समय - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 10 सितंबर 2009

समय

पंख होते हैं समय के
पंख लगाकर उड़ जाता है
पर छाया पीछे छोड़ जाता है
भरोसा नहीं समय का
न कुछ बोलता न दुआ सलाम करता है
सबको अपने आगे झुकाकर
चमत्कार दिखाता है
बड़ा सयाना है समय
हर गुथी यही सुलझाता है
बात मानो समय की
हर घाव पर मरहम यही लगाता है
सर्वोत्तम चिकित्सक भी यही है
मगर हर शक्ल भी बिगाड़ देता है
यह ऐसा ऋण है
जिसे कोई नहीं चुका पाता है
समय नहीं झुकता किसी के आगे
आगे इसके सबको झुकना पड़ता है
ये दुनिया समझो साथ उसी की
जो समय देखकर चलता है

Copyright @Kavita Rawat, Bhopal,2009

5 टिप्‍पणियां:

kishore ghildiyal ने कहा…

sach hain samay se bada koi nahi

Apanatva ने कहा…

हर घाव पर मरहम यही लगाता है
सर्वोत्तम चिकित्सक भी यही है ekdam sahee baat jindagee ko jeetee rachanae hai aapakee .

Bharat Bhushan ने कहा…

समय ही खिलाड़ी है. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

prerna argal ने कहा…

सच कहा आपने वक़्त से बढ़ा कोई मरहम नहीं है /यथार्थ को बताती हुई शानदार अभिब्यक्ति /बधाई आपको /
ब्लोगर्स मीट वीकली (४)के मंच पर आपका स्वागत है आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आभार/ इसका लिंक हैhttp://hbfint.blogspot.com/2011/08/4-happy-independence-day-india.htmlधन्यवाद /

बेनामी ने कहा…

BILKUL SAHI..SAMAY BADA BALWAN HOTA HAI.....