कोरोना काल में गणेशोत्सव - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

शनिवार, 22 अगस्त 2020

कोरोना काल में गणेशोत्सव

 

हर वर्ष ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के प्रथम पूज्य देव गणपति जी के जन्मोत्सव का सभी को प्रतीक्षा रहती है। बच्चों को गणेश जी की अलग-अलग प्रकार की विभिन्न आकृति कलाएं बहुत लुभाती हैं। मैं बचपन से ही शिवजी की उपासक रही हूँ तो मेरा बेटा शिवा गणेश जी का। उसका बचपन से ही गणेश जी से बहुत लगाव और जुड़ाव रहा है।  हमने जब स्कूल में उसका पहली बार दाखिला किया तो उसने अ आ इ ई और क ख ग घ लिखने के बजाय अपने नन्हे-नन्हें हाथों से आड़ी-टेढ़ी रेखाओं से गणेश के चित्र उकेरने शुरू किए तो आये दिन स्कूल से उसकी यही शिकायत सुनने को मिलती। स्कूल से घर आने के बाद भी उसका यही क्रम निरंतर जारी रहता।  हर दिन उसकी कलाकारी कभी किसी कोरे पन्ने पर तो कभी किसी दीवार की शोभा बढ़ाती नज़र आती। वह दूसरे बच्चो की तरह अलग-अलग खेल-खिलौनों से नहीं बल्कि गणपतिनुमा  किसी भी वस्तु/चीज आदि से खेलना पसंद करता। इसमें एक बड़ी दिलचस्प बात रहती कि वह अपने गणपति जी के खेल में दूसरे बच्चों को भी बड़ी सरलता और सहजता से सम्मिलित कर लेता और उन्हें भी गणपति जी के बारे में बतियाते हुए अपने रंग में रमा देता। उसकी गणपति धुन और जिद्द का ही परिणाम हैं कि हम हर वर्ष गणेशोत्सव पर गणपति जी की स्थापना निरंतर करते आ रहे हैं।        
         इस वर्ष कोरोना की मार से गणेशोत्सव की धूम फीकी पड़ी हुई है। शहर के गली-मोहल्लों से लेकर सड़कों के किनारे सजने वाली झांकियों की रौनक न देख पाने का मन में बड़ा मलाल जरूर है, लेकिन थोड़ा सुकून इस बात का जरूर है कि मेरे शिवा ने घर में ही मिट्टी के गणपति बनाकर सुन्दर झांकी सजा दी है। उसकी एक बात जो बहुत अच्छी है कि उसने इस बार खुद मिट्टी तैयार कर बड़ी मेहनत से अपने हाथों से गणपति जी की एक नहीं बल्कि पूरे नौ मूर्तियां बनाई, जिन्हें उसने अपने स्कूल के दोस्तों के साथ ही हमारे कुछ निकट सम्बन्धियों को भी भेंट की हैं।
          इन दिनों कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने से पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है, जिस कारण बच्चों के पास अपने दूसरे शौक पूरे करने के लिए पर्याप्त समय है। कल तक जहाँ स्कूल प्रबंधन और हम बच्चों को मोबाइल को अछूत बताते हुए उससे दूरी बनाये रखने की हिदायत दिया करते थे, आज उसी मोबाइल ने समय के फेर में आकर घर को ही स्कूल बना दिया है।    
घर में विराजमान गणपति बप्पा 


मिट्टी के गणेश

    

Divyaraj

Raj's Mother
Mr. Dhaneshwar 

सबको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 

... कविता रावत