जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है।
जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है। ।
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं।
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं। ।
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है ।
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है। ।
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने से डर लगता है।
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना रहता है । ।
मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है।
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है । ।
बड़े-बड़े भार छोटे-छोटे तारों पर लटकाए जाते हैं ।
बड़े-बड़े यंत्र भी छोटी से धुरी पर घूमते हैं । ।
निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है ।
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है। ।
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है।
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है। ।
..कविता रावत