कई वर्ष बाद इस वर्ष 8 जून को शनिवार के दिन शनि जयंती का संयोग बना है। इसी दिन शिंगणापुर की यात्रा के वे पल याद आ रहे हैं जब हम पहली बार सांई बाबा के दर्शन कर सीधे शनिदेव के दर्शन के लिए शिंगणापुर पहुंचे। यह सौभाग्य ही है कि यह मेरा जन्मदिन भी है। ऐसी मान्यता है कि जो पहली बार सांई बाबा के दर्शन करने जाता है उसे शनिदेव के भी दर्शन हेतु शिंगणापुर जरूर जाना चाहिए तभी बाबा की कृपा होती है और यात्रा का उद्देश्य पूर्ण होता है। शिर्डीधाम से लगभग 70 कि.मी. दूरी तय करने के बाद शनि शिंगणापुर पहुँचकर मुझे ज्ञात हुआ कि सूर्यदेव और माता छाया के पुत्र शनिदेव का जन्मस्थान यही है। बहुत से लोग शनिदेव को अनिष्टकारी देव मानकर उनकी पूजा अर्जना कम उनसे बचने के उपाय ज्यादा ढूंढ़ने-फिरने के फिराक में खुद ही उलझकर रह जाते हैं, जबकि बहुत से ज्योतिषियों का मत है कि शनिदेव स्वभाव से गंभीर, हठी, क्रोधी किन्तु न्यायप्रिय देव तथा हनुमान और कालभैरव के प्रिय सखा हैं। विधि विधान से उनकी आराधना करने पर वे अन्य देवताओं के मुकाबले बड़ी जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनोवांछित फल देने में सबसे आगे रहते हैं। यही कारण है कि दूर-दूर बसे देश-विदेश के लोग उनके दर्शन करने यहाँ दौड़े चले आते हैं। यहाँ पहुंचकर मेरे मन को भी बहुत आत्मीय संतोष मिला। यहाँ दुकानों में पहले से ही टोकरियों में शनिदेव की पूजा का सामान सजा रहता है जिसे खरीदने पर दुकानदार खुद ही पूजा विधि समझा देता है। यहाँ आकर मुझे एक और सबसे अच्छी बात यह लगी कि जहाँ पहले इस मंदिर में केवल पुरुषों को ही निर्धारित वस्त्र पहनकर दर्शन करने की अनुमति दी जाती थी वहीं अब ऐसा कुछ भी नहीं है। अब पुरुषों की तरह ही उनके साथ-साथ स्त्री भी बेरोक-टोक इस मंदिर में पूजा-दर्शन करती हैं। खुले चबूतरे पर शनिदेव की काले पत्थर की लगभग साढ़े पांच फीट ऊँची और डेढ़ फीट चौड़ी मूर्ति स्थापित है जिस पर पुजारी लगातार पहले तेल और बाद में पानी से नहलाने में लगा रहता है, जो कि मनोहारी दृश्य होता है। हमें भी पूजा विधान के अनुसार पहले त्रिशूल पर मदार के पत्ते चढ़ाने फिर नारियल, फूल और अंत में तेल चढ़ाकर शनिदेव की पूजा-दर्शन कर बड़ी आत्मसंतुष्टि मिली।
दुनिया भर में प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर की वह विशेषता जिसमें यहाँ के घरों में दरवाजे नहीं होने का जिक्र मिलता है, जिसे प्रत्यक्ष देखकर सुखद अहसास हुआ। यहाँ के लोगों की मान्यता है कि यहाँ कोई कुछ भी चुरा नहीं सकता है क्योंकि अगर किसी ने यह हिमाकत की तो तुरन्त शनिदेव उस पर कुपित होकर दंडित कर देते हैं। इसी दृढ़ विश्वास के चलते यहाँ पुराने बने सभी घरों में मुझे कोई दरवाजे नजर नहीं आए। हालांकि अब जो नए मकान-दुकान बन रहे थे उनमें अधिकांश में दरवाजे लगाये जा रहे थे। शहर की चकाचैंध से दूर बसा शनि शिंगणापुर निश्चित ही दूर-दूर से आने-जाने वाले भक्तजनों/दर्शकों के लिए एक सुन्दर मनभावन स्थान है, जहाँ पहुँचकर निश्चित रूप से सुकून महसूस किया जा सकता है।
शिंगणापुर से वापस शिर्डी आते समय मुझे इक्के-दुक्के खेतों में गन्ने की फसल के अलावा दूर-दूर तक कुछ भी हरा-भरा नजर नहीं आ रहा था। हाँ अगर कुछ दिखाई दे रहा था तो वह सड़क किनारे लगभग हर 2 कि.मी. दूरी पर गन्ने की रेहडि़यां दिखाई दे रही थी, जिन पर लकड़ी से बने कोल्हू पर जुता बैल धीरे-धीरे घूमता नजर आ रहा था जिससे कोल्हू से गन्ने का रस बाहर निकल रहा था जिसे गर्मी से हाल-बेहाल आने-जाने वाले लोग गले में उतार कर राहत महसूस कर रहे थे। इस तरह कोल्हू से गन्ने का रस निकलते देख मुझे अपने गांव का वह सरसों पेरने के लिए बनी लकड़ी के कोल्हू याद आने लगा, जिसको बैल नहीं बल्कि आदमी चलाये करते थे। जब उत्सुकतावश हम बच्चे भी कभी-कभार खेलते-कूदते मस्ती में दो-दो की जोड़ी बनाकर उसे ढेलकर घुमाने में जुत जाते थे तब हमें बड़ा मज़ा आता था। इसके साथ ही जिस व्यक्ति का वह कोल्हू होता था, उसे भी एक तरह से मदद मिल जाया करती थी जिसके कारण वह भी हमारे साथ-साथ खुश हो लेता था। अब तो गाँव में यह सब जाने कब से एक भूली-बिसरी दास्तां बनकर रह गई है।
.एक सार्थक सन्देश देती प्रस्तुति . .आभार . मुलायम मन की पीड़ा साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंNice and informative.
जवाब देंहटाएंयकीनन ,शिर्डी में बाबा के दर्शन के बाद उसे शनिदेव के भी दर्शन हेतु शिंगणापुर जरूर जाना चाहिए तभी बाबा की कृपा होती है
जवाब देंहटाएंशानदार,उम्दा प्रस्तुति,,,
RECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर ...
जवाब देंहटाएंशनिदेव के बारे में बहुत अच्छी रोचक जानकारी ..
जवाब देंहटाएंआपको शनि जयंती और आपके जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनायें
बढ़िया वृतांत.....
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामनाएं एडवांस में...पार्टी का वेन्यु कहाँ है :-)
सस्नेह
अनु
आपकी यात्रा बढ़िया थी। सहज जीवन के लिए प्रेरित करता अच्छा वृत्तांत।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और जानकारीभरा वृत्तान्त।
जवाब देंहटाएंएक और सबसे अच्छी बात यह लगी कि जहाँ पहले इस मंदिर में केवल पुरुषों को ही निर्धारित वस्त्र पहनकर दर्शन करने की अनुमति दी जाती थी वहीं अब ऐसा कुछ भी नहीं है। अब पुरुषों की तरह ही उनके साथ-साथ स्त्री भी बेरोक-टोक इस मंदिर में पूजा-दर्शन करती हैं
जवाब देंहटाएंयह तो बहुत अच्छी खबर है मैं भी बहुत पहले शनिदेव के दर्शन करने शिंगणापुर गया तब वहां हमने तो वहां के दिए कपडे ही पहने थे...पूजा की भी जटिल प्रक्रिया करनी पड़ी ...........खैर बाद में हमें भी बहुत अच्छा लगा और आज तो आपके माध्यम से पढ़कर और भी अच्छा लग रहा है .....शनि जयंती और आपके जन्मदिन के सुयोग की पहले से ही बधाई स्वीकार हो ...
शनिदेव के बारे में बहुत अच्छी रोचक जानकारी,जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनाएं कविता जी।
जवाब देंहटाएंजानकारी भरा संस्मरण ।
जवाब देंहटाएंअनुपम, अद़भुद, अतुलनीय, अद्वितीय, निपुण, दक्ष, बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये एक बार अवश्य पधारें
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सुन्दर सहज वर्णन
जवाब देंहटाएंजन्म दिन के लिए अग्रिम शुभकामनायें कविता जी
बहुत सुन्दर सहज प्रभावी वर्णन ..जन्मदिन की शुभकामनाएं एडवांस में.
जवाब देंहटाएंबढिया, ओम शनिश्चराय नम:
जवाब देंहटाएंबढिया
बहुत अच्छी जान कारी दी है आप ने|
जवाब देंहटाएं!आज मेरे साथ भयानक दुर्घटना हुये सातवाँ दिन है | मेरा दाहिना हाथ कलाई पर हल्का सा टूट जाने से उँगलियों ने काम नहीं किया पूरे दायें अंग में जहाँ तहां चोटें आयीं सिर से पर तक |कल चिकित्सक के परामर्श से केवल बाएं हाथ की उन्गालिउयों से जो कुछ सम्भव हो सेवा करूँगा|कल पक्का प्लास्टर चढेगा अभी तक कच्चे से काम चला | देखो कल से क्या हो!! वैसे मेरे ब्लॉग 'प्रसून' में कुछ रचानें भी डालने का प्रयास रहेगा यदि डॉक्टर की राय होगी और उंगलियाँ काम कर सकेंगी |
बहुत ही सुंदर यात्रा वर्णन ,जन्मदिन की अग्रिम हार्दिक बधाई और शुभकामना
जवाब देंहटाएंसुन्दर यात्रा वृत्तांत !!
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी ... आपको जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही भाग्यशाली है आप जो आपको शनि देव के उस भव्य मंदिर स्थान के दर्शन प्राप्त हुये। इच्छा तो मेरी भी बहुत है देखिये कब बुलावा आता है :)सुंदर एवं जानकारी पूर्ण यात्रा वृतांत कभी समय मिले आपको तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंशनिवार को अमावस याने शनि अमावस इस बार चार वर्षों बाद आ रही है । हमें मामा-भानजे के जोडे से दर्शन करने की विशेष मान्यता के प्रतीक इस मन्दिर के दर्शन करने का सुअवसर लगभग 10 वर्षों से भी पहले ही मिला था और तब महिलाएँ चबूतरे के नीचे से ही दर्शन कर पाती थीं । घरों के दरवाजे तब बिल्कुल ही नदारद होते थे क्योंकि किसी भी किस्म की चोरी की सजा यहाँ अंधे होकर चुकाने की मान्यता बडी दृढता से सुनने में आती थी । शनि भगवान का मन्दिर और इनकी महिमा तो सर्वविदित है ही ।
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनाएँ...
कुछ सालो पहले हम भी गए थे... बेहतरीन जगह व मंदिर :)
जवाब देंहटाएंशिंगणापुर की यात्रा का सुख मैंने भी लिया है। आपकी पोस्ट पढ़कर एक बार फिर याद ताजा हो गई।
जवाब देंहटाएंआपके सौजन्य से शिरडी और शिंगणापुर की एक सुखद यात्रा का सुखद अहसास हमें भी प्राप्त हुआ
जवाब देंहटाएंआपको शनि जयंती और आपके जन्मदिन की अनंत शुभकामनायें व बधाई !!!!!!!
रोचक जानकारी
जवाब देंहटाएंशनि जयंती व जन्मदिन के दुर्लभ संयोग पर आपको बहुत बधाई .......
ॐ शं शनैश्चरै :नम :
शनि शिंगणापुर की बहुत बढ़िया जानकारी के लिए आभार
जवाब देंहटाएंहमने भी आज सुबह-सुबह नहा-धोकर सबसे पहले ॐ शं शनैश्चरै: नम: बोलते हुए शनिदेव के दर्शन कर लिए .....डर लगता है की कहीं नाराज न जायं पर ब्लॉग पढ़ा तो मन से सारी आशंका उड़न छु हो गयी
जन्मदिन की हार्दिक बधाई ...
शनि जयंती की शुभकामना............
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंकविता रावत जी आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत रोचक जानकारी...जय शनि देव...
जवाब देंहटाएंरोचक और विस्तृत जानकारी शनि तीर्थ के बारे में.
जवाब देंहटाएंबहुर सुन्दर यात्रा वर्णन !
जवाब देंहटाएंlatest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
rochak warnan ..mai bhi ja chuki hoon .....
जवाब देंहटाएंशनि देव और शिरडी की यात्रा का आनद ले लिया होगा अपने अब तक ...
जवाब देंहटाएंमज़ा आया आपका वृतांत पढ़ के ... जनम दिन की हार्दिक बधाई ...
आदरणीया कविता जी मन आनंदित हो उठा शनि देव शिर्डी के साईं बाबा के दर्शन आप के द्वारा हम भी कर ही लिए
जवाब देंहटाएंआप को जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाएं प्रभु सब मंगल करें
भ्रमर 5
पहली बार सुना और जाना !!
जवाब देंहटाएंआभार !
शनिदेव के बारे में बहुत अच्छी रोचक जानकारी
जवाब देंहटाएं......... अग्रिम शुभकामनायें
शनि यदि प्रसन्न हो जायें तो क्या कहने
जवाब देंहटाएंसार्थक आलेख
सुंदर यात्रा वृतांत
जय शनि देव की
बेहतरीन प्रस्तुति
सादर
आग्रह है- पापा ---------
Thanks a lot Kavita Madam..Main bhi kayi mahino se shani dev ke darshan ka abhilashi hun lekin sanyog nai ban pa raha hai...Margdarshan ke liye dhanyawad.
जवाब देंहटाएंशिंगणापुर के शनिदेव के बारे में रोचक जानकारी..
जवाब देंहटाएं.......
shani dev ke baare me atyadhik jaankaari prapt kar bshut hi sukhad ahsaas hua.
जवाब देंहटाएंdhanyvaad sahit
poonam
shani dev ke baare me atyadhik jaankaari prapt kar bshut hi sukhad ahsaas hua.
जवाब देंहटाएंdhanyvaad sahit
poonam
वाह...आपका यात्रा वृतांत पढ़ कर तथा सिगनापुर की विशेषता के बारेे में जान कर मैं अपनी उत्सुकता को रोक नही पा रहा हूँ...और भगवान शनिदेव के दर्शन करने का निश्चय कर लिया है....आपका बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंएक बार तो हम भी हो आये शिंगणापुर ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया विवरण ! जाना चाहता हूँ शनि सिंगापूर हालाँकि अभी कोई विचार नहीं बन रहा लेकिन जब भी मौका मिलेगा , आपकी पोस्ट मदद करेगी !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, सरल और रोचक जानकारी।
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जवाब देंहटाएंदोस्तों अगर आप सभी के कंप्यूटर के बारे में जानकरी चाहिए हिंदी में तो आप यहाँ से सीख सकते है
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