सबको नाच नचाता पैसा - Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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रविवार, 2 अगस्त 2009

सबको नाच नचाता पैसा


नाते रिश्ते सब हैं पीछे
सबसे आगे है ये पैसा
खूब हंसाता, खूब रूलाता
सबको नाच नचाता पैसा!
अपने इससे दूर हो जाते
दूजे इसके पास आ जाते
दूरपास का खेल ये कैसा
सबको नाच नचाता पैसा!

बना काम घर लौटे खुश होकर
ओढ़ी चादर सो गये तनकर
तभी देकर पैसा कोई बिगाड़ता काम
देखकर हश्र उड़ती नींद खाना हराम
कम्बख्त किसने ये खेल खेला ऐसा
सबको नाच नचाता पैसा!

छोड़छाड़ कर काम अपना लगे मैच देखने
मार चौका, लगा छक्के लगे एडवाइस देने
पर जब लगता सट्टा या मैच होता फिक्स
फिर कहाँ फोर? कैसा सिक्स!
कमबख्त किसने ये खेल बिगाड़ा ऐसा
सबको नाच नचाता पैसा!

जब तक घुटती आपस में
क्या तेरा क्या मेरा
बस जुबां पर सिर्फ नाम उनका
क्या सांझ! क्या सबेरा!
पर जब चलता लेन-देन होती खटपट
तब जाता भाड़ में सबकुछ सरपट 
फिर संबंध कहाँ रहता पहले जैसा!
सबको नाच नचाता पैसा!
सबको नाच नचाता पैसा!



..कविता रावत 

31 टिप्‍पणियां:

  1. Vah Kavita ji,
    apane to paise ko lekar aaj ke samaj ka ek katu satya prastut kar diya hai....achchhee lagee apakee kavita .Badhai.
    kabhee mauka lage to mere blog par bhee aiye .apaka svagat hai.
    Poonam

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  2. नाते रिश्ते सब हैं पीछे
    सबसे आगे है ये पैसाखूब हंसाता, खूब रूलाता

    सबको नाच नचाता पैसा!

    अपने इससे दूर हो जाते

    दूजे इसके पास आ जाते

    दूरपास का खेल ये कैसा

    सबको नाच नचाता पैसा!

    Kavita ji,
    Bahut hee yatharthparak kavita likhee hai apane ..aj kee duniya kee sahee tasveer....
    Badhai sveekaren
    Hemant Kumar

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  3. पैसे की बह्त बड़ी महिमा है.बहुत सुन्दर.


    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

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  4. bahut sachchi kavita

    paise kee mahima ka aapne sateek varnan kiya hai


    meri shubh kamnayen


    कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
    लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
    इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

    तरीका :-
    डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स

    आज की आवाज

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  5. paise ki baat hi juda hai

    arth bin sab vyarth hai....

    aapko badhaai !

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  6. बहुत अच्छा लिखा है आपने । भाव और विचारों की सुंदर प्रस्तुति के साथ ही कुछ सामायिक प्रश्नों को भी आपने प्रमुखता से उठाया है। सटीक शब्दों केचयन और विचारशीलता के समन्वय से लेखन प्रभावशाली हो गया है।
    मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-इन देशभक्त महिलाओं केजज्बे को सलाम-समय हो तो पढें़ और कमेंट भी दें।

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  7. सबको नाच नचाता पैसा

    kisi ne sach kaha hai paisaa haath ki aisi mail hai jo sab apne paas rakhna chahte hain..... sundar likha hai

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  8. रुपयों से सम्बन्ध हैं रुपयों के सम्बन्ध.
    सम्बन्धों में बस गयी रुओअयों की दुर्गन्ध.
    बढिया रचना है.

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  9. सबको नाच नचाता पैसा
    वाह...सच्ची बात लिखी है ...!!

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  10. यथार्थ को कहती अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  11. यही आज का सच है...बढ़िया रचना.

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  12. आज के हालात पर बहुत सुन्दर चित्रण किया है।….. धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  13. बेनामी16:08

    पैसे की माया ही निराली है
    सटीक रचना

    जवाब देंहटाएं
  14. भावो की सुन्दर प्रस्तुति |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  15. आज नयी पुरानी हलचल में आपकी रचना देखी..
    बहुत बहुत सुन्दर.
    बधाई...

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  16. सच्ची बात कह दी।

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  17. Bahut sundar vyang.....

    Inhi rupaye paison ki baat yahan bhi hai...http://www.poeticprakash.com/2009/07/blog-post_17.html

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  18. यथार्थ की सुन्दर अभिव्यक्ति...
    सादर...

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  19. बेनामी18:16

    पहली रचना वह भी धमाकेदार ..वाह कविता जी..
    हर जगह व्याप्त पैसे का इससे अच्छा सटीक आंकलन क्या होगा!!!

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  20. यह पैसा ही सारे फसाद कि जड़ होता है, पास हो तो मुश्किल न हो तो भी मुश्किल ...
    http://aapki-pasand.blogspot.com/2011/12/blog-post_21.html

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  21. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  22. पैसे की माया,
    वाह कविता जी ,
    क्या खूब सुनाया !

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  23. kambakhat nachaye hi ja raha hai...badhiya

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  24. कल 16/05/2012 को आपके ब्‍लॉग की प्रथम पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    ... '' मातृ भाषा हमें सबसे प्यारी होती है '' ...

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  25. अच्छा लगा पहली रचना पढ़ कर........
    बहुत खूब कविता जी.

    सादर.

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  26. मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
    आप की ये रचना 17-05-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
    पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
    आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।

    मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।

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  27. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  28. बहुत सुन्दर भाव और शब्द चयन |
    आशा

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  29. वाकई सबको नचाता है पैसा...सुंदर भाव

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