गुलाबों के साथ एक शाम - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 13 जनवरी 2014

गुलाबों के साथ एक शाम

मध्यप्रदेश रोज सोसायटी संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी की ओर से बीते रविवार को जब मैं सपरिवार भोपाल स्थित शासकीय गुलाब उद्यान में आयोजित 32वीं अखिल भारतीय गुलाब प्रदर्शनी देखने पहुँची तो सप्ताह भर का थका-हारा मन देशभर से आए प्रतिभागियों के 600 से अधिक प्रजातियों के गुलाबों की खूबसूरती के रंग में डूबकर तरोताजा हो उठा।  
लगभग 30 स्टॉल्स पर पिटोनिया, लिबोनिका, पैंजी, फलॉक्स,  डायम्पस, गुलदाउदी, डहेलिया, लिफोरिया, सालविया, पंसेटिया और सकीलैंड्स जैसे पौधों के बहुत से प्रकार  सतरंगी गुलाबी खुशबुओं से अपनी महक चारों ओर फैला रहे थे। दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, महाराष्ट्र, जमशेदपुर, नागपुर, इन्दौर, पचमढ़ी, जयपुर आदि शहरों से लाए गए गुलाब की विभिन्न किस्मों जैसे- कबाना, ब्लैक बकारा, डकोलेंडी, डायना प्रिंसिंस ऑफ  द वॉल, डीप सीक्रेट, जस जॉय, रोज ओ बिन, हैडलाइनर की खूबसूरती और खूबियों में लोग डूबते-उतर रहे थे। 
गुलाबों की महक और उनके शोख इन्द्रधनुषी रंगों को हर कोई देखने वाला  अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने को आतुर दिख रहा था। इसके साथ ही बहुत से फोटोग्राफर भी अपने कैमरे से रंग-बिरंगे गुलाबों की खूबसूरती के साथ लोगों की तस्वीरें  उतारने के बाद थोड़ी देर बाद उन्हें देते जा रहे थे। यह सब आधुनिक फोटोग्राफी तकनीकी का ही कमाल है कि जहाँ फोटो लेने के बाद उसे मिलने में 3-4 दिन लग जाते थे, वह 5 मिनट में मिलने लगे हैं।   
गुलाब उद्यान में लगे टैंट के अन्दर सुन्दर लाल, गुलाबी, सफेद और पीले गुलाब अपनी सुन्दरता बिखेर रहे थे तो बाहर विभिन्न प्रजातियों के कतारबद्ध बहुरंगी फूल उद्यान की शोभा में चार चांद लगा रहे थे। हरे-भरे उद्यान में ईएमई सेंटर भोपाल के म्यूजिकल बैंड की समधुर धुन पर देशभक्ति गीतों में डूबना दर्शकों को खूब रास आ रहा था। अपनी-अपनी पसंद के अनुसार कुछ लोग प्रदर्शनी में लगे स्टॉल्स पर खाने-पीने में डटे दिख रहे थे तो कुछ लोग गुलाब के पौधे खरीद कर उनकी देखभाल के गुर देश-विदेश से आए गुलाब विशेषज्ञों से जानने में लगे थे।   
एक ओर जहाँ हर वर्ष की तरह इस बार भी गुलाब प्रदर्शनी में गुलाब प्रेमियों के सिर पर गुलाबी रंग चढ़कर बोला तो वहीं दूसरी ओर पहली बार तीन बोनसाई क्लबों की विशिष्ट बोन्साई कला भी अपने सार्थक प्रदर्शन के कारण सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने में कामयाब रहा। बरगद, पीपल, साइकस पाम, आम, नीबू, अमरूद, शहतूत, नारंगी, लोलिना पाम, टी साइकस आदि  बोन्साई  पेड़-पौधों की खूबसूरती ने सबका मन मोह लिया। मैं भी इन सुन्दर सजावट के साथ रखे बोनसाई पेड़-पौधों की सुन्दरता निहारते-निहारते कई घंटे इनमें समाहित पर्यावरणीय उपयोगिता में डूबती-उतरती रही।
आज शहरों में बढ़ती पर्यावरण प्रदूषण की समस्या शहरवासियों से प्राकृतिक वायु और शुद्ध जल छीन रही है तथा नई-नई असाध्य बीमारियों की ओर धकेल रही है। शुद्ध हवा जीवन-जीने का अनिवार्य तत्व है, जिसके स्रोत हैं- वन, हरे-भरे बाग-बगीचे और लहलहाते पेड़-पौधे। हम क्यों भूल जाते हैं कि इनके संरक्षण में ही हम सबका हित समाहित है। जिस प्रकार माता अपना स्तनपान से शिशु को पालती है, उसी प्रकार पेड़-पौधे अपनी ऑक्सीजन से पर्यावरण को स्वस्थ और शुद्ध रखते हैं। आइए हम भी पर्यावरण की शुद्धि के लिए तथा प्रदूषण से मानवों की रक्षा के लिए अपने आस-पास पेड़-पौधों को उपजाकर पल्लवित-पुष्पित करने का संकल्प करें।  
      .......कविता रावत