देश में चिंतामन सिद्ध गणेश की चार स्वंयभू प्रतिमाएं हैं, जिनमें से एक सीहोर में विराजित हैं। यहां साल भर लाखों श्रृद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं तथा अपनी मन्नत के लिए उल्टा सातिया बनाकर जाते हैं। भोपाल से लगभग 45 कि.मी. निकट बसे सीहोर जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित चिंतामन गणेश मंदिर वर्तमान में प्रदेश भर में अपनी ख्याति और भक्तों की अटूट आस्था को लेकर पहचाना जाता है। प्राचीन चिंतामन सिध्द गणेश को लेकर पौराणिक इतिहास है। जानकारों के अनुसार चिंतामन सिद्ध भगवान गणेश की देश में चार स्वंयभू प्रतिमाएं हैं। इनमें से एक रणथंभौर सवाई माधोपुर राजस्थान, दूसरी उगौन स्थित अवन्तिका, तीसरी गुजरात में सिद्धपुर और चौथी सीहोर में चिंतामन गणेश मंदिर में विराजित हैं। इन चारों स्थानों पर गणेश चतुर्थी पर मेला लगता है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjxNgra-j5-bAhVfM4X-m0vghpka05Yshb3GPsng0KOSJkvyjj4Sm8sf6TD0MDCJA0nWhpW44SLwxwOsd536NKzFJk20KuBaVdrPRbm79ZxbgedH1DahfR_IJDcDKQQhFvdSI90R6mxfvsq/s320-rw/%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A8+%25E0%25A4%2597%25E0%25A4%25A3%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25B6+%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B0+%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%25B0.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLyIzvgkJVMyFgVGbMn35Te5dYxipiTwg73F394RshtX2EffS-bZ9GS2HLhbxsTXlQVJytNkVYVNOVH00qJB6utO3Q12vKgpwTzIo9QPaW1aVIAFMSOTb88yPP8Iyc-1noCg1uBayJG1M8/s320-rw/Sehore+Ganesh+Mandir.jpg)
यहाँ आकर श्रद्धालु अपनी मन्नत के लिए उल्टा सातिया बनाकर जाते हैं और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है, तो मंदिर आकर सीधा सातिया बनाकर फिर अपने घर जाते हैं.... श्रोत: दैनिक भास्कर
आओ मिलकर गायें.........
गजानन कर दो बेड़ा पार, आज हम तुम्हें बुलाते हैं ।
तुम्हें मनाते हैं गजानन, तुम्हें मनाते हैं ।।
सबसे पहले तुम्हें मनावें, सभा बीच में तुम्हें बुलावें ।
गणपति आन पधारो, हम तो तुम्हें मनाते हैं ।।
आओ पार्वती के लाला, मूषक वाहन सुंड -सुन्डाला ।
जपें तुम्हारे नाम की माला ,ध्यान लगाते हैं ॥
उमापति शंकर के प्यारे, तू भक्तों के काज सँवारे ।
बड़े-बड़े पापी तारे, जो शरण में आते हैं ॥
लड्डू पेड़ा भोग लगावें ,पान सुपारी पुष्प चढ़ावें ।
हाथ जोड़ के करें वंदना ,शीश झुकाते हैं ॥
सब भक्तों ने टेर लगायी, सब ने मिलकर महिमा गाई ।
रिद्धि -सिद्धि संग ले आओ, हम भोग लगाते हैं ॥
25 टिप्पणियां:
जय गणेश देवा - आभार
publish ebook with onlinegatha, get 85% Huge royalty,send Abstract today
ISBN for self Publisher
बहुत अच्छी जानकारी
जय श्री गणेश!
अति उत्तम..जय श्री गणेशाय नमः
देवा हो देवा, गणपति देवा, तुमसे बढ़कर कौन ...
ॐ गं गणपतये नमः
श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ॐ
श्री महा गणपति प्रणव मूलमंत्र: ॐ गं ॐ
ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ नमो भगवते गजाननाय
श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ वक्रतुन्डाय हुम
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आए हाए तेरी अंग्रेजी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जय गणेश
सुना था, पर आपके सारगर्भित आलेख से विस्तृत और सार्थक जानकारी मिली
उत्क्रष्ट प्रस्तुति
सादर
बहुत ही अच्छी जानकारी।
बहुत बढ़िया जानकारी । आप तो वैसे भी बहुत अच्छा लिखती हैं ।
बहुत उपयोगी जानकारी
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
जय गणपति बप्पा ... बहुत ही विस्तृत जानकारी रोचक तरीके से लिखी है आपने ... और आरती भी लाजवाब है गणपति की ...
बहुत सुंदर एवं उपयोगी जानकारी...
ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण जानकारी।
सिद्ध चिंतामन गणेश जी पर गवेषणात्मक आलेख प्रस्तुत करने के लिए आभार ।
बहुमूल्य जानकारी प्राप्त हुई ।
मुझे इसके बारे में बिलकुल भी जानकारी नहीं थी
पर आप ने बहुत ही विस्तृत जानकारी के साथ अपने आलेख प्रस्तुत किया है ....आपका बहुत आभार कविता दीदी
बढिया जानकारी के लिए आभार कविता जी
कुछ नया जानने को मिला. अच्छी जानकारी.
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 18 मई 2023 को 'तितलियों ने गीत गाये' (चर्चा अंक 4664) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
बढिया जानकारी , आभार !
जानकारी युक्त सुंदर कथा, साथ ही सरस गणपति वंदना।
सुन्दर जानकारी, ॐ गं गणपतये नम: 🙏
जय श्री गणेश
एक टिप्पणी भेजें