वह राष्ट्रगान क्या समझेगा! - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 25 जनवरी 2011

वह राष्ट्रगान क्या समझेगा!

गौरेया कितनी भी ऊँची क्यों न उड़े गरुड़ तो नहीं बन जाएगी
बिल्ली कितनी भी क्यों न उछले बाघ तो नहीं बन जाएगी!

घोड़े में जितनी  ताकत हो वह उतना ही बोझ उठा पायेगा
जिसे आदत पड़ गई लदने की वह जमीं पर क्या चलेगा!

जो अंडा नहीं उठा सकता है वह भला डंडा क्या उठाएगा
जो नहर पार नहीं कर सकता वह समुद्र क्या पार करेगा!

जो सीढ़ी नहीं चढ़ सकता वह भला पहाड़ पर क्या चढ़ेगा
जो फहरा के तिरंगा बुत खड़ा वह राष्ट्रगान क्या समझेगा!

                   ....कविता रावत