वह माँ जो ताउम्र हरपल, हरदिन अपने घर परिवार की बेहतरी के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर अपनों को समाज में एक पहचान देकर खुद अपनी पहचान घर की चार दीवारी में सिमट कर रख देती है और निरंतर संघर्ष कर उफ तक नहीं करती, ऐसी माँ का एक दिन कैसे हो सकता है! घर-दफ्तर के जिम्मेदारी के बीच दौड़ती-भागती जिंदगी के बीच अपने आप जब भी मैं कभी मायूस पाती हूँ तो मुझे अपनी माँ के संघर्ष के दिन जिसने अभी भी 60 साल गुजर जाने के बाद भी उनका पीछा नहीं छोड़ा है और उन्होंने भी कभी कठिनइयों से मुहं नहीं मोड़ा और न कभी हार मानी, देखकर मुझे संबल ही नहीं बल्कि हर परिस्थितियों से जूझने की प्रेरणा मिलती है। गाँव से 17-18 साल के उम्र में शहर में आकर घर परिवार की जिम्मेदारी संभालना सरल काम कतई नहीं था। पिताजी जरुर सरकारी नौकरी करते थे, लेकिन वे नौकरी तक ही सीमित थे, घर परिवार की जिम्मेदारी से कोसों दूर रहते थे। ऐसे में हम 3 बहनों और 2 भाईयों की पढाई-लिखाई से लेकर सारी देख-रेख माँ ने खुद की। पढ़ी-लिखी न होने की बावजूद उन्हें पता था कि एक शिक्षा ही वह हथियार है, जिस पर मेरे बच्चों का भविष्य बन सकता है और उसी का नतीजा है कि आज हम सब पढ़-लिख कर घर से बाहर और अपनी घर-परिवार और सामाजिक जिम्मेदारियों को बहुत हद तक ठीक ढंग से निभा पा रहे हैं।
माँ का संघर्ष आज भी जारी है भोपाल गैस त्रासदी से लेकर 5 शारीरिक ऑपरेशन के त्रासदी से जूझते हुए वह आज भी यूटरस कैंसर से पिछले 7 साल से बहुत ही हिम्मत और दिलेरी से लड़ रही है। पिताजी को गुजरे अभी 4 साल हुए हैं, उन्हें भी लंग्स कैंसर हुआ था, वे सिर्फ 2 माह इस बीमारी को नहीं झेल पाए थे, वहीँ माँ खुद कैंसर से जूझते हुए हमारे लाख मना करने पर भी घर पर नहीं रुकी और हॉस्पिटल में खुद पिताजी की देख-रेख करती रही। पिताजी नहीं रहे, लेकिन उन्होंने सेवा में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी, हर दिन उनके साथ रही। आज जहाँ बहुत से लोग कैंसर का नाम सुनकर ही हाथ पैर छोड़ लेते हैं वहीँ मेरी माँ बड़ी हिम्मत और दिलेरी से खुद इसका डटकर सामना कर अपनी चिंता छोड़ आज भी खुद घर परिवार को संभाले हुए है।
मेरा सौभाग्य है कि मेरी माँ हमेशा मेरे नजदीक ही रही है और मेरी शादी की बाद भी मैं उनके इतनी नजदीक हूँ कि मैं हर दिन उनके सामने होती हूँ। एक ओर जहाँ उनको देख-देख मुझे हरपल दुःख होता है कि उन्होंने बचपन से ही संघर्ष किया और उन्हें कभी सुख नसीब नहीं हुआ और हम भी उनके इस दुःख को कुछ कम नहीं कर पाए, वहीँ दूसरी ओर वे आज भी हमें यही सिखा रही हैं कि हर हाल में जिंदगी से हार नहीं मानना। मैंने माँ के संघर्ष में अपना संघर्ष जब भी जोड़कर देखने की कोशिश की तो यही पाया कि जिस इंसान की जिंदगी में बचपन से ही संघर्ष लिखा हो उसे संघर्ष से कभी नहीं घबराना चाहिए, क्योंकि शायद इसके बिना उसकी जिंदगी अधूरी ही कही जायेगी?
माँ के साथ घर से बाहर घूमना सबकी तरह मुझे भी बहुत अच्छा लगता है, पर क्या करूँ? हर दिन एक से कहाँ रहते हैं. माँ आज घर से बाहर जाने में असमर्थ हैं। कुछ वर्ष पूर्व जब उनके साथ भोजपुर जाना हुआ तो वहीँ एक फोटो मोबाइल से खींच ली थी, जिसे अपने ब्लॉग परिवार के साथ शेयर करना का मन हुआ तो सोचा थोडा- बहुत लिखती चलूँ, इसलिए लिखने बैठ गई। बहुत सोचती हूँ लेकिन उनके सबसे करीब जो हूँ, इसलिए बहुत कुछ लिखने का मन होते हुए भी नहीं लिख पाती हूँ।
आइए सभी हर माँ के दुःख-दर्द को अपना समझ इसे हरपल साझा करते हुए हर दिन माँ को समर्पित कर नमन करें !
..कविता रावत
माँ का संघर्ष आज भी जारी है भोपाल गैस त्रासदी से लेकर 5 शारीरिक ऑपरेशन के त्रासदी से जूझते हुए वह आज भी यूटरस कैंसर से पिछले 7 साल से बहुत ही हिम्मत और दिलेरी से लड़ रही है। पिताजी को गुजरे अभी 4 साल हुए हैं, उन्हें भी लंग्स कैंसर हुआ था, वे सिर्फ 2 माह इस बीमारी को नहीं झेल पाए थे, वहीँ माँ खुद कैंसर से जूझते हुए हमारे लाख मना करने पर भी घर पर नहीं रुकी और हॉस्पिटल में खुद पिताजी की देख-रेख करती रही। पिताजी नहीं रहे, लेकिन उन्होंने सेवा में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी, हर दिन उनके साथ रही। आज जहाँ बहुत से लोग कैंसर का नाम सुनकर ही हाथ पैर छोड़ लेते हैं वहीँ मेरी माँ बड़ी हिम्मत और दिलेरी से खुद इसका डटकर सामना कर अपनी चिंता छोड़ आज भी खुद घर परिवार को संभाले हुए है।
मेरा सौभाग्य है कि मेरी माँ हमेशा मेरे नजदीक ही रही है और मेरी शादी की बाद भी मैं उनके इतनी नजदीक हूँ कि मैं हर दिन उनके सामने होती हूँ। एक ओर जहाँ उनको देख-देख मुझे हरपल दुःख होता है कि उन्होंने बचपन से ही संघर्ष किया और उन्हें कभी सुख नसीब नहीं हुआ और हम भी उनके इस दुःख को कुछ कम नहीं कर पाए, वहीँ दूसरी ओर वे आज भी हमें यही सिखा रही हैं कि हर हाल में जिंदगी से हार नहीं मानना। मैंने माँ के संघर्ष में अपना संघर्ष जब भी जोड़कर देखने की कोशिश की तो यही पाया कि जिस इंसान की जिंदगी में बचपन से ही संघर्ष लिखा हो उसे संघर्ष से कभी नहीं घबराना चाहिए, क्योंकि शायद इसके बिना उसकी जिंदगी अधूरी ही कही जायेगी?
माँ के साथ घर से बाहर घूमना सबकी तरह मुझे भी बहुत अच्छा लगता है, पर क्या करूँ? हर दिन एक से कहाँ रहते हैं. माँ आज घर से बाहर जाने में असमर्थ हैं। कुछ वर्ष पूर्व जब उनके साथ भोजपुर जाना हुआ तो वहीँ एक फोटो मोबाइल से खींच ली थी, जिसे अपने ब्लॉग परिवार के साथ शेयर करना का मन हुआ तो सोचा थोडा- बहुत लिखती चलूँ, इसलिए लिखने बैठ गई। बहुत सोचती हूँ लेकिन उनके सबसे करीब जो हूँ, इसलिए बहुत कुछ लिखने का मन होते हुए भी नहीं लिख पाती हूँ।
आइए सभी हर माँ के दुःख-दर्द को अपना समझ इसे हरपल साझा करते हुए हर दिन माँ को समर्पित कर नमन करें !
..कविता रावत
80 टिप्पणियां:
भगवान से पहले माँ, और कोई नहीं.
मेरे ब्लॉग दुनाली पर देखें-
मैं तुझसे हूँ, माँ
माँ को प्रणाम, सुखद शब्द।
ma hotee hee aisee hai ! ma ke diye sanskar himmat banae rkhane me hamesha hee sksham rahenge.....
ma ke mare me share karne ke liya aabhar.unhe shareerik kasht kum ho aisee hee prarthana hai .
ma ke bare me sahee shavd hai .3rd line me mistake huee hai .
....सच तो यही है की जिसने बिना संघर्ष से जीवन जिया, उसने किया जिया..संघर्ष के बाद जिंदगी में जो कुछ भी हासिल किया, उसका मोल अनमोल है और यह बात हर संघर्षशील प्राणी समझता है..
माँ को हमारा प्रणाम! यही कह सकते हैं की जितना हो सके अच्छी तरह ख्याल रखना ...सार्थक सामयिक पोस्ट के लिए आभार
बिलकुल मन की बात कही आपने की जिसकी जिंदगी में बचपन से संघर्ष लिखा हो वह उम्रभर संघर्ष में ही जीता है, मेरी तरह न जाने कितने ही लोग इसी तरह जीते हैं...... .भाग्य का लिखा कौन मिटा सका है ... बस जिसने जीवन संघर्ष से हार नहीं माना उन्हीं से सबने कुछ न कुछ सीखा है और हर परिस्थिति का सामना करना का हौसला पाया है .... मदर डे पर बहुत सुन्दर पोस्ट.. माँ को हमारा भी नमन!
aapke her ehsaason ko bhi naman
Bahut,bhavuk aur pyara aalekh hai!
Happy mother's day!
Aapkee maa ko saadar pranaam!
सुन्दर विचार, वैसे तो हर दिन माँ का होता है, लेकिन इसे एक विशेष दिन समझ लेते हैं!
माँ को नमन
माँ ऐसी ही होती हैं.
सादर
सुंदर आलेख.
सुंदर अभिव्यक्ति |बधाई आप मेरे ब्लॉग पर आईं आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखिये |
आशा
बहुत सार्थक आलेख!
--
मातृदिवस की शुभकामनाएँ!
--
बहुत चाव से दूध पिलाती,
बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
सीधी सच्ची मेरी माता,
सबसे अच्छी मेरी माता,
ममता से वो मुझे बुलाती,
करती सबसे न्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
सुंदर एहसास का अद्भुत चित्रण. बहुत भावपूर्ण आलेख. मातृदिवस की शुभकामनाएँ.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें
बहुत हृदयस्पर्शी पोस्ट ...
यक़ीनन माँ को बेटी से बेहतर कौन समझ सकता है ... सलाम है हिम्मत को उनकी ....
मां का आशीर्वाद सदा बना रहे , यही दुआ है ।
बहुत ही बेहतरीन लेख के लिए बधाई
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
आप बहुत बेबाकी से और बहुत आत्मीयता से अपने बारे में बहुत कुछ लिख जाती है कविता जी, आपकी प्रतिभा, आपकी रचनात्मकता, आपका लेखन आपके संघर्ष की दास्तान खुद बयां करता है. इतनी कठिन परिस्थितियों में भी आपका लेखन जारी रहता है, यह बहुत प्रेरणा देता है कविता जी !........ शुभकामनायें.
कविता जी,
आपके आलेख हमेशा जोड़ लेते हैं पढ़ने वाले को.. अनुभव व्यक्तिगत होते हुए भी लगता है अपने साथ घट रहे हों... एक सार्थक आलेख!!
माँ और आपके प्रेम को नमन!
शुभकामनायें
हृदयस्पर्शी पोस्ट है कविता जी ...माँ को नमन
मातृदिवस की शुभकामनाएँ..
माँ को सादर नमन। सार्थक पोस्ट।
मां आखिर मां है।
माँ के बारे में पढ़कर सर श्रद्धा से नत मस्तक हो गया। माँ को ढेरों खुशियाँ और अच्छा स्वास्थ्य मिले।
बहुत ही प्रेरणादायी और सुंदर पोस्ट कविता जी बधाई और शुभकामनाएं |
माँ का ख्याल रखिये ...उनसे अच्छा कोई नहीं ! शुभकामनायें आपको !
मां के बारे में जब भी पढ़ा ... मन भावुक हो जाता है ... आभार ।
माता जी के स्वस्थ्य का ख्याल रखियेगा . मेरा माता जी को सादर नमन
माँ को समर्पित ह्रदयश्पर्सी लेख....
माँ के ऋण से हम कभी मुक्त नहीं हो सकते ....कोटि-कोटि नमन माँ के चरणों में
बहुत ह्रदयस्पर्शी आलेख.....
माँ का ख्याल रखें ... माँ से बढ़कर कुछ नहीं है इस संसार में
माँ को हमारा प्रणाम!
माँ को समर्पित ह्रदयस्पर्शी लेख....
माँ के ऋण से हम कभी मुक्त नहीं हो सकते , सबसे पहले उनके स्वास्थय का ध्यान रखना .. उनके चरणों में मेरा भी कोटि-कोटि नमन !
इसमें को संदेह नहीं की माँ को बेटी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता और माँ के सबसे करीब बेटी ही होती है ..............माँ के संघर्ष का ही परिणाम हैं की इन हालातों में भी हिम्मत से जिन्दादिली से जी रही है .. सच आजकल तो लोग तनिक सी बीमारी में हाथ पैर छोड़ बैठते हैं .... माँ के मेरा भी सादर प्रणाम ..
मेरी नयी पोस्ट दुनाली पर पढ़ें-
कहानी हॉरर न्यूज़ चैनल्स की
कविता जी,ऐसी सोच रखनेवालों से ही धरती पर रिश्तों का आँगन आज भी गुलजार है.बहुत सुन्दर और भावमयी प्रस्तुति.
माँ को समर्पित ह्रदयस्पर्शी आलेख.....
माँ का ख्याल रखिये ...उनसे अच्छा कोई नहीं !
मेरा माता जी को सादर नमन!
माँ ऐसी ही होती हैं.
सादर
मां को समर्पित यह आलेख पढ़कर मन द्रवित हो गया।
मां की ममता सबसे अनमोल।
मां को सादर नमन।
Maa ke pyar ko vkyat karna mushkil hain. shubhakamanye.
कितना भी कैसे भी याद करें माँ के महत्व के आगे सब कम ही रहता है ।
मातृदिवस की शुभकामनाएँ
माँ की प्रशंसा में कितने ही कसीदे पढ़े जाएं वे माँ के ऋण से उऋण नहीं कर सकते हैं क्योंकि माँ पूरी संस्कृति है, माँ सृष्टि, माँ प्रकृति है, माँ ब्रह्म की जन्मदीत्री है। बीज रूप में मानव के सृजन से लेकर जीवन यापन तक के सारे संस्कार, मानव के सारे कार्य व्यापार को अजाम देने के लिए भाषा देने तक के सारे उपकरण तो माँ की गोद से ही उपजते हैं। आज माँ दिवस के अवसर पर माँ को नमन करें और उसके द्वारा दिए गए संस्कारों को याद करके स्वच्छ, भ्रष्टाचार मुक्त समाज स्थापित करने का संकल्प लें। माँ के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बहुत सुन्दर पोस्ट.. माँ को हमारा भी नमन!
MAAN!!
an unse bat karti thi.
THAKUR paramhans Ramkrishna sirf ek shabd ki sadhna karte the....MAAN. kimvadanti hai k ma
संवेदना से भरी मार्मिक रचना। बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
samvedansheel rachna maan to maan hai bas.....
ममतामयी,करुणामयी,साहसी और संघर्षशील आपकी आदरणीय माँ को मेरा कोटि कोटि नमन.पहली दफा आपके ब्लॉग पर आना हुआ,आपके भावपूर्ण सुस्पष्ट लेखन से अति प्रभावित हूँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,आपका हार्दिक स्वागत है.
माँ ऐसी ही होती हैं.
संवेदना से भरी मार्मिक बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
बहुत सुन्दर ममतामयी,करुणामयी पोस्ट.. माँ को हमारा भी नमन!
मां के लिये बेहतरीन रचना
मां को हमारा भी नमस्कार,
मां को समर्पित यह आलेख पढ़कर मन द्रवित हो गया।
संवेदना से भरी मार्मिक रचना। बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
माँ के बारे में पढ़कर सर श्रद्धा से नत मस्तक हो गया।
मां को हमारा भी नमस्का..
यक़ीनन माँ को बेटी से बेहतर कौन समझ सकता है ... सलाम है हिम्मत को उनकी ... संवेदना से भरी मार्मिक प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
Madam ji! bahut din se aap facebook par nahi hain... Maa ke swasthya kee chinta lazmi hai .. sabse pahle MAA ka khayal rakhna, baki sab baat mein.... MAA ke baare mein padhkar dukh hua lekin MAA ki himmat ko salam... meri namaste kahiyega ji...
मां को समर्पित बहुत सुन्दर पोस्ट.. माँ को हमारा भी नमन!
ए अंधेरे देख ले,मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी, घर में उजाला हो गया।
मां को नमन
बहुत ह्रदयस्पर्शी आलेख
मां को हमारा भी नमस्कार,
आपकी माताजी का संघर्ष वाकई प्रेरक है.
दिल से प्रणाम मां को....
kavita ji ...your post is really very touching.
I must say " Maa tujhe Salaam!
very nice blog..
very nice post... keep it up...
" Maa tujhe Salaam!
very nice blog..
very nice post... keep it up...
" Maa tujhe Salaam!
सचमुच हर दिन माँ का ही होता है - मातृदेवो भवः
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण आलेख ! माँ को नमन!
मां का कोई विकल्प नहीं है:)
मां को नमन ......आभार !
maa ke prati aapki bhavanayen pad kar achchha laga.
वो जिसने जीवन दिया, हर अच्छे-बुरे समय में अपनी पलकों के साए में रखा, अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया, जीने की नित नयी राह दिखाई, जिंदगी में जीने के काबिल बनाया, उसी ममतामयी माँ के चरणों में शत-२ वंदन एवं कोटि-२ नमन ... श्याम श्रीवास्तव
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (11 -05-2019) को "
हर दिन माँ के नाम " (चर्चा अंक- 3332) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
....
अनीता सैनी
बहुत सुन्दर उद्गार
माँ तो बस माँ है
माँ को समर्पित भाव मन में रहे और क्या चाहिए माँ को ...
माँ जब भी बच्चों के सामने होती है ... चट्टान की तरह रहती है ... संघर्ष, आशा और सोम्यता जो वो भारती है बच्चों में शायद इसी की दें जीवन की शक्ति होती है ... बधाई इस दिवस की ...
right
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Arjun Patiala 2019
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