जरुरी तो नहीं - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

रविवार, 25 अक्तूबर 2009

जरुरी तो नहीं

-->
देखकर दिल दहला जाने वाला मंजर
हर किसी का दिल दहल जाय
जरुरी तो नहीं
देखकर सुन्दर] मनोरम दृश्य कोई
सबके मन को सुकूं मिल जाय
जरुरी तो नहीं
उसका दिल पिघलता है बर्फ की तरह
सबके लिए पिघल जाय
जरुरी तो नहीं
लोहे जैसा मजबूत दिल रखता है वह
पर सबके लिए मजबूत हो
जरुरी तो नहीं
माना कि उनकी बातें होती हैं असरदार
पर सब पर हो जाय असर
जरुरी तो नहीं
उनकी बातों में कितनी गहराई] सच्चाई है
सबको आईना सा दिख जाय
जरुरी तो नहीं

कविता रावत

11 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

कुछ कड़वे सच को उजागर करती रचना भाषिक बेफिक्री से की गई आत्माभिव्यक्ति, बधाई।

Apanatva ने कहा…

hamesha kee bhati ek sunder rachana .

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बिल्कुल zaruri नहीं........अपने मन की स्थिति अलग-अलग होती है

शोभना चौरे ने कहा…

ham sbko pyar krte hai
sab hme pyar kre jruri to nhi?
kavita ji bahut hi sundar abhvykti sare jeevan ka nichod aa gya hai is anuthi rchna me .
abhar

शरद कोकास ने कहा…

अच्छा प्रयास है कविता , शुभकामनायें । भगवत रावत जी के परिवार से तो नहीं हैं आप ?

अभिषेक ने कहा…

Bahut hi sundar rachna

अनुपमा पाठक ने कहा…

सबकी प्रकृति अलग अलग जो है!

Jeevan Pushp ने कहा…

हाथ के पाँचों उंगलिया ही भिन्न है !
बहुत सुन्दर रचना है
...
आभार आपका ..
मेरी नई पोस्ट लिए पधारे..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक कहती अच्छी रचना

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही गजब कह दिया है अपने ...
बहुत ही सुन्दर .....

बेनामी ने कहा…

वाह - बहुत खूब