हम भाँति-भाँति के पंछी हैं पर बाग़ तो एक हमारा है
वो बाग़ है हिन्दोस्तान हमें जो प्राणों से भी प्यारा है
हम हम भाँति-भाँति के पंछी ………………………
बाग़ वही है बाग़ जिसमें तरह-तरह की कलियाँ हों
कहीं पे रस्ते चंपा के हों कहीं गुलाबी गलियाँ हों
कोई पहेली कहीं नहीं है, सीधा साफ़ इशारा है
हम हम भाँति-भाँति के पंछी ………………………
बड़ी ख़ुशी से ऐसे-वैसे इकड़े तिकड़े बोलो जी
लेकिन दिल में गिरह जो बाँधी है वो पहले खोलो जी
सुर में चाहे फर्क हो फिर भी इक तारा इक तारा
पंजाबी या बंगाली मद्रासी या गुजराती हो
प्रीत की इक बारात है यह हम सबके साथी हो
भेद या बोली कुछ भी हो हम एक शमां के परवाने
आपस में तकरार करें हम ऐसे तो नहीं दीवाने
मंदिर मस्जिद गिरजा अपना, अपना ही गुरुद्वारा है
हम हम भाँति-भाँति के पंछी ………………………
…राजेन्द्र कृष्ण
सभी ब्लोग्गर्स एवं पाठकों को गणत्रंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
वो बाग़ है हिन्दोस्तान हमें जो प्राणों से भी प्यारा है
हम हम भाँति-भाँति के पंछी ………………………
बाग़ वही है बाग़ जिसमें तरह-तरह की कलियाँ हों
कहीं पे रस्ते चंपा के हों कहीं गुलाबी गलियाँ हों
कोई पहेली कहीं नहीं है, सीधा साफ़ इशारा है
हम हम भाँति-भाँति के पंछी ………………………
बड़ी ख़ुशी से ऐसे-वैसे इकड़े तिकड़े बोलो जी
लेकिन दिल में गिरह जो बाँधी है वो पहले खोलो जी
सुर में चाहे फर्क हो फिर भी इक तारा इक तारा
पंजाबी या बंगाली मद्रासी या गुजराती हो
प्रीत की इक बारात है यह हम सबके साथी हो
भेद या बोली कुछ भी हो हम एक शमां के परवाने
आपस में तकरार करें हम ऐसे तो नहीं दीवाने
मंदिर मस्जिद गिरजा अपना, अपना ही गुरुद्वारा है
हम हम भाँति-भाँति के पंछी ………………………
…राजेन्द्र कृष्ण
सभी ब्लोग्गर्स एवं पाठकों को गणत्रंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
अनेकता में एकता, यह हिन्द की विशेषता...
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteआपने लिखा...
ReplyDeleteऔर हमने पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 26/01/2016 को...
पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की जा रही है...
आप भी आयीेगा...
अनेकता में एकता
ReplyDeleteसुन्दर गीत ...
अति सुन्दर ...
ReplyDeleteआपको भी गणत्रंत्र दिवस की शुभकामनाए.......!
भारत माता की जय!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट का लिंक कल के चर्चा मच पर भी है।
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " ६७ वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति जी का संदेश " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसुन्दर गीत ...
ReplyDeleteजय हिंद। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना । गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें ।
ReplyDeleteAha ! Anupam shabd sanyojan.....
ReplyDeleteJai hind......
तभी तो इसे भारतवर्ष कहते हैं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteयही पहचान है हमारी .... :)
ReplyDeleteहमारे देश की यही तो विशिष्टता है ।
ReplyDeleteउम्दा और बेहतरीन रचना.....बहुत बहुत बधाई.....
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteइन्द्रधनुष सी हमारी पहचान पर मिल के सब एक रहें तो भारत चमकेगा ... सुंदर रचना ...
ReplyDeleteकविता जी, भिन्न भाषा, भिन्न पहनावा और भिन्न पहनावा ऐसी ढ़ेर सारी भिन्नताओं के बावजुद भी मेरा भारत एक है। इसे बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है आपने।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
ReplyDeleteराष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सारगर्भित रचना
ReplyDeleteसादर
हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा गीत । प्रस्तुति के लिए आभार एवं अभिनंदन कविता जी ।
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteकितना अच्छा हो की सब ये बात समझें और प्राण लें देश को खुश-हाल बनाने का ...
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई ...
यहीं हैं भारत की सुन्दरता
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
गणत्रंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत सुन्दर रचना
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