पहली विधि- बिस्तर पर चित्त होकर आराम के साथ लेट जाइये। बाजू को शरीर से कुछ अलग फैला लीजिये। हथेलियाँ ऊपर की ओर रहें। सिर तकिये पर रहे, लेकिन तकिया बहुत ऊँचा न हो। तन्दुपरांत नीचे बतलाये क्रम से शरीर के एक-एक अंग का मानसिक रूप से नाम बोलते हुए उन्हें शिथिल करते जाइये। शिथिल करने के लिए उन्हें बन्द आँखों से देखते चलिये तथा अपनी भावना करिये कि वह अंग शिथिल हो रहा है। सबसे पहले दाहिने हाथ का अंगूठा, दूसरी अंगुली, तीसरी अंगुली, चौथी अंगुली, पांचवी अंगुली फिर दाहिनी हथेली, फिर कलाई, कोहुनी, कंधा, बगल, बाजू, कमर, नितम्ब का दाहिना भाग, जांघ, घुटना, पिंडली, टखना, एड़ी, तलुवा। फिर दाहिने पैर का अंगूठा, दूसरी अंगुली, तीसरी अंगुली, चौथी अंगुली, पाँचवी अंगुली। यही क्रम बांयी तरफ अपनायें। फिर दोनों भौंहों के बीच की जगह, दाहिनी भौंह, बांयीं भौंह, दाहिनी पलक, बांयी पलक, दाहिनी पुतली, बांयीं पुतली, दायां गाल, बाँयां गाल, दाहिना कान, बाँयां कान, नाक, ऊपर के ओंठ, नीचे के ओंठ, ठुड्डी, गर्दन, पूरी पीठ, छाती और पेट। इतना हो जाने के बाद दाहिना हाथ, पूरा दाहिना पैर, पूरा बाँयां हाथ, पूरा बाँयां पैर, पूरी धड़, मस्तक, फिर पूरा शरीर। अन्त में अपने पूरे शरीर को सिर से पैर तक शरीर से अलग देखिए- कहाँ हैं? क्या पहने हैं? कपड़ों का क्या रंग हैं? इत्यादि।
यह योगनिद्रा का एक चक्र हुआ। बहुत सम्भव है कि इतना करने से पहले ही नींद आ जाए तो कोई हानि नहीं। यदि इस समय तक नींद न आये तो फिर से अभ्यास का दूसरा चक्र नींद आने तक दुहराते जाएंँ। ध्यान रहे मन इधर-उधर न भटके। ऐसा होने पर मन को फिर एकाग्र कर वापस क्रिया में लगायें। कुछ दिन के अभ्यास के बाद अंगों का क्रम याद होने पर यह सरल व स्वाभाविक बन जाएगा।
यह अभ्यास दिन में भी किया जा सकता है। कठिन श्रम के बीच कुछ मिनट का भी समय मिलने पर इसे कुर्सी में बैठे-बैठे भी किया जा सकता है। समय के अनुसार क्रिया अपने अनुकूल की जा सकती है।
दूसरी विधि- बिस्तर पर चित्त लेटकर एक ही बार में पूरे शरीर को शिथिल कीजिए। ऐसा अनुभव करें कि शरीर बिस्तर पर पड़ा हुआ है और हम उससे एकदम अलग हैं। यह भी अनुभव करें कि हम अपने शरीर को दूर से देख रहे हैं, जो सोया हुआ है। 5 मिनट के लिए शरीर को एकदम ढीला तथा शिथिल करने के बाद 1, 2, 3, 4, 5 इस प्रकार सांस द्वारा लगातार गिनती करते जाएँ। अगर हमारा स्वास्थ्य ठीक है तो 100 की गिनती करते-करते नींद आ जाएगी।
तीसरी विधि- शिथिलीकरण की एक और विधि यह है कि गिनती गिनने के बदले, दोनों भौंहों के बीच के स्थान में ’ऊँ’ या ‘सोऽहं’ का मानसिक जाप तब तक जारी रखें जब तक नींद न आ जाय। दोनों भौहों के बीच ध्यान केन्द्रित कर मानसिक जाप करने से बहुत शीघ्र गहरी नींद आती है।
चौथी विधि- थोड़ी देर उपर्युक्त विधि द्वारा शरीर का शिथिलीकरण करने के बाद श्वास पर ध्यान ले जाकर मानसिक रूप से श्वासों को देखने का अभ्यास करें। थोड़े समय ऐसा करने के बाद इस विधि से श्वासों में ’ऊँ’ या ‘सोऽहं’ का जाप करते जायें। इस प्रकार सोते समय जाप का अभ्यास करने से मन एकाग्र होता है और बहुत ही शीघ्र नींद आ जाती है।
योग निद्रा केवल नींद ही नहीं संकल्प शक्ति प्रयोग का भी साधन है। ऐसी माना जाता है कि योग निद्रा का अभ्यास शुरू करने से पहले मन ही मन पूरे आत्मविश्वास के साथ कोई भी शुभ संकल्प 5 बार और फिर समाप्ति से पहले 20 बार दुहराने से लिये गये संकल्प अवश्य ही पूर्ण होते हैं। शुभ संकल्प छोटे-छोटे वाक्यों में इस प्रकार हो सकते हैं- मैं प्रत्येक दिन सबेरे उठकर योग साधना करूँगा या मैं प्रातःकाल चार बजे अवश्य उठ जाऊँगा। मैं जो सोचूँगा वैसा कर सकूँगा। अपनी संकल्प शक्ति से मैं अपने आप को नीरोग कर लूँगा। मैं गुस्सा नहीं करूँगा। मैं बीड़ी-सिगरेट, शराब पीना एकदम छोड़ दूँगा। मैं किसी से लड़ाई नहीं करूँगा आदि-आदि।
27 टिप्पणियां:
योगनिद्रा के लिए मन का एकाग्र होना आवश्यक है लेकिन यही सबसे बड़ी समस्या है हम लोगों के साथ की मन इधर से उधर भटकता फिरता है ....
काम काज की व्यस्तता में योगनिद्रा की चौथी विधि ऊँ’ या ‘सोऽहं’ बड़े काम की है .....
बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है आपने. धन्यवाद.
योग निन्द्रा के बारे में लाभकारी बड़ी जानकारी ...
उपयोगी जानकारी शेयर करने के लिए धन्यवाद!!!
बहुत सुंदर....लाभकारी जानकारी ...धन्यवाद.
आज की भागदौड़ नींद में खलल बन जाती है यह सच है कि नींद की गोली खाकर सोने बहुतायत में है ... कई लोगों की तो नींद की गोली गटकने के बाद भी रात भर आसमान की ओर टकटकी लगी रहती है ...करवटे बदलते बीतती है ....ऐसे लोगों को जरूर योगनिद्रा का सहारा लेना चाहिए ताकि बिना दवा शरीर को नुक्सान भी न हो और काम भी बन जाए .....
बहुत सुंदर....उपयोगी लाभकारी जानकारी ...
बहुत सुन्दर उपयोगी पोस्ट ...
बहुत उपयोगी व लाभकारी जानकारी .......
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-11-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1810 में दिया गया है
आभार
बहुत बढ़िया।
साधू साधू
बहुत उपयोगी जानकारी -आभार !
यह तो बहुत काम की चीज़ है। अपनाने की कोशिश करता हूं।
बड़े काम की जानकारी!!
उपयोगी जानकारी।
अवश्य प्रयोग करूंगा।
सरल और आवश्यक जानकारी।
शुभ संकल्प, मन की शांति, निद्रा, योगनिद्रा सभी ज़रूरी है।
सार्थक पोस्ट ।
सुन्दर प्रस्तुति...
सुन्दर प्रस्तुति...
हमेशा की तरह उत्तम जानकारी।
बहुत उपयोगी जानकारी....
उपयोगी जानकारी आभार।
योग निद्रा होना और उसके लिए सतत प्रयार करने की विधि भी विस्तार से लिखी है आपने ... सतत प्रयास से नींद की इस समस्या से पार पाया जा सकता है ऐसा मानना है मेरा भी ... आपका आभार इस विधि को विस्तार से लिखने का ... प्रयास करके देखने में कोई हर्ज नहीं है ...
Very useful information about Yoga Nidra......thnx a lot KAVITA JI
सुंदर, उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक
Thanks for sharing your post. General weakness and fatigue have turned out to be a major problem these days. You can try herbal supplement to get over it.Visit http://www.hashmidawakhana.org/low-energy-weakness-and-fatigue.html
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