में १५ अगस्त का दिन स्वतन्त्रता दिवस होता था....
जवाब देंहटाएंआज एक छुट्टी का दिन होकर रह गया है....
सुन्दर पोस्ट
आपको भी आज़ादी के पर्व की ढेरों शुभकामनाएं...
सादर
अनु
सुन्दर संस्मरण .
जवाब देंहटाएंजैसे जैसे हम १९४७ से दूर जा रहे हैं , वैसे वैसे स्वतंत्रता के मायने भूलते जा रहे हैं .
शुभकामनायें .
मिशनरी स्कूलों में तो बच्चों को कहा जाता है कि आना अनिवार्य नही है . जूनियर को तो छुट्टी दे दी जाती है .
जवाब देंहटाएंलड्डू भी तो सबको एक जैसे कहाँ मिलते है.. उसमें भी घपला मिल जाता है ..कम से कम एक दिन छोड़ दे यह मिलावटी खेल ...लेकिन कहाँ ..
जवाब देंहटाएंचलो आज 'हम स्वतंत्र है और रहेंगे' यह भाव एक बार सबके मन तो आता है
जो मन में 'राष्ट्र और राष्ट्रीयता' की हलकी-सी हलचल उत्पन्न कर जाता है
सही कहती हैं आप की एक दिन देशप्रेम की हलचल हो ही जाती है अब चाहे जैसी भी हो ...
तब और अब के स्वतंत्रता दिवस में जमें जमीन-आसमान का अंतर साफ़ नज़र आता है ..
आपको भी आज़ादी के पर्व की ढेरों शुभकामनाएं...
स्वतंत्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंकल 15/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' पन्द्रह अगस्त ''
आपकी पोस्ट पढ़कर बचपन के दिनों में स्कूल में खाए लड्डू याद आने लगी है ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संस्मरण
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
आपने तो सचमें शोध किया है की अब क्या क्या होता है १५ अगस्त के दिन ... देश की प्राचीर से ...
जवाब देंहटाएंबचपन के दिन याद ताज़ा करा दिये आपने ...
१५ अगस्त की बधाई....
आज का लड्डू ???? प्रभात फेरी ????? इन्कलाब जिंदाबाद
जवाब देंहटाएंकविता जी, आपने स्कूल के दिनों की याद ताज़ा कर दी । कुछ और जोड़ना चाहूँगा :
जवाब देंहटाएं“...........आज़ाद हिन्द सारा खुश हो के गा रहा है
सर पर तिरंगा अपना जलवा दिखा रहा है ....”
सुंदर पोस्ट ! स्वतन्त्रता दिवस की बधाई !
सुंदर पोस्ट ! स्वतन्त्रता दिवस की बधाई
जवाब देंहटाएंआओ सभी फहरा कर तिरंगा
मिलकर गायें ये गीता न्यारा
"इस वास्ते पंद्रह अगस्त है हमें प्यारा
आजाद हुआ आज के दिन देश हमारा"
कविता जी, बहुत खूबसूरत पोस्ट.आप की सरलता का इस पोस्ट में प्रतिबिम्ब है.
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत पोस्ट
जवाब देंहटाएंबचपन से लेकर आज तक का सफ़र करवा दिया आपने..
आपको भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये...
:-)
आज़ादी सबके लिए मंगलमय हों
जवाब देंहटाएंआज़ादी की ६६ वीं वर्षगांठ मुबारक हो.
जवाब देंहटाएं65 वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई-शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआपकी चिंताएं वाजिब हैं . वाकई बचपन के दिन अच्छे थे.
इस यौमे आज़ादी पर हमने हिंदी पाठकों को फिर से ध्यान दिलाया है.
देखिये-
http://hbfint.blogspot.com/2012/08/65-swtantrta-diwas.html
वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
जवाब देंहटाएंअब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
भास्कर भूमि समाचार पत्र में आपकी पोस्ट के लड्डू खाकर यहाँ तक दौड़ा चला आया हूँ .........
जवाब देंहटाएंअब तो जिस स्कूल में पढ़े -लिखे थे वहां भी अब स्वतंत्रता दिवस की सिर्फ औपचारिकता भर होती है ...आधुनिक फूहड़ नाच-गानों के बीच देशभक्ति की झलक दे दर्शन दुर्लभ होते जा रहे हैं ..
बहुत सुन्दर आलेख
आपको भी स्वतंत्रता दिवस की बधाई...
अच्छा लगा संस्मरण ,
जवाब देंहटाएंआजादी की वर्षगांठ पर बहुत- बहुत शुभकामनाएं.
बहुत सुन्दर। आपको भी स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंमलाई प्रभावी हो गयी है, भलाई छिप गयी है।
जवाब देंहटाएंतब और अब के स्वतंत्रता दिवस मनाने के में अंतर अ चुका है
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...वन्दे मातरम...
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट पढ़ कर हमें भी अपना बचपन याद आ गया है. वो दिन भी क्या दिन थे....... तब देश भक्ति का जूनून था. राजनीति इतनी नीचे नहीं गिरी थी... राजनीतिज्ञों की हवस तब इतनी नहीं बढ़ी थी..... सरकारी नौकर कार्य करना अपना फर्ज मानता था... मीडिया तब "सच" को इस तरह नंगा नहीं करता था...... दो लड्डू तब हमारे लिए भारत माँ का प्रसाद हुआ करता था... अब तो माँ और पिता के मायने ही बदल गए हैं कविता जी.
जवाब देंहटाएंगुरूजी - "खाते क्या हो?"
जवाब देंहटाएंबच्चे - " दूध-मलाई"
गुरूजी - "करते क्या हो?"
बच्चे - "देश भलाई"
कविता जी बहुत सुन्दर ..पिछले दिन गाँव गाँव प्रभात फेरी में घूमना जी भर जोश से चिल्लाना क्या आनंद आता था ..आभार आप ने छवि उन सब की दिखाई ....जय हिंद
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये आप को तथा सभी मित्र मण्डली को भी
भ्रमर ५
अच्छी लगी पोस्ट।
जवाब देंहटाएं..बचपन के इस "दूध -मलाई" और "देश भलाई" के मायने धीरे-धीरे बदलकर गहन शोध के विषय बन जायेंगे, इसका ख्याल कभी जेहन में आया ही नहीं पाया था. च
जवाब देंहटाएं..
अब तो जहाँ मलाई नज़र आती है वही लपकते है सभी....
शानदार पोस्ट.
आजाद देश में सबको आजादी मुबारक हो !!
saral aur rochak......
जवाब देंहटाएंकविता जी , हमारे पीएम ने इस बार भी वायदों के लड्डू खूब खिलाए हैं । जल्दी ही वो हमे मंगल पे ले जाएंगे।
जवाब देंहटाएंजमीन पे तो उनका ज़ोर चला नहीं , चलो वहीं देख लेते हैं कोनसा तीर मार देंगे ।
भावनाओं और रचनाओं का अनुपम मेल !!
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस के परिप्रेक्ष्य में आपने आज की स्थिति का जायजा लेने का उत्तम प्रयास किया है।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंइस ख़ूबसूरत पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
सिर्फ रस्मी रह गए हैं ये पर्व।
जवाब देंहटाएंहैरानी तो इस बात की है इसे राष्ट्रीय पर्व का सरकार ने आज तक दर्जा नहीं दिया है।
Great post ! Beautifully expressed !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंजब-जब १५ अगस्त को लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया जाता है
जवाब देंहटाएंतब-तब स्वातंत्र्य के लिए न्यौछावर हर शहीद सबको याद आने लगता है
15 अगस्त पर आपका ये लेख एक सार्थक प्रस्तुति है ..बहुत दिनों बाद आपको पढ़ा अच्छा लगा
बहुत सुन्दर संस्मरण
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
nice presentation....
जवाब देंहटाएंAabhar!
Mere blog pr padhare.
देशभक्ति एक पागलपन है -भगवती चरण वर्मा
जवाब देंहटाएंआपने तो सचमें शोध किया है की अब क्या क्या होता है १५ अगस्त के दिन
जवाब देंहटाएंदेश की प्राचीर से बचपन के दिन याद ताज़ा करा दिये आपने.......
तब और अब के स्वतंत्रता दिवस मनाने के में अंतर आ चुका है
वो आज़ादी के दिवानो की यादों अफसानों से लबालब दौर था .ईमानदारी के लड्डू थे ,अब सिर्फ लाल किले से बीमारी बतलाई जाती है .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंसोमवार, 27 अगस्त 2012
अतिशय रीढ़ वक्रता (Scoliosis) का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली में
http://veerubhai1947.blogspot.com/
इस दिन एक अलग ही जुनून सवार रहता था सर पर..अब बस सोच ही सकते हैं |
जवाब देंहटाएंमेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार..|
Thanks foг sharing your thoughts аbout 1.
जवाब देंहटाएंRegaгds
अपने बचपन के दिन मुझे भी याद हैं हमारे स्कूल में भी लड्डू बाँटते थे और मज़ा ही आ जाता था १५ अगस्त के दिन का ...
जवाब देंहटाएं