दूर-पास का लगाव-अलगाव - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 1 जून 2013

दूर-पास का लगाव-अलगाव


कोई सेब अपने पेड़ से बहुत दूर नहीं गिरता है।

बछड़ा अपनी माँ से बहुत दूर नहीं रहता है।।


दूर का पानी पास की आग नहीं बुझा सकता  है।

मुँह मोड़ लेने पर पर्वत भी दिखाई नहीं देता है।।


दूर उड़ते हुए पंछी के पंख बहुत लुभावने होते हैं।

किसी सुंदरी के केश दूर से घने दिखाई देते हैं।।


दूर रहने वाले बंधु-बांधव भले जान पड़ते हैं।

दूर के ढोल सबको ही बड़े सुहावने लगते हैं।।


बाड़ के पार घास ज्यादा हरी दिखाई देती है।

अक्सर दूरी घिनौनेपन को छिपा लेती है।।


.....कविता रावत

33 टिप्‍पणियां:

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

दूर का पानी पास की आग नहीं बुझा सकता है।
मुँह मोड़ लेने पर पर्वत भी दिखाई नहीं देता है।।

सशक्त पंक्तियां, जीवन-सूत्रों को अभिव्यक्त करती हुईं।

Unknown ने कहा…

दूर के ढोल सबको ही बड़े सुहावने लगते हैं। सही कहा आपने बहुत पते की बात कविता रावत जी, आभार।

संध्या शर्मा ने कहा…

गहरी सीख देती पंक्तियाँ... आभार इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

दूर का गहरा दर्शन।

Meenakshi ने कहा…

कोई सेब अपने पेड़ से बहुत दूर नहीं गिरता है।
बछड़ा अपनी माँ से बहुत दूर नहीं रहता है।।
......................
ना तो बछड़ा और नाही माँ रहती है एक दुसरे की बिना
आपने तो दूर-पास के संबंधो को सुन्दर ताने -बाने से बुन दिया है.,......कुशल बुनकर हैं ............बधाई

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

Muhaware aur lokoktiyon kaa achcha samaagam !

Unknown ने कहा…

सुन्दर ,भावपूर्ण ,सशक्त और नसीहत देती रचना

vijay ने कहा…

बाड़ के पार घास ज्यादा हरी दिखाई देती है।

हां क्रिकेट में ही देखो वहां भी खूब हरी भरी घास उग गयी है आजकल सबकी नज़र उसी घास पर जमी हुयी है .............................................बहुत सशक्त रचना

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा,सशक्त भावपूर्ण पंक्तियाँ,,,

Recent post: ओ प्यारी लली,

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

बाड़ के पार घास ज्यादा हरी दिखाई देती है।
अक्सर दूरी घिनौनेपन को छिपा लेती है।।GAZAB CHHOTI PAR GAHRI SOCH ....

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत बढ़िया...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आसपास के सब आवश्यक तत्वों से हम सदा ही अधिक पाते हैं, वही सदा साथ निभाते हैं।

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

क्या बात है वाह

राजेश सिंह ने कहा…

अक्सर दूरी घिनौनेपन को छिपा लेती है।।

सच-मुच ठीक कहा

Ranjana verma ने कहा…

सुंदर जिंदगी की सार्थकता को लिए हुए सुंदर प्रस्तुति !!

आनन्द विक्रम त्रिपाठी ने कहा…

पुरानी कहावत सच ही है कि दूर के ढोल सुहावने होतें हैं ..बहुत सुंदर |

Tanuj arora ने कहा…

दूर की हर चीज़ सुहानी ही लगती है हकीक़त तो नजदीकी के एहसास से ही पता लगती है....
बहुत सुन्दर

Jyoti khare ने कहा…


दूर रहने वाले बंधु-बांधव भले जान पड़ते हैं।
दूर के ढोल सबको ही बड़े सुहावने लगते हैं।।----

बहुत सही और सार्थक बात
वाह बहुत खूब
बधाई


आग्रह है पढें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक बात कहती अच्छी रचना

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर
अच्छी रचना
क्या कहने


नोट : आमतौर पर मैं अपने लेख पढ़ने के लिए आग्रह नहीं करता हूं, लेकिन आज इसलिए कर रहा हूं, ये बात आपको जाननी चाहिए। मेरे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए । धोनी पर क्यों खामोश है मीडिया !
लिंक: http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/blog-post.html?showComment=1370150129478#c4868065043474768765

रचना दीक्षित ने कहा…

सुंदर बात सुंदर कविता.

Madhu Shukla ने कहा…

बहुत बढ़िया ..

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

दूरी हमेशा प्रयत्नशील बनाती है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दूर रहने वाले बंधु-बांधव भले जान पड़ते हैं।
दूर के ढोल सबको ही बड़े सुहावने लगते हैं।।..

बिलकुल सच कहा है ... दूर से सब कुछ हरा हरा नज़र आता है ...
हर छंद कड़क है ... अपनी बात स्पष्ट कहता है ...

sourabh sharma ने कहा…

एक वैज्ञानिक जब इसे सोचता है तो गुरुत्वाकर्षण का नियम बन जाता है जब इसे कवि सोचता है तो धरती को एक सुंदर कविता मिल जाती है।

अनूप सिंह रावत " गढ़वाली इंडियन " ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता...

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बाड़ के पार घास ज्यादा हरी दिखाई देती है।
अक्सर दूरी घिनौनेपन को छिपा लेती है।। --सच कहा है
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Satish Saxena ने कहा…

सही है....
आभार ..

Madan Mohan Saxena ने कहा…

वाह .लाजवाब कविता. धन्यवाद

prritiy----sneh ने कहा…

jeevan ki vastvikta darshati ek achhi rachna

shubhkamnayen

RITA GUPTA ने कहा…

सटीक अभिव्यक्ति.

Pradeep Yadav ने कहा…

आदरणीया कविता जी,
आपकी रचना ने चमौली और उत्तराखंड के हादसे की याद दिला दी,
पास रहकर दूर जाते अपनों को बचाने उतरे सेना के जवानों की
जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगा ... जवानों को मेरा नमन ....

Bhavana Lalwani ने कहा…

door ka paani paas ki pyas nahin bujha sakta .. kewal dilasa de sakta hai aur wo bhi jhoothaa