एक दिन दुनिया वाले भी खबर लेते हैं - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

गुरुवार, 1 सितंबर 2016

एक दिन दुनिया वाले भी खबर लेते हैं

हर आदमी किसी न किसी के काम का जरूर होता है
लेकिन  ...............
                         
कुछ लोग कहते हैं कि कुछ लोग किसी काम के नहीं होते
फिर भी बहुत लोग जाने क्यों उन्हें हरदम घेरे रहते हैं ?
मैं कहती हूँ कि कुछ न कुछ छुपी कला तो है उनमें
वर्ना यूँ ही लोग कहाँ किसी की पूछ-परख करते हैं
(सनद रहे कि  64 कलाओं में से कम से कम एक कला का हर इंसान स्वामी होता है, जो पर्याप्त है जीने के लिए।  ये बात और  है कि उसे कौन सी कला में महारत हासिल है )

(2)
वे छुपाते हैं राज-ए-कारनामे दुनिया वालों से
जो हरदम दुनिया वालों की नजरों में रहते हैं
माना कि वे रखते हैं दुनिया वालों पर नज़र
पर एक दिन दुनिया वाले भी उनकी खबर लेते हैं
(कच्चे-चिट्ठों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती है)

(3)

कुछ न कुछ बात रहती है जब
तभी वह बाहर तक फैलती है
जहाँ धुंआ उठ रहा होता है
वहाँ आग जरूर  मिलती है
(न अकारण कोई बात और न धुंआ उठता है)

(4)
वे हारकर भी कहाँ हारे
जो रंग दे सबको अपने रंग में
कुशल घुड़सवार भी गिरते हैं
मैदान-ए-जंग में
(कौन कितना कुशल है इसकी असली परीक्षा मैदाने-ए -जंग में ही होती है)\



16 टिप्‍पणियां:

Pammi singh'tripti' ने कहा…

Satik aewem sarthak sabdo ki prastuti..

Pammi singh'tripti' ने कहा…

Satik aewem sarthak sabdo ki prastuti..

Unknown ने कहा…

वाह! जी वाह! जुबां पर चढ़ने वाली शायरी है

Unknown ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (02-09-2016) को "शुभम् करोति कल्याणम्" (चर्चा अंक-2453) पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर ।

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

Jyoti Dehliwal ने कहा…

हर इंसान में कुछ न कुछ खुबी अवश्य होती है। लेकिन कई बार इंसान की पूरी जिंदगी निकल जाती है इस खुबी को तलाशने में! सुंदर प्रस्तुति!

Jyoti Dehliwal ने कहा…

हर इंसान में कुछ न कुछ खुबी अवश्य होती है। लेकिन कई बार इंसान की पूरी जिंदगी निकल जाती है इस खुबी को तलाशने में! सुंदर प्रस्तुति!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... हर छंद अपने आप में गहरा सन्देश लिए है ... सार्थक और सकारात्मक बात जो सोचने और समझने लायक है ... सुन्दर प्रस्तुति है ...

Amrita Tanmay ने कहा…

वाह ! क्या छलका तेरे अंदाज का रंग ....

Yogi Saraswat ने कहा…

वे छुपाते हैं राज-ए-कारनामे दुनिया वालों से
जो हरदम दुनिया वालों की नजरों में रहते हैं
माना कि वे रखते हैं दुनिया वालों पर नज़र
पर एक दिन दुनिया वाले भी उनकी खबर लेते हैं
मतलब की बात लिखी है आपने !!

सदा ने कहा…

Waaaah lajwaaab prastuti !

संजय भास्‍कर ने कहा…

कुछ न कुछ बात रहती है जब
तभी वह बाहर तक फैलती है
जहाँ धुंआ उठ रहा होता है
वहाँ आग जरूर मिलती है

... गहरा सन्देश लिए है आपके छंद

Dr. pratibha sowaty ने कहा…

shandar

जमशेद आज़मी ने कहा…

बहुत ही सुंदर और प्रभावशाली रचना की प्रस्‍तुति। मुझे बहुत पसंद आई।

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

बड़ी दार्शनिकता भरी पोस्ट।