देखकर दिल दहला जाने वाला मंजर
हर किसी का दिल दहल जाय
जरुरी तो नहीं
देखकर सुन्दर] मनोरम दृश्य कोई
सबके मन को सुकूं मिल जाय
जरुरी तो नहीं
उसका दिल पिघलता है बर्फ की तरह
सबके लिए पिघल जाय
जरुरी तो नहीं
लोहे जैसा मजबूत दिल रखता है वह
पर सबके लिए मजबूत हो
जरुरी तो नहीं
माना कि उनकी बातें होती हैं असरदार
पर सब पर हो जाय असर
जरुरी तो नहीं
उनकी बातों में कितनी गहराई] सच्चाई है
सबको आईना सा दिख जाय
जरुरी तो नहीं
कविता रावत
13 comments:
कुछ कड़वे सच को उजागर करती रचना भाषिक बेफिक्री से की गई आत्माभिव्यक्ति, बधाई।
hamesha kee bhati ek sunder rachana .
बिल्कुल zaruri नहीं........अपने मन की स्थिति अलग-अलग होती है
ham sbko pyar krte hai
sab hme pyar kre jruri to nhi?
kavita ji bahut hi sundar abhvykti sare jeevan ka nichod aa gya hai is anuthi rchna me .
abhar
अच्छा प्रयास है कविता , शुभकामनायें । भगवत रावत जी के परिवार से तो नहीं हैं आप ?
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
Email- sanjay.kumar940@gmail.com
Bahut hi sundar rachna
कल 18/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सबकी प्रकृति अलग अलग जो है!
हाथ के पाँचों उंगलिया ही भिन्न है !
बहुत सुन्दर रचना है
...
आभार आपका ..
मेरी नई पोस्ट लिए पधारे..
सटीक कहती अच्छी रचना
बहुत ही गजब कह दिया है अपने ...
बहुत ही सुन्दर .....
वाह - बहुत खूब
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