जरुरी तो नहीं - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

रविवार, 25 अक्तूबर 2009

जरुरी तो नहीं

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देखकर दिल दहला जाने वाला मंजर
हर किसी का दिल दहल जाय
जरुरी तो नहीं
देखकर सुन्दर] मनोरम दृश्य कोई
सबके मन को सुकूं मिल जाय
जरुरी तो नहीं
उसका दिल पिघलता है बर्फ की तरह
सबके लिए पिघल जाय
जरुरी तो नहीं
लोहे जैसा मजबूत दिल रखता है वह
पर सबके लिए मजबूत हो
जरुरी तो नहीं
माना कि उनकी बातें होती हैं असरदार
पर सब पर हो जाय असर
जरुरी तो नहीं
उनकी बातों में कितनी गहराई] सच्चाई है
सबको आईना सा दिख जाय
जरुरी तो नहीं

कविता रावत