ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|
कोई सेब अपने पेड़ से बहुत दूर नहीं गिरता है। बछड़ा अपनी माँ से बहुत दूर नहीं रहता है।। ...................... ना तो बछड़ा और नाही माँ रहती है एक दुसरे की बिना आपने तो दूर-पास के संबंधो को सुन्दर ताने -बाने से बुन दिया है.,......कुशल बुनकर हैं ............बधाई
अनुपम, अद़भुद, अतुलनीय, अद्वितीय, निपुण, दक्ष, बढ़िया रचना हिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये एक बार अवश्य पधारें टिप्पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें MY BIG GUIDE नई पोस्ट इन्टरनेट पर हिन्दी सर्च इंजन अपने ब्लाग के लिये सर्च इंजन बनाइये
हां क्रिकेट में ही देखो वहां भी खूब हरी भरी घास उग गयी है आजकल सबकी नज़र उसी घास पर जमी हुयी है .............................................बहुत सशक्त रचना
नोट : आमतौर पर मैं अपने लेख पढ़ने के लिए आग्रह नहीं करता हूं, लेकिन आज इसलिए कर रहा हूं, ये बात आपको जाननी चाहिए। मेरे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए । धोनी पर क्यों खामोश है मीडिया ! लिंक: http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/blog-post.html?showComment=1370150129478#c4868065043474768765
आपने लिखा....हमने पढ़ा और लोग भी पढ़ें; इसलिए कल 08/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी देख लीजिएगा एक नज़र .... धन्यवाद!
आदरणीया कविता जी, आपकी रचना ने चमौली और उत्तराखंड के हादसे की याद दिला दी, पास रहकर दूर जाते अपनों को बचाने उतरे सेना के जवानों की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगा ... जवानों को मेरा नमन ....
मैं शैल-शिला, नदिका, पुण्यस्थल, देवभूमि उत्तराखंड की संतति, प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूँ। मैंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में कर्मरत हूँ। भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ। ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई, शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं। ब्लॉग मेरे लिए एक ऐसा सामाजिक मंच है जहाँ मैं अपने आपको एक विश्वव्यापी परिवार के सदस्य के रूप में देख पा रही हूँ, जिस पर अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ।
दूर का पानी पास की आग नहीं बुझा सकता है।
जवाब देंहटाएंमुँह मोड़ लेने पर पर्वत भी दिखाई नहीं देता है।।
सशक्त पंक्तियां, जीवन-सूत्रों को अभिव्यक्त करती हुईं।
दूर के ढोल सबको ही बड़े सुहावने लगते हैं। सही कहा आपने बहुत पते की बात कविता रावत जी, आभार।
जवाब देंहटाएंगहरी सीख देती पंक्तियाँ... आभार इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए
जवाब देंहटाएंदूर का गहरा दर्शन।
जवाब देंहटाएंकोई सेब अपने पेड़ से बहुत दूर नहीं गिरता है।
जवाब देंहटाएंबछड़ा अपनी माँ से बहुत दूर नहीं रहता है।।
......................
ना तो बछड़ा और नाही माँ रहती है एक दुसरे की बिना
आपने तो दूर-पास के संबंधो को सुन्दर ताने -बाने से बुन दिया है.,......कुशल बुनकर हैं ............बधाई
Muhaware aur lokoktiyon kaa achcha samaagam !
जवाब देंहटाएंसुन्दर ,भावपूर्ण ,सशक्त और नसीहत देती रचना
जवाब देंहटाएंअनुपम, अद़भुद, अतुलनीय, अद्वितीय, निपुण, दक्ष, बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये एक बार अवश्य पधारें
टिप्पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें
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बाड़ के पार घास ज्यादा हरी दिखाई देती है।
जवाब देंहटाएंहां क्रिकेट में ही देखो वहां भी खूब हरी भरी घास उग गयी है आजकल सबकी नज़र उसी घास पर जमी हुयी है .............................................बहुत सशक्त रचना
बहुत उम्दा,सशक्त भावपूर्ण पंक्तियाँ,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: ओ प्यारी लली,
.बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंबाड़ के पार घास ज्यादा हरी दिखाई देती है।
जवाब देंहटाएंअक्सर दूरी घिनौनेपन को छिपा लेती है।।GAZAB CHHOTI PAR GAHRI SOCH ....
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंआसपास के सब आवश्यक तत्वों से हम सदा ही अधिक पाते हैं, वही सदा साथ निभाते हैं।
जवाब देंहटाएंक्या बात है वाह
जवाब देंहटाएंअक्सर दूरी घिनौनेपन को छिपा लेती है।।
जवाब देंहटाएंसच-मुच ठीक कहा
सुंदर जिंदगी की सार्थकता को लिए हुए सुंदर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंपुरानी कहावत सच ही है कि दूर के ढोल सुहावने होतें हैं ..बहुत सुंदर |
जवाब देंहटाएंदूर की हर चीज़ सुहानी ही लगती है हकीक़त तो नजदीकी के एहसास से ही पता लगती है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंदूर रहने वाले बंधु-बांधव भले जान पड़ते हैं।
दूर के ढोल सबको ही बड़े सुहावने लगते हैं।।----
बहुत सही और सार्थक बात
वाह बहुत खूब
बधाई
आग्रह है पढें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
सटीक बात कहती अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
क्या कहने
नोट : आमतौर पर मैं अपने लेख पढ़ने के लिए आग्रह नहीं करता हूं, लेकिन आज इसलिए कर रहा हूं, ये बात आपको जाननी चाहिए। मेरे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए । धोनी पर क्यों खामोश है मीडिया !
लिंक: http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/blog-post.html?showComment=1370150129478#c4868065043474768765
सुंदर बात सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंदूरी हमेशा प्रयत्नशील बनाती है।
जवाब देंहटाएंदूर रहने वाले बंधु-बांधव भले जान पड़ते हैं।
जवाब देंहटाएंदूर के ढोल सबको ही बड़े सुहावने लगते हैं।।..
बिलकुल सच कहा है ... दूर से सब कुछ हरा हरा नज़र आता है ...
हर छंद कड़क है ... अपनी बात स्पष्ट कहता है ...
एक वैज्ञानिक जब इसे सोचता है तो गुरुत्वाकर्षण का नियम बन जाता है जब इसे कवि सोचता है तो धरती को एक सुंदर कविता मिल जाती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंबाड़ के पार घास ज्यादा हरी दिखाई देती है।
जवाब देंहटाएंअक्सर दूरी घिनौनेपन को छिपा लेती है।। --सच कहा है
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latest post बादल तु जल्दी आना रे (भाग २)
सही है....
जवाब देंहटाएंआभार ..
वाह .लाजवाब कविता. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंjeevan ki vastvikta darshati ek achhi rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
आपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 08/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
सटीक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंआदरणीया कविता जी,
जवाब देंहटाएंआपकी रचना ने चमौली और उत्तराखंड के हादसे की याद दिला दी,
पास रहकर दूर जाते अपनों को बचाने उतरे सेना के जवानों की
जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगा ... जवानों को मेरा नमन ....
door ka paani paas ki pyas nahin bujha sakta .. kewal dilasa de sakta hai aur wo bhi jhoothaa
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