तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 23 अगस्त 2011

तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है

जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है। 
जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है। । 

नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं। 
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं। । 

सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है । 
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है। । 

जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने से डर लगता है। 
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना रहता है । । 

मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है। 
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है । ।  

बड़े-बड़े भार छोटे-छोटे तारों पर लटकाए जाते हैं । 
बड़े-बड़े यंत्र भी छोटी से धुरी पर घूमते हैं । । 

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है । 
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है। । 

एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है। 
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है। । 
           
    ..कविता रावत 

78 टिप्‍पणियां:

Shahid Ajnabi ने कहा…

सुन्दर रचना

नारी शक्ति - शाश्वत शक्ति ने कहा…

badhiya
uttam kavya

रश्मि प्रभा... ने कहा…

नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है...
bahut hi badhiyaa

शूरवीर रावत ने कहा…

शाश्वत सत्य. मन को आलोड़ित करता एक सुन्दर आलेख. बहुत बहुत आभार !

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

सुन्दर...बधाई

vijay ने कहा…

मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है?
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है !

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है

...बहुत दूर की कौड़ी बटोर लाई हैं आप ...
लाजवाब समसामयिक प्रासंगिक सटीक रचना के लिए बधाई!.

सागर ने कहा…

bhaut hi sundar...

Bharat Bhushan ने कहा…

हर स्थिति बदलती है. सकारात्मक सोच होनी चाहिए. बढ़िया रचना.

sunita upadhyay ने कहा…

sachchi bat kahi hai aapne.

Amrita Tanmay ने कहा…

बहुत सुंदर,मनोभावों और शब्दों का कमाल चित्रण किया है.

Geeta ने कहा…

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है

sach mei bohot sunder likha h aapne

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।

vidhya ने कहा…

सुन्दर रचना

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

सार्थक भावाभिव्यक्ति के लिए आभार

रेखा ने कहा…

बेहतरीन रचना ....

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है

सार्थक प्रस्तुति...
सादर बधाई...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

कविता में बहुत सही बातें कही हैं ।
बढ़िया ।

Suresh Kumar ने कहा…

सुन्दर व सार्थक रचना..आभार

Pallavi saxena ने कहा…

बेहद सुंदर रचना बहुत बढ़िया ....

pratibha ने कहा…

नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है...
...अत्यंत प्रभावशाली अभिव्यक्ति..

बेनामी ने कहा…

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है
..यही एकता की शक्ति आज देश में हर तरफ नज़र आ रही है.. शानदार रचना

Suresh Kumar ने कहा…

"श्रीमती कविता रावत जी"...आपने मेरी रचना "सदा तुम नज़र आये" मे अपनी प्रतिक्रिया में बहुत बड़ी बात कह दी...समझ नही आ रहा आपको कैसे आभार प्रकट करूँ...किन्तु आपने जो बात कही है उसे मैं जीवन भर याद रखुंगा..बहुत-बहुत धन्यवाद....मेरे ब्लाग पर आपका सदैव स्वागत है...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

रचना तो आपने बहुत सुन्दर लिखी है।
मगर तीन तार के जनेऊ को तो लोग त्याग ही चुके हैं।

मनोज कुमार ने कहा…

इसमें आपका चिन्तन मुखर हुआ है।

केवल राम ने कहा…

सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है

जीवन दर्शन से भरी पंक्तियाँ ....!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

udaya veer singh ने कहा…

बहुत सुन्दर , गतिशील विचारों का प्रवाह अच्छा लगा ...
बधाईयाँ जी .../

बेनामी ने कहा…

Abhaar uprokt post hetu........

P.S.Bhakuni

बेनामी ने कहा…

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
बहुत सुन्दरसार्थक प्रस्तुति...
सादर बधाई

shailendra ने कहा…

एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना रहता है
मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है?
..सत्य वचन ..बहुत बधाई

Surya ने कहा…

मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है?
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है !
..बुरे वक्त पर सबकुछ उल्टा होता है कोई नहीं पूछता किसी को..
बढ़िया सीख भरी रचना हेतु बधाई

बेनामी ने कहा…

जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है
जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
..its so really nice poem mam!
Thanks

anita agarwal ने कहा…

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है

bahut sahi kaha aapne...

tips hindi me ने कहा…

कवित जी
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

संघे शक्ति कलियुगे।

रचना दीक्षित ने कहा…

सुंदर सन्देश देती रचना और आज की जरूरत भी.

Shanno Aggarwal ने कहा…

ताकत की अहमियत जताती हुई बहुत सुंदर रचना लिखी है, कविता जी.

बेनामी ने कहा…

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है
...very nice creation........ thanks

बेनामी ने कहा…

सही तथा अच्छी बातें

Dolly ने कहा…

जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है
जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है
नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
..सुंदर सुंदर सन्देश देती रचना...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है हर चीज़ ला अपना अपना महत्व है .... कोई भी वस्तु छोटी नहीं है ... सुन्दर सन्देश छिपा है ...

एक स्वतन्त्र नागरिक ने कहा…

कविता जी आपका परिचय पढ़ कर मन भावुक सा हो गया.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

G.N.SHAW ने कहा…

कविता जी सब कुछ समझ आया , पर तीन धागे का मतलब क्या समझू ? ब्रह्मा , विष्णु और महेश या और कुछ ?

ZEAL ने कहा…

Beautiful n useful information.

Dr. Sanjay ने कहा…

नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने से डर लगता है
..सही तथा सुन्दर सन्देश देती रचना आज की जरूरत है..

ज्योति सिंह ने कहा…

नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है..
baat pate ki hai aur sundar bhi .

kailash ने कहा…

जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने से डर लगता है
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना रहता है
मजबूरी के आगे किसी का कितना जोर चल पाता है?
गड्ढे में गिरे हाथी को भी चमगादड़ लात मारता है !
..सही लिखा आपने.. बढ़िया प्रशंनीय रचना
बधाई

Bharat Bhushan ने कहा…

जन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.

मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा…

बेहतरीन रचना है......बधाई......

मेरे अनुसार भी ...

रह अभय क्यू भय से यू भवभीत होता है....
एकाकी है तो अम्बर भी हमारा मीत होता है....
भला क्यू हम अँधेरी कोठरी में बैठ के रोयें....
सत्य पर चलने वालों हित विजय का गीत होता है....

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है
एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है
तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है

प्रेरणा देने वाली सशक्त कविता।

hamarivani ने कहा…

sachchi baat

aarkay ने कहा…

" संघे शक्ति कलियुगे " की सुंदर व्याख्या करती एक सशक्त प्रस्तुति !

Naresh ने कहा…

नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है...
...शाश्वत सत्य वचन
सुन्दर...बधाई

Maheshwari kaneri ने कहा…

सुंदर सन्देश देती सार्थक रचना ......

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

bodhatmak kavita....!

Vivek Jain ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति,


एक चीज और, मुझे कुछ धर्मिक किताबें यूनीकोड में चाहिये, क्या कोई वेबसाइट आप बता पायेंगें,
आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

kitti pyari rachna..badhai.

बेनामी ने कहा…

badiya baaton ka samavesh kiya hai aapne..badhai

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

‘सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है ’

सच कहा, वक्त अच्छा हो तो कोई कुछ नहीं बिगाड सकता- किसी की बद्दुआ भी नहीं॥

Vandana Ramasingh ने कहा…

एक के मुकाबले दो लोग सेना के समान है

ek ek pankti saarthak achchha chintan

Kavita Saharia ने कहा…

Very nice .Thanks.

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है आपने! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना!
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने..
बहुत दिन से फेसबुक पर नज़र नहीं आयी आप..व्यस्त हैं शायद...
गणेश चतुर्थी की शुभकामना

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है

कविता में यथार्थ के तत्व मौजूद हैं।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

सच कहा आपने तिहरे धागे को तोडना आसान नही होता है।

Apanatva ने कहा…

solah aane sach sabhee baate.
sathak lekhan.
aabhar

बेनामी ने कहा…

kavita mein bahut achha moral dekhne ko mila..
Madam Happy Teacher's day........

Arti ने कहा…

Very well written, strikes the heart...
Lovely blog, my first visit, I loved it!!
Have a wonderful day:)

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर कहावतें !

amrendra "amar" ने कहा…

bahut umda rachna badhai..........

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने.......प्रशंनीय रचना

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

kavita ji
bahut hi shandar prastuti lagi aapki .sach ko darshati hui tatha darshnikta se bhari post bahut se bhao ko man me jagrit karta hai .
bahut hi badhiya abhivykti
badhai-------
poonam

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami ने कहा…

"निर्बल वस्तु जुड़कर कमजोर नहीं रहती है
एकता निर्बल को भी शक्तिशाली बना देती है"
क्या बात है !

बेनामी ने कहा…

सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है
...बहुत सुन्दर..

Meenakshi ने कहा…

नदी पार करने वाले उसकी गहराई बखूबी जानते हैं
सदा लदकर चलने के आदी बेवक्त औंधे मुहं गिरते हैं
सही वक्त पर बददुआ भी दुआ का काम कर जाता है
वक्त आने पर छोटा पत्थर भी बड़ी गाडी पलटा देता है
..bilkul sahi baat likhi hai apne..

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

सच्ची, अच्छी और गहरी बात

बहुत सुंदर

KK Mishra of Manhan ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण रचना...

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर बेजोड़ रचना..