अपने-पराये का भेद - Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 26 दिसंबर 2016

अपने-पराये का भेद

लाठी मारने से पानी जुदा नहीं होता है।
हर पंछी को अपना घोंसला सुन्दर लगता है।।

शुभ कार्य की शुरुआत अपने घर से की जाती है।
पहले अपने फिर दूसरे घर की आग बुझाई जाती है।।

दूसरे के भरे बटुए से अपनी जेब के थोड़े पैसे भले होते हैं।
समझदार पराया महल देख अपनी झोंपड़ी नहीं गिराते हैं।।

पड़ोसी की फसल अपनी फसल से बढ़िया दिखाई देती है।
बहुधा पराई चीज़ अपनी से ज्यादा आकर्षक नजर आती है।।

जूते में पड़े कंकर की चुभन को कोई दूसरा नहीं जानता है।
कांटा जिसे भी चुभा हो वही उसकी चुभन समझ सकता है।।

अपना सिक्का खोटा हो तो परखने वाले का दोष नहीं होता है।
जो दूसरों का भाग्य सराहता है अपने भाग्य को कोसता है।।


19 टिप्‍पणियां:

  1. लोकोक्ति आधारित सुन्दर कविता है .........

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  2. सच्चाई पहले अपने घर की आग को बुझाना ... कोई गैर नहीं आता ...
    वैसे हर छंद तीखा, सोचने वाला और सत्य की अदायगी है ... बहुत खूब ... नव वर्ष मुबारक हो ...

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  3. बेहद खूबसूरत रचना
    उम्दा अभिव्यक्ति

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. अपने पराये का भेद ।
    वाह!!!

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  6. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-12-2016) को "महफ़ूज़ ज़िंदगी रखना" (चर्चा अंक-2572) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. हमेशा की तरह एक और बेहतरीन पोस्ट इस शानदार पोस्ट के लिए धन्यवाद। .... Thanks for sharing this!! :) :)

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  8. खूबसूरत रचना उम्दा :))

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  9. उत्तम अभिव्यक्ति.

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  10. बहुत सुंदर.नव वर्ष की शुभकामनाएं !

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  11. बहुत ही उम्दा ...कभी मेरे ब्लॉग पे भी आये तो ख़ुशी होगी https://muskuratealfaz.blogspot.in/

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  12. सुन्दर शब्द रचना
    नव बर्ष की शुभकामनाएं

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  13. बहुत ही सटीक बात कही है आपने ....

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  14. बहुत ही लाजबाब.
    बलदेव नेगी.

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  15. अति उत्तम !कहावतों का बेजोड़ उपयोग

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  16. very nice and impressive lines....thanks.....

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  17. बहुत ही अच्छा लेख है

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